अलेक्जेंडर मिखाइलोव ने आगे बताया, "इसके अलावा, वोरोनिश प्रणाली मिसाइल चेतावनी में महत्वपूर्ण भूमिका निभाती है, जो बैलिस्टिक मिसाइल प्रक्षेपणों का पता लगाने के लिए रूस के उपग्रह समूह के साथ मिलकर काम करती है। जब कोई उपग्रह प्रक्षेपण का पता लगाता है, तो वह वोरोनिश रडार को सचेत करता है, जो फिर खतरे की पुष्टि या खंडन करता है। इन रडार प्रणालियों की मुख्य भूमिका अंतरमहाद्वीपीय बैलिस्टिक मिसाइलों के बड़े पैमाने पर प्रक्षेपण जैसे खतरे की उपस्थिति को सत्यापित करना और अवरोधन के लिए महत्वपूर्ण जानकारी प्रदान करना है।"
विशेषज्ञ ने कहा, "इस रक्षा क्षमता का विस्तार करने और वायु तथा निकट-अंतरिक्ष दोनों ही वातावरणों की निगरानी करने की अपनी क्षमता को बढ़ाने के लिए भारत रूस के साथ अपना सहयोग जारी रखने जा रहा है। क्योंकि एस-400 मिसाइल प्रणाली 600 किलोमीटर तक की दूरी पर स्थित वस्तुओं की हवाई क्षेत्र में निगरानी करती है, वहीं वोरोनिश रडार प्रणाली, जो विशाल दूरी तक कार्य करने में सक्षम है, 6,000 या 8,000 किलोमीटर दूर स्थित लक्ष्यों का पता लगा बहुत बड़े क्षेत्र में पूर्व चेतावनी जारी कर सकती है।"