इस समझौता ज्ञापन का उद्देश्य बीईएल और रोसोबोरोनएक्सपोर्ट की पूरक शक्तियों और क्षमताओं का लाभ उठाना है। यह भारत सरकार की 'मेक इन इंडिया' और 'आत्मनिर्भर भारत' पहलों के अनुरूप भारतीय सेना की आवश्यकता के अनुसार गोला-बारूद के स्वदेशीकरण उत्पादन को सक्षम बनाएगा।
बयान में कहा गया, "समझौते के अंतर्गत स्वदेशी 30 mm गोलाबारूद (HEI और HET), 40 mm गोलाबारूद (VOG-25) और 30 mm ग्रेनेड गोलाबारूद (VOG-30 D) के लाइसेंस प्राप्त उत्पादन और आपूर्ति में सहयोग हो सकेगा।"
वस्तुतः भारत में रूसी रोसोबोरोनएक्सपोर्ट का कार्य "व्यापक औद्योगिक साझेदारी का एक उत्कृष्ट उदाहरण" है, जिसके अंतर्गत सभी प्रकार के हथियारों के लिए संयुक्त परियोजनाएं विकसित की गई हैं, जो भारत और रूस की कंपनियों के मध्य रक्षा सहयोग के एक उत्कृष्ट स्तर को दर्शाता है।
ज्ञात है कि रूसी रक्षा दिग्गज और रोस्टेक स्टेट कॉरपोरेशन की एक प्रमुख इकाई रोसोबोरोनएक्सपोर्ट ने इस महीने की आरंभ में भारत में मैंगो कवच-भेदी टैंक राउंड का निर्माण आरंभ कर दिया है। इसे समग्र कवच से सुसज्जित बख्तरबंद वाहनों को भेदने के लिए डिजाइन किया गया है, जो आधुनिक युद्ध परिदृश्यों के लिए एक महत्वपूर्ण क्षमता है।
बता दें कि रोसोबोरोनएक्सपोर्ट रूस और भारत के मध्य 1950 के दशक के मध्य से चले आ रहे दीर्घकालिक सैन्य-तकनीकी सहयोग को रेखांकित करता है। एक रिपोर्ट के अनुसार वर्तमान में, भारत की 70% सशस्त्र सेनाएँ सोवियत या रूसी हथियारों से सुसज्जित हैं।