भारतीय रक्षा मंत्रालय के सूत्रों ने Sputnik इंडिया को बताया है कि 9 दिसंबर को रूस के कलिनिनग्राड के यांतर शिपयार्ड में पहली बार तुशील पर भारतीय नौसेना का ध्वज लगाया जाएगा।
इस गाइडेड मिसाइल फ्रिगेट को ब्रह्मोस मिसाइलों से लैस किया गया है, जिससे इसे दुश्मन के जहाज़ों और ज़मीनी ठिकानों पर हमला करने की जबरदस्त शक्ति मिलती है। इनकी अधिकतम रफ्तार 30 नॉटिकल मील प्रति घंटे की है और इस रफ्तार से यह एक बार में 3000 किमी तक की दूरी तय कर सकता है। इसमें हवाई हमले से सुरक्षा के लिए मध्यम दूरी तक मार करने वाली श्टिल और छोटी दूरी पर सुरक्षा के लिए इगला मिसाइल सिस्टम लगाए गए हैं।
दुश्मन की सबमरीन से निपटने के लिए इस जहाज़ में एंटी सबमरीन रॉकेट्स और टॉरपीडो लगाए गए हैं। समुद्र की सतह पर नज़र रखने के लिए लगाए गए रडार और पानी के अंदर तलाश करने के लिए लगाए गए सोनार अत्याधुनिक हैं। जहाज़ में लगा कॉम्बेट मैनेजमेंट सिस्टम हर हथियार को कम समय में और कारगर ढंग से इस्तेमाल करने में मदद करता है। इन फ्रिगेट्स पर एक हेलीकॉप्टर तैनात किया जा सकता है।
2016 में भारत और रूस के बीच चार तेग क्लास स्टेल्थ फ्रिगेट्स बनाने के लिए समझौता हुआ था जिनमें से दो रूस में और दो भारत में बनने थे। भारत में फ्रिगेट्स का निर्माण गोवा शिपयार्ड में हो रहा है जिसमें रूस तकनीकी सहायता दे रहा है। गोवा स्थित गोवा शिपयार्ड में बनने वाले जंगी जहाज़ों में से पहले त्रिपुट को 23 जुलाई को समुद्री परीक्षणों के लिए पानी में उतार दिया गया है। त्रिपुट के सभी समुद्री परीक्षण अगले दो साल में पूरा होने की संभावना है।
भारत में तलवार क्लास के युद्धपोतों का भारतीय नौसेना में शामिल होना 2003 से शुरू हो गया था और इस क्लास के 6 जंगी जहाज़ इस समय भारतीय नौसेना में हैं। इनमें से से चार को लंबी दूरी तक मार करने वाली ब्रह्मोस मिसाइलों से लैस किया जा चुका है जबकि बाकी दो को जल्द ही ब्रह्मोस से लैस कर दिया जाएगा।