विज्ञान एवं प्रौद्योगिकी

भारतीय सेना के पहले त्वचा बैंक को मिला अपना पहला डोनर

यह त्वचा बैंक न केवल भारतीय सेना के गंभीर रूप से झुलसे सैनिकों की सहायता करेगा अपितु उनके परिवार जनों की भी सहायता करेगा।
Sputnik
भारतीय सेना के पहले स्किन बैंक को अपना पहला डोनर मिल गया है। यह डोनर एक सेवारत सैन्यकर्मी की माँ है जिनकी सड़क दुर्घटना में मृत्यु हो गई थी, सैन्य सूत्रों ने Sputnik India को बताया।
भारतीय सेना के नई दिल्ली के रिसर्च एंड रेफरल हॉस्पिटल यानि आर आर हास्पिटल में स्किन बैंक का विधिवत उद्घाटन 18 जून को किया गया था। हॉस्पिटल के प्लास्टिक सर्जरी डिपार्टमेंट के प्रमुख ब्रिगेडियर (डॉ.) संजय मौर्य ने Sputnik India को बताया कि इस बैंक को पिछले दिसंबर में कार्य प्रारंभ करने की आधिकारिक स्वीकृति मिल गई थी और उन्होंने इसे बनाने का कार्य आरंभ कर दिया था।
29 मई को उनके पास सड़क दुर्घटना के बाद कोमा में पहुंची एक सैन्य कर्मी की माँ का मामला आया जिन्हें ब्रेन डेड घोषित कर दिया गया था। उनके परिवार जनों की स्वीकृति के बाद उनकी त्वचा को निकाला गया और अब उससे कई घायल व्यक्तियों का उपचार हो सकेगा।

ब्रिगेडियर(डॉ.) मौर्य ने बताया, "किसी व्यक्ति के मरने के 6 घंटे बाद तक उसकी त्वचा निकाली जा सकती है और अगले 4-6 सप्ताहों तक उसको संरक्षित करने का कार्य किया जाता है। एक बार संरक्षित हो जाने के बाद त्वचा को 5 वर्ष तक सुरक्षित रखा जा सकता है।"

किसी व्यक्ति की त्वचा का लगभग 30 प्रतिशत हिस्सा ही निकाला जाता है। इसमें मुख्य रूप से जांघों और शरीर के पिछले हिस्से की त्वचा ही निकाली जाती है ताकि अंतिम दर्शन के समय शव विकृत न लगे। लोगों में त्वचा दान को लेकर जागृति विकसित की जा रही है पर अभी भी इसका प्रचलन शरीर के दूसरे अंगों के दान की तुलना में कम है।
इसी डिपार्टमेंट में कार्यरत ले.कर्नल चेतना शर्मा का काम मृतक के परिवार वालों को त्वचा दान के लिए तैयार करना है।

"पहले तो किसी को यह समझाना कि अब उनका परिजन नहीं बच पाएगा, कठिन होता है। परिजनों को अपने प्रियजन के शव से त्वचा निकालने की अनुमति देने के लिए तैयार करना उससे भी अधिक कठिन होता है। ऐसे में हम उन्हें समझाते हैं कि उनका यह दान कई लोगों को नया स्वरूप देगा और इस काम से शव में किसी तरह की विकृति नहीं आएगी। उसके बाद हमारे पास त्वचा को निकालने के लिए अत्यंत कम समय बचता है इसलिए हम तत्काल अपने शल्य कार्य में लग जाते हैं," उन्होंने Sputnik India से कहा।

युद्ध क्षेत्र में सैनिक कई बार आग का शिकार हो जाते हैं और उन्हें नया स्वास्थ्य देने के लिए त्वचा का प्रत्यारोपण बहुत सहायक होता है। भारतीय सेना का यह त्वचा बैंक उनके लिए संजीवनी तुल्य होगा।
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