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‘अच्छा’ दोस्त: अपने देश और विदेश में अमेरिका की गुप्त कार्रवाइयों का इतिहास
‘अच्छा’ दोस्त: अपने देश और विदेश में अमेरिका की गुप्त कार्रवाइयों का इतिहास
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पत्रकार और पुलित्जर पुरस्कार विजेता सीमोर हर्श ने जर्मनी में रूसी प्राकृतिक गैस की आपूर्ति करने वाली चार नॉर्ड स्ट्रीम पाइपलाइनों में से तीन नष्ट करने के लिए अमेरिका पर आरोप लगाया।
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अमेरिकी खोजी पत्रकार और पुलित्जर पुरस्कार विजेता सेमूर हर्ष के बयान के कारण इस सप्ताह बहुत लोगों को आश्चर्य हुआ जब उन्होंने जर्मनी में रूसी प्राकृतिक गैस की आपूर्ति करने वाली चार नॉर्ड स्ट्रीम पाइपलाइनों में से तीन को नष्ट करने के लिए अमेरिका पर आरोप लगाया।जबकि अमेरिका ने पिछले साल के सितंबर में पाइपलाइन को नष्ट करने से संबंधित दावों को नज़ारअंदाज किया था, हर्ष ने दावा किया कि अमेरिकी नौसेना के गोताखोर ने पिछली गर्मियों में बाल्टिक सागर में नाटो के अभ्यास के दौरान नॉर्ड स्ट्रीम में विस्फोटक उपकरण रखा था।पत्रकार ने इस अभियान की योजना से परिचित एक सूत्र के हवाले से लिखा कि विस्फोटक उपकरण को रखे जाने के कई हफ्तों बाद दूर से अमल में लाया गया था।हालांकि व्हाइट हाउस ने आधिकारिक रूप से अमेरिका की भागीदारी से इनकार किया, अमेरिकी सरकार और गुप्त सेवाओं का जासूसी और तोड़फोड़ के माध्यम से वाशिंगटन के हितों को आगे बढ़ाने का लंबा इतिहास है। वे लगातार कहते रहे कि उन्होंने यह नहीं किया था।आइवी बेल्सहर्ष बताते हैं कि यह पहली बार नहीं थी जब अमेरिका ने समुद्र की सतह के बहुत नीचे गुप्त अभियान चलाया। 1970 के दशक में अमेरिकी विशेषज्ञ ओखोटस्क सागर में पानी के नीचे सोवियत नौसेना के संचार केबल पर वायरटैप रखने में कामयाब हुए थे।हालांकि, नॉर्ड स्ट्रीम पर हमले के विपरीत, इस कार्रवाई का उद्देश्य नागरिकों की नहीं, सैन्य की संरचना ही था। इस कार्य ने अमेरिका को मूल्यवान खुफिया जानकारी प्राप्त करने में मदद की और किसी सहयोगी देश की अर्थव्यवस्था को नुकसान नहीं किया। जबकि नॉर्ड स्ट्रीम के विस्फोट ने जर्मनी यानी अमेरिका के सहयोगी देश को सस्ते प्राकृतिक गैस के प्राथमिक स्रोत से वंचित कर दिया।हमने यह नहीं किया बातें छिपकर सुनने और विस्फोट करने के अलावा अमेरिका ने दुनिया भर में बहुत सी गुप्त कार्रवाइयाँ की हैं। यह करते हुए उसने किसी से इसके बारे में कुछ नहीं बताया और रंगे हाथों पकड़े जाने तक जिम्मेदारी से इनकार किया।1950 के दशक में, यूएस सेंट्रल इंटेलिजेंस एजेंसी (सीआइए) ने ईरानी प्रधान मंत्री मोहम्मद मोसादेग को गिराने का आयोजन किया था, जिसमें आतंकी हमले शामिल थे। उन आतंकी हमलों के लिए स्थानीय साम्यवादियों को दोषी ठहराया गया, जिन्होंने मोसादेग की सरकार का समर्थन किया था।क्यूबा के साम्यवादियों के नेता फिदेल कास्त्रो ने किसी की बात माने बिना अपने देश को चलाने का निर्णय किया था। इसके कारण उनको गिराने के लिए अमेरिकी सरकार ने उनकी हत्या करने के दर्जनों प्रयास किए। इसके अलावा अमेरिका द्वारा वित्त पोषित और निर्देशित क्यूबाई निर्वासितों के समूह ने बड़े पैमाने पर आक्रमण भी किया।