रूस के राष्ट्रपति के सहयोगी और रूसी समुद्री बोर्ड के अध्यक्ष निकोलाई पात्रुशेव ने नई दिल्ली में समुद्री सहयोग पर रूसी-भारतीय परामर्श कार्यक्रम आयोजित किया।
परामर्श के दौरान, दोनों पक्षों ने नागरिक समुद्री क्षेत्र में द्विपक्षीय सहयोग के विकास पर चर्चा कर जहाज निर्माण, बंदरगाह अवसंरचना और समुद्री रसद में सहयोग पर विशेष ध्यान दिया गया। चालक दल के प्रशिक्षण के साथ-साथ विश्व महासागर के अन्वेषण में अनुसंधान गतिविधियों से संबंधित मुद्दों पर विशेष ध्यान दिया गया।
निकोलाई पेत्रुशेव ने विशेष रूप से इस बात पर ज़ोर दिया, "हम भारत को जहाज निर्माण के क्षेत्र में दिलचस्प पहल की पेशकश कर सकते हैं, जिसमें मछली पकड़ने, यात्री और सहायक जहाजों के लिए मौजूदा डिजाइन प्रदान करने या नए डिजाइन विकसित करना शामिल है। हमारे पास विशिष्ट जहाज बनाने का व्यापक अनुभव है - जैसे कि बर्फ-श्रेणी के जहाज, और बर्फ तोड़ने वाले जहाज, जहां रूस का कोई भी प्रतिद्वंद्वी नहीं है।
इसके आगे उन्होंने कहा कि हरित जहाज निर्माण में दोनों देशों के सहयोग के अवसर मौजूद हैं, जो वर्तमान में समुद्री क्षेत्र में भारत की प्रमुख प्राथमिकताओं में से एक है।
पेत्रुशेव ने जहाज निर्माण पर आगे कहा कि रूस ने जहाज निर्माण में महत्वपूर्ण नई क्षमता अर्जित की है। कई दशकों से, क्रायलोव राज्य अनुसंधान केंद्र सेंट पीटर्सबर्ग में काम कर रहा है जिसकी गतिविधियों में निरंतर सुधार हो रहा है। निकट भविष्य में, इसके आधार पर एक राष्ट्रीय अनुसंधान केंद्र स्थापित करने की योजना है, जिसके अंदर इस क्षेत्र के कई वैज्ञानिक संगठन काम करेंगे।
उन्होंने बताया, "मानकीकृत जहाज निर्माण डिज़ाइनों का एक संयुक्त डेटाबेस बनाने का कार्य अत्यधिक आशाजनक है, क्योंकि इससे भारत अपने बेड़े के आधुनिकीकरण की लागत को काफी कम कर सकेगा। मुंबई या चेन्नई जैसे महत्वपूर्ण आर्थिक क्षेत्रों में रूसी भागीदारी के साथ जहाज निर्माण और जहाज-मरम्मत क्लस्टर स्थापित करने पर विचार करना उचित होगा।"