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मॉरीशस के अगालेगा द्वीप पर हवाई पट्टी से भारत की हिन्द महासागर में पहुंच बढ़ेगी: विशेषज्ञ

हाल ही में भारत के प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और उनके मॉरीशस समकक्ष प्रविंद जुगनौथ ने संयुक्त रूप से मॉरीशस के अगालेगा द्वीप पर एक हवाई पट्टी और जेटी के साथ साथ द्वीप में कई भारत-सहायता प्राप्त विकास परियोजनाओं का उद्घाटन किया था।
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पीएम मोदी ने दक्षिण-पश्चिमी हिंद महासागर में रणनीतिक साझेदारी को मजबूत करने के लिए भारत की प्रतिबद्धता को रेखांकित किया। अगालेगा द्वीप पर बनाई जाने वाली हवाई पट्टी का उद्देश्य क्षेत्र में बढ़ती नौसैनिक गतिविधियों को ध्यान में रखकर देश की समुद्री सुरक्षा क्षमताओं को मजबूत बनाना है।
द्वीप पर उन्नत हवाई पट्टी और जेटी प्रमुख रणनीतिक परियोजनाएं हैं। उत्तरी अगालेगा द्वीप पर मौजूदा हवाई पट्टी भारतीय नौसेना के डोर्नियर विमान संचालन के लिए उपयुक्त है, लेकिन उन्नत हवाई पट्टी बड़े समुद्री टोही विमान को भी संचालित करने में सक्षम होगी।
Sputnik India ने भारतीय नौसेना में कैप्टन के पद से सेवानिवृत्त और रक्षा मामलों के जानकार आलोक बंसल से जानने की कोशिश की कि इस हवाई पट्टी के उन्नत हो जाने से भारतीय नौसेना की पहुंच में कैसे बढ़ावा होगा तब उन्होंने जवाब देते हुए बताया कि यहां पर हवाई अड्डे के बनने से भारतीय वायु यानों की पहुंच हिन्द महासागर क्षेत्र में काफी बढ़ जाएगी।

"मॉरीशस में जो हवाई पट्टी डिवेलप की जा रही है यह मॉरिसिस से काफी दूर उत्तर में हिन्द महासागर के केंद्र के पास स्थित है। और वायु सुरक्षा मिलने के बाद नौसेना की ताकत में कई गुना इजाफा होगा। भारत द्वारा मिनीकॉय में बनाया गया नवल बेस भी बहुत ही महत्वपूर्ण है," रक्षा विशेषज्ञ कैप्टन (सेवानिवृत्त) आलोक बंसल ने कहा।

आगे उन्होंने बताया कि भारत की नौसैनिक गतिविधियों की सुरक्षा करना भारतीय नौसेना और सशत्र सेनाओं की जिम्मेदारी है, भारतीय नौसेना हिन्द महासागर क्षेत्र में सबसे बड़ी नौसेना है।
विशेषज्ञ ने इस हवाई पट्टी के नौसैनिक अभ्यासों में काम आने के बारे में बात करते हुए बताया कि यहां से उड़ने वाले वायुयान संयुक्त नौससैनिक अभ्यासों में मदद कर सकते हैं।
"जिस जगह यह बनाया जा रहा है यह रणनीतिक तौर पर बहुत महत्वपूर्ण है जहां बहुत कम लोग रहते हैं। अगर देखा जाए तो यह एक पतला सा द्वीप है, इसका क्षेत्रफल लगभग 24 वर्ग किलोमीटर है। इसकी लोकेशन की वजह से भारतीय सशस्त्र सेनाओं के लिए यह बहुत लाभकारी हो सकता है," आलोक बंसल ने बताया।
अंत में बंसल ने हवाई पट्टी के आ जाने के बाद से देश के विमानों और जहाजों के रखरखाव और तैनाती पर पड़ने वाले प्रभाव के बारे में बात करते हुए बताया कि सभी तरह के जहाज रखरखाव के लिए देश आ सकते हैं, लेकिन यहां से लंबी दूरी के अपने मिशन पूरे करने के लिए विमान यहां से ईधन भर सकते हैं जो किसी भी मिशन के लिए बहुट आवशयक है।

"देखिए जहाज और विमान रखरखाव के लिए भारत आ सकते हैं लेकिन तैनाती और ईधन भरने जैसे काम इस हवाई पट्टी से किये जा सकते हैं, और यहां पर होने वाली तैनाती के बाद आप सोच सकते हैं कि देश की कितनी पहुंच बढ़ जाएगी। और यहां से विमान टेक ऑफ करके कहीं आगे तक जा सकता है," रक्षा विशेषज्ञ बंसल ने बताया।

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