9 अक्टूबर को दिल्ली में प्रधानमंत्री की अध्यक्षता वाली सुरक्षा मामलों की कैबिनेट कमेटी यानी सीसीएस ने लगभग 40000 करोड़ रुपए की लागत से बनने वाली इन सबमरीन को मंज़ूरी दी, भारतीय मीडिया ने बताया।
रक्षा मंत्रालय के सूत्रों के मुताबिक इन सबमरीन में 95 प्रतिशत से ज्यादा स्वदेशी उपकरण होंगे और इसे विशाखापट्टनम के शिप बिल्डिंग सेंटर में बनाया जाएगा। इसमें 190 मैगावॉट के लाइट वाटर रिएक्टर से ऊर्जा दी जाएगी।
रक्षा मंत्रालय के सूत्रों के अनुसार, इसमें स्वदेशी टारपीडो वरुणास्त्र के अलावा ज़मीनी ठिकानों पर हमला करने के लिए स्वदेशी निर्भय मिसाइल लगाई जाएगी। निर्भय की मारक क्षमता 1000 किमी तक है। इसमें ब्रह्मोस मिसाइलें लगाई जाएंगी।
Sputnik India ने 10 अगस्त को अपनी रिपोर्ट में बताया था कि भारत हिंद महासागर में अपनी शक्ति मज़बूत करने के लिए इस साल के अंत तक न्यूक्लियर सबमरीन बनाने का अंतिम फैसला कर सकता है। इस प्रोजेक्ट 75(A) को भारत सरकार ने फरवरी 2015 में मंज़ूरी दी थी। सबमरीन का डिज़ायन भारतीय नौसेना का वारशिप डिज़ाइन ब्यूरो तैयार कर रहा है।
अभी भारतीय नौसेना के पास 7 सिंधु क्लास, 4 शिशुमार क्लास और 5 स्वदेशी कलवरी क्लास सबमरीन हैं। अरिहंत क्लास की दो SSBN अरिहंत और अरिघात भी भारतीय नौसेना में शामिल हो चुकी हैं। रिपोर्टों के अनुसार, इसी क्लास की तीसरी सबमरीन अरिदमन के अगले वर्ष भारतीय नौसेना में शामिल होने की संभावना है। कलवरी क्लास की 6वीं और अंतिम सबमरीन वागशीर के अगले महीने नौसेना में शामिल होने की संभावना है।