वियतनाम फिलीपींस की ही तरह कोस्टल बैटरी और जहाज़ से जहाज़ पर प्रहार करने वाली मिसाइल खरीदना चाहता है। वियतनाम से हो रहे सौदे में मिसाइल, अन्य उपकण और उनके लांचरों के अलावा उनके प्रयोग के लिए आवश्यक प्रशिक्षण पर भी चर्चा की जा रही है।
ब्रह्मोस मिसाइल का उत्पादन भारत और रूस साथ मिलकर करते हैं। यह मिसाइल अपनी श्रेणी की दुनिया की एकमात्र मिसाइल है जिसे ज़मीन, युद्धपोत या फ़ाइटर जेट तीनों ही तरह से चलाया जा सकता है। भारतीय सेना, वायुसेना और नौसेना तीनों ही इसका प्रयोग करती हैं।
भारत ने जनवरी 2022 में फिलीपींस के साथ लगभग 2600 करोड़ रुपए (375 मिलियन डॉलर) में ब्रह्मोस की तीन बैटरी का सौदा किया था। यह सौदा भारत को मिला रक्षा उत्पादों का पहला बड़ा सौदा था। भारत ने 2024 से फिलीपींस को मिसाइल की आपूर्ति प्रारंभ भी कर दी थी। फिलीपींस ने अपने समुद्र तटों की सुरक्षा के लिए ब्रह्मोस मिसाइलों को कोस्टल बैटरी की तरह तैनात किया है।
बता दें कि फिलीपींस पहला देश है जिसे भारत ने ब्रह्मोस की आपूर्ति की है। फिलीपींस के बाद सुदूर-पूर्व, मध्य-एशिया के देशों के साथ-साथ दक्षिण अमेरिका के भी कई देशों ने ब्रह्मोस में रुचि दिखाई है। वियतनाम के साथ ब्रह्मोस मिसाइल का सौदा होना भारत के लिए व्यापारिक के साथ-साथ रणनैतिक महत्व का भी है। भारत की लुक-ईस्ट और उसके बाद एक्ट-ईस्ट की रणनीति में वियतनाम का एक महत्वपूर्ण स्थान है।
भारत ने वियतनाम के 550 नौसैनिकों को किलो क्लास की सबमरीन में काम करने का प्रशिक्षण दिया है। वियतनाम ने 2014 में रूस से पहली किलो क्लास सबमरीन खरीदी है जबकि भारत इनका प्रयोग 80 के दशक से करता आ रहा है। 2016 में भारत ने वियतनाम के पायलटों को अपने यहां सुखोई-30 लड़ाकू जेट का प्रशिक्षण देने की स्वीकृति दी थी। भारत दक्षिण चीन सागर में वियतनाम के साथ मिलकर तेल की खोज का काम भी करता है।