तेजस अपनी श्रेणी का सबसे छोटा और सबसे हल्का विमान है और इसके आयाम तथा समग्र संरचना का व्यापक उपयोग इसे हल्का बनाता है। इस विमान का उपयोग जमीनी हमले, हवा से हवा में युद्ध और वायु रक्षा जैसी कई भूमिकाओं के लिए किया जा सकता है।
तेजस Mk1, Mk1A और Mk2 वेरिएंट भविष्य में भारतीय वायु सेना के मिग-21, मिग-29 और जगुआर की जगह लेंगे। इन विमानों का निर्माण हिंदुस्तान एयरोनॉटिक्स लिमिटेड (HAL) द्वारा किया जा रहा है।
तेजस मार्क 2 एक अधिक शक्तिशाली जेट है और इसे एक बड़े इंजन की आवश्यकता है। एचएएल ने इस कार्यक्रम के लिए आठ F414 इंजन खरीदे हैं। भारतीय वायु सेना तेजस Mk2 के छह स्क्वाड्रन बनाना चाहती है और प्रोटोटाइप का परीक्षण 2026 में किए जाने की उम्मीद है।
नई दिल्ली को उम्मीद है कि वह स्वदेशी निर्मित इंजन से चलने वाले स्वदेशी निर्मित जेट विमानों के जरिए अपने लक्ष्य को पूरा कर सकेगी, जिससे लागत पर नियंत्रण रहेगा और विदेशी आपूर्तिकर्ता पर निर्भर होने से भी बचा जा सकेगा।
इस बीच देश के जाने माने रक्षा विशेषज्ञ और भारतीय सेना से मेजर जनरल के पद से सेवानिवृत्त पी. के. सहगल ने Sputnik India को बताया कि "भारत के लिए दूरदृष्टि रखना बहुत जरूरी है। 15 साल बाद क्या तकनीक आएगी यह भी देखना है पांचवीं पीढ़ी के अलावा छठी पीढ़ी की तकनीक भी आ सकती है। ऐसे में भारत को भी तकनीक के मामलों में दूसरों से आगे रहना है।"
दरअसल चीन के पास पांचवीं पीढ़ी के दो लड़ाकू विमान हैं। ट्विन-इंजन हैवी फाइटर और J-20 पहले से ही सेवा में है और पीपुल्स लिबरेशन आर्मी एयर फोर्स (PLAAF) में स्क्वाड्रन की ताकत है। चीन एक मध्यम वजन का पांचवीं पीढ़ी का लड़ाकू विमान FC-31 भी विकसित कर रहा है, जिसे संभावित ग्राहकों को निर्यात किए जाने की संभावना है। पाकिस्तान इसका पहला प्राप्तकर्ता हो सकता है।
तेजस Mk2 अपने बढ़े हुए आकार और वजन के कारण अपने पूर्ववर्तियों से अलग है। यह अधिक पेलोड क्षमता की अनुमति देता है, जिसका अर्थ है कि लड़ाकू जेट अधिक शक्तिशाली और विविध प्रकार के हथियार और उपकरण ले जा सकता है, जिससे यह युद्ध के मैदान में एक शक्तिशाली जेट बन जाता है।
इसके अलावा उन्होंने कहा कि "तेजस मार्क 1 में 404 इंजन प्रयोग किया जा रहा है, वह इंजन वास्तव में कम शक्ति वाला है। और यदि तेजस को आधुनिक लड़ाकू विमान बनाना है वैसे तो बढ़िया लड़ाकू विमान है लेकिन उसमें कई सुधार किए जा रहे हैं, जिसमें बेहतर रडार, कॉकपिट, सेंसर, ईंधन भरने, मिसाइल से लैस करना आदि शामिल है। मार्क 2 ट्विन इंजन होगा और एवियोनिक्स और विजियोनिक्स बेहतर होंगे और स्टील्थ तकनीक से लैस होगा।"
तेजस Mk2 परियोजना
भारत की स्वदेशी रक्षा विनिर्माण क्षमताओं को बढ़ाने की निरंतर प्रतिबद्धता का संकेत देती है। विमान की सफलता भारत की रणनीतिक स्वतंत्रता को बढ़ाएगी और देश को वैश्विक एयरोस्पेस उद्योग में एक प्रमुख भागीदार के रूप में स्थापित करेगी।