1980 के दशक में अमेरिका ने गुप्त रूप से ईरान को हथियार बेचता रहा। हालांकि 1979 की ईरानी क्रांति के बाद वाशिंगटन ने ईरान को दुश्मन कहा, अमेरिका ने इन बिक्री से प्राप्त धन का प्रयोग निकारागुआ में कॉन्ट्रास विद्रोही समूहों को गुप्त रूप से वित्तपोषित करने के लिए किया, जो मार्क्सवादी सैंडिनिस्टा सरकार से लड़ रहे थे।इस तरह की अमेरिकी गुप्त कार्रवाइयों के बारे में जानकारी आम तौर पर जनता के लिए तब उपलब्ध हो जाती है जब सीआईए के गुप्त दस्तावेजों को उन कार्रवाइयों के दशकों बाद दिखाया जाता है या वह जानकारी अमेरिकी कांग्रेस द्वारा जांच करने के कारण रोशनी में आती है।घर जैसी कोई जगह नहींअमेरिकी सरकार की गुप्त गतिविधियाँ विदेशी क्षेत्रों तक सीमित नहीं थीं, अमेरिकी खुफिया विभाग अमेरिका के लोगों के खिलाफ संदिग्ध कार्य करने के लिए भी तैयार था।तथाकथित प्रोजेक्ट एमके अलट्रा के लिए सीआईए ने पूछताछ के दौरान इस्तेमाल करने के लिए नए ब्रेनवाशिंग और हिंसा पहुंचाने के तरीकों को विकसित करने के लिए गिनी सूअरों के रूप में अमेरिकी नागरिकों का उपयोग करके अवैध मानव परीक्षण किया।1960 और 1970 के दशकों में सीआईए ने ऑपरेशन कैओस नामक घरेलू जासूसी कार्यक्रम भी चलाया, जिसका लक्ष्य अलोकप्रिय वियतनाम युद्ध के खिलाफ उभरे राजनीतिकों और युद्ध-विरोधी समूहों को हटाना था। ऑपरेशन कैओस के बारे में सेमूर हर्ष ने ही बताया। और 2013 में पूर्व अमेरिकी राष्ट्रीय सुरक्षा एजेंसी के कोन्टरकटोर एडवर्ड स्नोडेन ने ब्रिटिश और जर्मन सहित कुछ पश्चिमी खुफिया एजेंसियों और Microsoft और Google जैसी प्रमुख तकनीकी कंपनियों के साथ देश और विदेश दोनों में चलाए विशाल वैश्विक निगरानी कार्यक्रम को उजागर करने में मदद की।
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‘अच्छा’ दोस्त: अपने देश और विदेश में अमेरिका की गुप्त कार्रवाइयों का इतिहास
नॉर्ड स्ट्रीम पर हमले से बहुत पहले अमेरिका ने जासूसी करनेवाले और विदेशों में सरकारों को गिरानेवाले देश की प्रतिष्ठा हासिल की थी, हालांकि उसने "अच्छे आदमी" के रूप में दिखाई देने की कई कोशिशें की है ।
अमेरिकी खोजी पत्रकार और पुलित्जर पुरस्कार विजेता सेमूर हर्ष के बयान के कारण इस सप्ताह बहुत लोगों को आश्चर्य हुआ जब उन्होंने जर्मनी में रूसी प्राकृतिक गैस की आपूर्ति करने वाली चार नॉर्ड स्ट्रीम पाइपलाइनों में से तीन को नष्ट करने के लिए अमेरिका पर आरोप लगाया।
जबकि अमेरिका ने पिछले साल के सितंबर में पाइपलाइन को नष्ट करने से संबंधित दावों को नज़ारअंदाज किया था, हर्ष ने दावा किया कि अमेरिकी नौसेना के गोताखोर ने पिछली गर्मियों में बाल्टिक सागर में नाटो के अभ्यास के दौरान नॉर्ड स्ट्रीम में विस्फोटक उपकरण रखा था।
पत्रकार ने इस अभियान की योजना से परिचित एक सूत्र के हवाले से लिखा कि
विस्फोटक उपकरण को रखे जाने के कई हफ्तों बाद दूर से अमल में लाया गया था।
हालांकि व्हाइट हाउस ने आधिकारिक रूप से अमेरिका की भागीदारी से इनकार किया, अमेरिकी सरकार और गुप्त सेवाओं का जासूसी और तोड़फोड़ के माध्यम से वाशिंगटन के हितों को आगे बढ़ाने का लंबा इतिहास है। वे लगातार कहते रहे कि उन्होंने यह नहीं किया था।
हर्ष बताते हैं कि यह पहली बार नहीं थी जब अमेरिका ने समुद्र की सतह के बहुत नीचे गुप्त अभियान चलाया। 1970 के दशक में अमेरिकी विशेषज्ञ ओखोटस्क सागर में पानी के नीचे सोवियत नौसेना के संचार केबल पर वायरटैप रखने में कामयाब हुए थे।
हालांकि,
