भारत सरकार और HAL के बीच 12 दिसंबर 2024 को 12 अतिरिक्त सुखोई-30 लड़ाकू जेट का सौदा हुआ हुआ था।
सूत्रों के अनुसार, इनके अतिरिक्त 3 सुखोई-30 जेट HAL के लिए बनाए जा रहे हैं जिनका प्रयोग प्रशिक्षण जैसे अन्य कार्यों में किया जाएगा। इस तरह अब HAL के नासिक केन्द्र में कुल 15 सुखोई-30 बनाए जा रहे हैं।
भारत और रूस के बीच हुए समझौते के बाद भारतीय वायुसेना के लिए कुल 272 सुखोई-30 खरीदे गए थे। भारतीय वायुसेना में इस समय सबसे अधिक संख्या सुखोई-30 लड़ाकू विमानों की ही है जिनका वायुसेना में शामिल होना 2002 से प्रारंभ हुआ था।
सुखोई-30 जेट 8 टन से ज्यादा भार के 12 से 14 अस्त्र ले जा सकता है। इससे हवा से हवा में मार करने वाली मिसाइलों के अतिरिक्त हवा से ज़मीन पर मार करने वाली मिसाइलें, रॉकेट और बम दागे जा सकते हैं। इसमें सबसे घातक अस्त्र ब्रह्मोस मिसाइल है जिससे शत्रु के युद्धपोत या ज़मीनी ठिकानों पर हमला किया जा सकता है।