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ब्रह्मोस की नई फेसिलिटी से मिसाइलों का पहला बैच रवाना होगा शनिवार को

© AP Photo / AJIT KUMARIndia's supersonic Brahmos cruise missiles pass during a full dress rehearsal of a Republic Day parade in New Delhi, India, Thursday, Jan. 23, 2003. The Brahmos missile will be displayed for the first time on the 55th Indian Republic Day on Jan. 26. The missile is being developed jointly by Russian and Indian scientists. Brahmos missile can hit underwater and overland targets located between 100 to 300 kilometers (60 to 180 miles) away and is expected to be inducted into the Indian Navy by 2004. (AP Photo/Ajit Kumar)
India's supersonic Brahmos cruise missiles pass during a full dress rehearsal of a Republic Day parade in New Delhi, India, Thursday, Jan. 23, 2003. The Brahmos missile will be displayed for the first time on the 55th Indian Republic Day on Jan. 26. The missile is being developed jointly by Russian and Indian scientists. Brahmos missile can hit underwater and overland targets located between 100 to 300 kilometers (60 to 180 miles) away and is expected to be inducted into the Indian Navy by 2004. (AP Photo/Ajit Kumar) - Sputnik भारत, 1920, 16.10.2025
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स्वदेशी सुपरसोनिक क्रूज़ मिसाइल ब्रह्मोस के सबसे नए लखनऊ केंद्र से मिसाइलों की पहली खेप 18 अक्टूबर को भारतीय सेनाओं को मिल जाएगी। रक्षामंत्री और उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ इस समारोह में उपस्थित रहेंगे।
लखनऊ में ब्रह्मोस की फेसिलिटी से प्रति वर्ष 150 मिसाइलों के उत्पादन का लक्ष्य रखा गया है। पहले बैच में मिलने वाली ब्रह्मोस मिसाइलों की रेंज 290 से लेकर 400 किमी तक की होगी यानि वह सभी मौजूदा श्रेणी की ही होंगी। हालांकि इसी फेसिलिटी में ब्रह्मोस के नई पीढ़ी के अत्याधुनिक अवतार ब्रह्मोस (NG) का उत्पादन किया जाएगा।
ब्रह्मोस (NG) की रेंज 1200 किमी से भी अधिक होगी और इसका भार 1.5 टन के आसपास होगा। इतने कम वज़न के कारण यह भारतीय वायुसेना के मिग-29, तेजस जैसे हल्के लड़ाकू विमानों में भी लगाई जा सकेगी। अभी ब्रह्मोस को भारतीय वायुसेना के सुखोई-30 लड़ाकू जेट में ही लगाई जा सकती है।
ब्रह्मोस मिसाइल भारत और रूस का साझा उत्पादन है जिसका प्रयोग भारतीय सेना, नौसेना और वायुसेना तीनों ही करती हैं। इस सुपरसोनिक क्रूज़ मिसाइल को ज़मीन, आसमान और समुद्र तीनों से ही दागा जा सकता है। भारतीय सेना में ब्रह्मोस की कुल चार रेजिमेंट हैं जो अलग-अलग रेंज वाली ब्रह्मोस से युक्त हैं।
भारतीय नौसेना के सभी नए मुख्य युद्धपोत 290 से लेकर 800 किमी तक मार करने वाली ब्रह्मोस से लैस हैं। पुराने युद्धपोतों को भी ब्रह्मोस से लैस किया जा रहा है ताकि हर मुख्य युद्धपोत लंबी दूरी तक मार करने वाली ब्रह्मोस से लैस रहे।
भारतीय वायुसेना की तंजावुर में तैनात स्क्वाड्रन के 40 सुखोई-30 लड़ाकू जेट 450 किमी तक हवा से सतह पर मार करने वाली ब्रह्मोस से लैस किए गए हैं। भविष्य में 84 अन्य सुखोई भी 800 किमी तक मार करने वाली ब्रह्मोस से लैस किए जाएंगे।
भारत के अतिरिक्त फिलीपींस की नौसेना भी ब्रह्मोस का प्रयोग करती है। वियतनाम, इंडोनेशिया और ब्राज़ील जैसे कई देश ब्रह्मोस की खरीदी में रुचि दिखा रहे हैं। मई में भारत और पाकिस्तान के बीच हुए संघर्ष में हवा से सतह पर मार करने वाली ब्रह्मोस ने युद्ध का पांसा पलट दिया था। ब्रह्मोस के प्रहार से पाकिस्तान के 11 एयरबेस नष्ट हो गए थे।
BrahMos - Sputnik भारत, 1920, 30.08.2025
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