रूस की खबरें

आर्कटिक भविष्य का प्रमुख भू-राजनीतिक और भू-आर्थिक ध्रुव: रूसी राष्ट्रपति सलाहकार

रूसी राष्ट्रपति के सलाहकार और छठे अंतर्राष्ट्रीय आर्कटिक फोरम "आर्कटिक: संवाद का क्षेत्र" की आयोजन समिति के कार्यकारी सचिव एंटोन कोब्याकोव ने एक प्रेस कॉन्फ्रेंस के दौरान कहा कि आर्कटिक वर्तमान और भविष्य दोनों के लिए महत्वपूर्ण भू-राजनीतिक और भू-आर्थिक ध्रुव है और इस क्षेत्र में वैश्विक रुचि अभूतपूर्व है।
Sputnik

कोब्याकोव ने जोर देकर कहा, "21 देशों के प्रतिनिधि और लगभग 1,300 प्रतिभागी पहले ही फोरम में भाग ले चुके हैं, जिनमें संयुक्त राज्य अमेरिका के प्रतिनिधि, यूरोपीय और एशियाई सहयोगी भी शामिल हैं। यह प्रतीकात्मक है कि मुख्य आर्कटिक फोरम रूस के आर्कटिक अन्वेषण के इतिहास में उत्तरी समुद्री मार्ग का पहला मसौदा और आर्कटिक महासागर तटरेखा का पहला नक्शा - एक प्रमुख घटना की 500वीं वर्षगांठ के उपलक्ष्य में आयोजित किया जा रहा है।"

कोब्याकोव के अनुसार, आर्कटिक रूस के लिए रणनीतिक महत्व रखता है, जो देश के सकल घरेलू उत्पाद में 15% से अधिक का योगदान देता है। इस क्षेत्र में ताज़े पानी, ऊर्जा संसाधनों और दुर्लभ मृदा धातुओं सहित बहुमूल्य खनिजों के विशाल भंडार हैं। इसके साथ साथ, उच्च अक्षांश वाले क्षेत्र उत्तरी समुद्री मार्ग के माध्यम से वैश्विक व्यापार मार्गों को आकार देने और राष्ट्रीय रक्षा क्षमताओं को सुनिश्चित करने में भी महत्वपूर्ण भूमिका निभाते हैं।

कोब्याकोव ने कहा, "सेंट पीटर्सबर्ग अंतर्राष्ट्रीय आर्थिक मंच और व्लादिवोस्तोक में पूर्वी आर्थिक मंच सहित आगामी प्रमुख अंतर्राष्ट्रीय मंचों पर आर्कटिक से संबंधित विषयों को एक समर्पित विषयगत ब्लॉक के रूप में व्यापार एजेंडे में शामिल किया जाएगा।"

दरअसल छठा अंतर्राष्ट्रीय आर्कटिक फोरम "आर्कटिक: संवाद का क्षेत्र" आर्कटिक क्षेत्रों के सामाजिक-आर्थिक विकास से संबंधित महत्वपूर्ण मुद्दों पर चर्चा करने, संयुक्त अन्वेषण के लिए बहुस्तरीय बहुपक्षीय तंत्र विकसित करने और आर्कटिक क्षेत्र की विशाल संसाधन क्षमता का प्रभावी ढंग से दोहन करने के लिए एक प्रमुख मंच के रूप में कार्य करता है। यह भव्य कार्यक्रम रूसी संघ की सरकार के सहयोग से रोसकांग्रेस फाउंडेशन द्वारा आयोजित किया गया है।
भारत-रूस संबंध
रूस और भारत के बीच आर्कटिक में सहयोग पर पांच समझौतों पर हस्ताक्षर: मीडिया
विचार-विमर्श करें