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ब्रह्मोस मिसाइल बनेगी भारतीय नौसेना का प्राथमिक हथियार: नौसेना प्रमुख

ब्रह्मोस सुपरसोनिक क्रूज़ मिसाइल भारतीय नौसेना का प्राथमिक हथियार होगी, जो अन्य देशों से प्राप्त की गई पुरानी मिसाइल प्रणाली की जगह लेगी, भारतीय नौसेना प्रमुख एडमिरल आर हरि कुमार ने सोमवार को कहा।
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नौसेना प्रमुख ने रूस के सहयोग से बनाई गई ब्रह्मोस की रेंज और मारक क्षमता के लिए प्रशंसा करते हुए इस बात पर जोर दिया कि यह "एक बहुत शक्तिशाली मिसाइल है।"

नौसेना प्रमुख ने भारतीय मीडिया से कहा, "सतह से सतह पर मार करने वाली मिसाइल के रूप में अब ब्रह्मोस हमारा प्राथमिक हथियार होगी। संभवतः वायुसेना और वायु लड़ाकू विमान भी इसे हवा से सतह में मार करने वाले प्राथमिक हथियार के रूप में उपयोग कर सकते हैं। यह अपनी सीमा, क्षमता, और मारक क्षमता आदि में काफी विकसित है और यही कारण है कि हम सभी पुरानी मिसाइलों के स्थान पर अब ब्रह्मोस स्थापित कर रहे हैं।"

साथ ही उन्होंने कहा कि, "यह भारत में बना है, इसलिए हम किसी और पर निर्भर नहीं हैं। इसकी मरम्मत की जा सकती है, और अतिरिक्त पुर्जे उपलब्ध हैं। यह आत्मनिर्भरता भारतीय नौसेना के लिए एक महत्वपूर्ण लाभ है।"
नौसेना प्रमुख की टिप्पणियाँ सुरक्षा मामलों की कैबिनेट समिति द्वारा 19,000 करोड़ रुपये के अनुबंध के तहत 200 से अधिक ब्रह्मोस मिसाइलों के सौदे को मंजूरी देने के बाद आई हैं, जिस पर 5 मार्च को हस्ताक्षर होने की उम्मीद है।
गौरतलब है कि भारत-रूस संयुक्त उद्यम 'ब्रह्मोस एयरोस्पेस प्राइवेट लिमिटेड' सुपरसोनिक क्रूज़ मिसाइलों का उत्पादन करती है जिसे पनडुब्बियों, जहाजों, विमानों या जमीन से लक्ष्य की ओर लॉन्च किया जा सकता है। ब्रह्मोस मिसाइल 2.8 मेक यानी ध्वनि की गति से लगभग 3 गुना अधिक गति से लक्ष्य की तरफ बढ़ती है।
भारतीय वायुसेना ने पहले ही रूस से प्राप्त सुखोई लड़ाकू विमानों पर ब्रह्मोस सुपरसोनिक क्रूज़ मिसाइल को एकीकृत कर दिया है। वहीं भारत ब्रह्मोस मिसाइलों का निर्यात भी कर रहा है।
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क्या भारत ने बनाई 800 किमी तक मारक क्षमता वाली ब्रह्मोस मिसाइल?
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