मिसाइलों को पूर्वी भारतीय राज्य ओडिशा के तट पर अब्दुल कलाम द्वीप से प्रक्षेपित किया गया। दोनों मिसाइलों ने इच्छित प्रक्षेप पथ का अनुसरण किया और उच्च सटीकता के साथ अपने लक्ष्यों तक पहुँचीं, तथा सभी निर्धारित कार्यों को पूरी तरह से पूर्ण किया, भारतीय रक्षा मंत्रालय ने बताया।
डीआरडीओ प्रमुख समीर कामथ ने कहा कि इस सफल परीक्षण से प्रलय मिसाइलों को भारतीय थल सेना में शीघ्र सम्मिलित करने का मार्ग प्रशस्त हो गया है। रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह ने कहा कि आधुनिक प्रौद्योगिकियों से लैस प्रलय, बाहरी संकटों के दृष्टिकोण से देश की रक्षा क्षमता को महत्वपूर्ण तकनीकी बढ़ावा प्रदान करेगा।
भारतीय कम दूरी की सतह से सतह पर मार करने वाली बैलिस्टिक मिसाइल प्रलय को डीआरडीओ द्वारा 2015 से चार वर्षों की अवधि में विकसित किया गया था। इसकी मारक क्षमता 150 से 500 किमी है। प्रलय को मोबाइल लांचर से प्रक्षेपित किया जा सकता है और यह उन्नत मार्गदर्शन प्रणालियों से सुसज्जित है।
इस मिसाइल को रडार स्टेशनों, कमांड पोस्टों और रनवे जैसे जमीनी लक्ष्यों को भेदने के लिए डिज़ाइन किया गया है। इसे अर्ध-बैलिस्टिक मिसाइल माना जाता है, जिसका अर्थ है कि यह एक प्रक्षेप पथ का अनुसरण करते हुए भी उड़ान के समय पैंतरेबाज़ी कर सकती है। प्रलय को चीन और पाकिस्तान से लगती भारत की सीमा पर नियुक्त किये जाने की संभावना है।