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भारतीय सेना कमांडरों के लिए साइबर युद्ध संबंधी दिशा-निर्देश तय

© Sputnik / Kirill Kallinikov / मीडियाबैंक पर जाएंcyberattacks
cyberattacks - Sputnik भारत, 1920, 18.06.2024
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भारतीय सेना के चीफ ऑफ डिफेंस स्टाफ जनरल अनिल चौहान ने नई दिल्ली में 18 जून को साइबर स्पेस ऑपरेशन के लिए नए सिद्धांत जारी किए हैं। इस Joint Doctrine for Cyberspace Operations से मौजूदा युद्ध के मैदान में साइबर स्पेस ऑपरेशन चलाने के लिए सैनिक अधिकारियों को मदद मिलेगी।
आधुनिक समय में ज़मीन, आसमान और समुद्र के बाद साइबर स्पेस लड़ाई का नया मैदान बन गया है। साइबर हमले कहीं से भी किए जा सकते हैं और इनकी पहुंच असीमित है। साइबर हमलों से बिना कोई सैनिक कार्रवाई किए ही किसी देश की अर्थव्यवस्था, राजनैतिक नेतृत्व और रक्षा व्यवस्था को छिन्न-भिन्न किया जा सकता है।
रक्षा मंत्रालय ने बताया कि इस नई डॉक्ट्रिन से साइबर स्पेस रणनीति को समझने, उन्हें पहचानने और उनसे बचाव के तरीकों की नींव डाली जाएगी। भारत ने पिछले दशक से साइबर स्पेस ऑपरेशन की अपनी क्षमता को विकसित करना शुरू कर दिया था।
2018 में भारत ने अपनी तीनों सेनाओं की संयुक्त कमान में Defence Cyber Agency का गठन किया था। इस नई कमान को साइबर हमलों से बचाव, सेना के संचार नेटवर्क को हैकर्स से सुरक्षित करना, चौकसी और निगरानी की ज़िम्मेदारी दी गई थी। कमान को हार्ड ड्राइव या सेलफोन से डिलीट किए गए डाटा को दोबारा तैयार करने और गुप्त संचार को तोड़ने की भी ज़िम्मेदारी दी गई थी। इसी कमान को भविष्य में साइबर स्पेस के लिए डॉक्ट्रिन तैयार करने की ज़िम्मेदारी दी गई थी।

भारत समेत दुनिया के कई देश इस समय साइबर हमलों का ख़तरा झेल रहे हैं। इन हमलों को करना आसान और बहुत सस्ता है। साथ ही इस तरह के हमलों में ये पता लगाना बहुत मुश्किल होता है कि इन्हें कहां से शुरू किया गया है। इस तरह के हमलों के निशाने पर महत्वपूर्ण सैनिक ठिकानों के अलावा बैंक, रेल, मेट्रो, संचार, बिजली जैसे सिस्टम होते हैं जिनके ठप होते ही अव्यवस्था फैल जाती है।

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