नॉर्ड स्ट्रीम पर हमले के विपरीत, इस कार्रवाई का उद्देश्य नागरिकों की नहीं, सैन्य की संरचना ही था। इस कार्य ने अमेरिका को मूल्यवान खुफिया जानकारी प्राप्त करने में मदद की और किसी सहयोगी देश की अर्थव्यवस्था को नुकसान नहीं किया। जबकि
नॉर्ड स्ट्रीम के विस्फोट ने जर्मनी यानी अमेरिका के सहयोगी देश को सस्ते प्राकृतिक गैस के प्राथमिक स्रोत से वंचित कर दिया।बातें छिपकर सुनने और विस्फोट करने के अलावा अमेरिका ने दुनिया भर में बहुत सी गुप्त कार्रवाइयाँ की हैं। यह करते हुए उसने किसी से इसके बारे में कुछ नहीं बताया और रंगे हाथों पकड़े जाने तक जिम्मेदारी से इनकार किया।
1950 के दशक में, यूएस सेंट्रल इंटेलिजेंस एजेंसी (सीआइए) ने
ईरानी प्रधान मंत्री मोहम्मद मोसादेग को गिराने का आयोजन किया था, जिसमें आतंकी हमले शामिल थे। उन
आतंकी हमलों के लिए स्थानीय साम्यवादियों को दोषी ठहराया गया, जिन्होंने मोसादेग की सरकार का समर्थन किया था।
क्यूबा के साम्यवादियों के नेता फिदेल कास्त्रो ने किसी की बात माने बिना अपने देश को चलाने का निर्णय किया था। इसके कारण उनको गिराने के लिए अमेरिकी सरकार ने उनकी हत्या करने के दर्जनों प्रयास किए। इसके अलावा अमेरिका द्वारा वित्त पोषित और निर्देशित क्यूबाई निर्वासितों के समूह ने बड़े पैमाने पर आक्रमण भी किया।
अमेरिकी सरकार ने अपने देश में नागरिक और सैन्य दोनों संरचनाओं पर आतंकी हमले करने पर भी विचार किया ताकि उसको क्यूबा को इन हमलों के लिए दोषी ठहराकर द्वीप राष्ट्र के खिलाफ युद्ध शुरू करने का बहाना मिले। ऑपरेशन नॉर्थवुड्स नामक इन प्रस्तावों को अमेरिकी राष्ट्रपति जॉन एफ केनेडी की बदौलत कभी पूरा नहीं किया गया था।
1980 के दशक में
अमेरिका ने गुप्त रूप से ईरान को हथियार बेचता रहा। हालांकि 1979 की ईरानी क्रांति के बाद वाशिंगटन ने ईरान को दुश्मन कहा, अमेरिका ने इन बिक्री से प्राप्त धन का प्रयोग
निकारागुआ में कॉन्ट्रास विद्रोही समूहों को गुप्त रूप से वित्तपोषित करने के लिए किया, जो मार्क्सवादी सैंडिनिस्टा सरकार से लड़ रहे थे।
इस तरह की अमेरिकी गुप्त कार्रवाइयों के बारे में जानकारी आम तौर पर जनता के लिए तब उपलब्ध हो जाती है जब सीआईए के गुप्त दस्तावेजों को उन कार्रवाइयों के दशकों बाद दिखाया जाता है या वह जानकारी अमेरिकी कांग्रेस द्वारा जांच करने के कारण रोशनी में आती है।
अमेरिकी सरकार की गुप्त गतिविधियाँ विदेशी क्षेत्रों तक सीमित नहीं थीं, अमेरिकी खुफिया विभाग
अमेरिका के लोगों के खिलाफ संदिग्ध कार्य करने के लिए भी तैयार था।
तथाकथित प्रोजेक्ट एमके अलट्रा के लिए सीआईए ने पूछताछ के दौरान इस्तेमाल करने के लिए नए ब्रेनवाशिंग और हिंसा पहुंचाने के तरीकों को विकसित करने के लिए गिनी सूअरों के रूप में अमेरिकी नागरिकों का उपयोग करके अवैध मानव परीक्षण किया।
परियोजना में लोगों पर एलएसडी जैसी साइकोएक्टिव दवाओं के प्रभाव का अध्ययन शामिल था।
1960 और 1970 के दशकों में सीआईए ने ऑपरेशन कैओस नामक घरेलू जासूसी कार्यक्रम भी चलाया, जिसका लक्ष्य अलोकप्रिय वियतनाम युद्ध के खिलाफ उभरे राजनीतिकों और युद्ध-विरोधी समूहों को हटाना था। ऑपरेशन कैओस के बारे में सेमूर हर्ष ने ही बताया।
और 2013 में पूर्व अमेरिकी राष्ट्रीय सुरक्षा एजेंसी के कोन्टरकटोर एडवर्ड स्नोडेन ने ब्रिटिश और जर्मन सहित कुछ पश्चिमी खुफिया एजेंसियों और Microsoft और Google जैसी प्रमुख तकनीकी कंपनियों के साथ देश और विदेश दोनों में चलाए विशाल वैश्विक निगरानी कार्यक्रम को उजागर करने में मदद की।