3300 टन वज़नी इस पोत में समुद्र के अंदर जाने वाले ड्रोन, रिमोट से चलने वाली छोटी नावें, सर्वेक्षण में काम आने वाली मोटर बोट के अलावा एक हेलीकॉप्टर तैनात होगा।
इस पोत द्वारा एकत्र डाटा का इस्तेमाल सैनिक कार्यों के अलावा नागरिक पोत परिवहन में भी किया जाएगा।
नौसेना की आधिकारिक प्रेस विज्ञप्ति में बताया गया कि समारोह में भारत सरकार के रक्षा राज्यमंत्री संजय सेठ के अलावा पूर्वी नौसेना कमान के प्रमुख वाइस एडमिरल राजेश पेंढेरकर भी शामिल थे।
रक्षा राज्यमंत्री ने कहा कि "जब भारतीय नौसेना का कोई सर्वेक्षण पोत किसी मित्र राष्ट्र की सहायता के लिए मिशन पर निकलता है तो वह प्रमाण देता है कि भारत बिना किसी प्रतिदान की इच्छा के सभी की सहायता करता है।" उन्होंने कहा कि विदेशी समुद्री बेड़े हाइड्रोग्राफिक सहयोग के लिए भारतीय नौसेना से आशा करते हैं, "इस नए सर्वेक्षण पोत के शामिल होने के बाद अब हम ज्यादा सशक्त हुए हैं।"
इस पोत का निर्माण GRSE कोलकाता में किया गया है और यह 80 प्रतिशत स्वदेशी है। इस तरह के कुल चार पोत बन रहे हैं जिनमें से दो नौसेना में शामिल हो चुके हैं। बाकी दो इक्षक और संसोधक के अगले वर्ष नौसेना में शामिल होने की संभावना है। भारतीय नौसेना के पास इनसे छोटे 6 सर्वेक्षण पोत हैं।
भारत के पास 23 लाख वर्ग किलोमीटर से ज्यादा का एक्सक्लूसिलव इकोनॉमिक ज़ोन है जहां समुद्र की संपदा के दोहन के लिए लगातार सर्वेक्षण की आवश्यकता होती है। इसके साथ ही हिंद महासागर और अरब सागर दुनिया के सबसे व्यस्त समुद्री व्यापार मार्ग हैं जहां समुद्र के लगातार सर्वेक्षण से आवागमन सुरक्षित बनाया जाता है।