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भारत का वियतनाम के साथ रक्षा सहयोग बढ़ाने पर नजर

© Photo : Rajnath SinghRajnath Singh with Vietnamese Defence Minister, General Phan Van Giang in New Delhi
Rajnath Singh with Vietnamese Defence Minister, General Phan Van Giang in New Delhi - Sputnik भारत, 1920, 19.06.2023
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भारतीय रक्षा मंच अंतरराष्ट्रीय हथियार बाजार में एक प्रबल और सकारात्मक उपस्थिति दर्ज की है, दक्षिण पूर्व एशियाई देशों ने भारतीय हथियार खरीदने में अधिक रुचि दिखाई है।
भारतीय रक्षा मंत्रालय ने सोमवार को कहा कि वियतनाम के साथ रक्षा सहयोग के दायरे और पैमाने को बढ़ाने की प्रयास में रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह अपने वियतनामी समकक्ष जनरल फान वान गैंग के साथ बातचीत कर रहे हैं।
मंत्रालय ने एक बयान में कहा, सोमवार की बैठक के दौरान दोनों मंत्रियों ने सहयोग के मौजूदा क्षेत्रों, विशेष रूप से रक्षा उद्योग सहयोग, समुद्री सुरक्षा और बहुराष्ट्रीय सहयोग के क्षेत्रों को बढ़ाने के तरीकों की पहचान की।
सोमवार को सिंह ने वियतनाम पीपुल्स नेवी को स्वदेशी रूप से निर्मित मिसाइल कार्वेट "आईएनएस किरपान" भी उपहार में दिया, जो इसे दक्षिण पूर्व एशियाई देश की समुद्री सीमाओं को सुरक्षित करने में सहायता करेगा।
Pinaka 214MM multi barrel rocket launcher roll during the final full dress rehearsal for the Indian Republic Day parade in New Delhi on January 23, 2011 - Sputnik भारत, 1920, 31.05.2023
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भारत का रक्षा निर्यात 9 वर्षों में 23 गुना वृद्धि के साथ अब तक के उच्चतम स्तर पर
हाल के वर्षों में भारत और वियतनाम के बीच सैन्य जुड़ाव में वृद्धि देखी गई है, दोनों देशों की सशस्त्र सेनाएं नियमित रूप से मुख्यतः समुद्र में युद्ध अभ्यास करती हैं।
इसके अलावा, हनोई और नई दिल्ली ने सैन्य आदान-प्रदान, उच्च-श्रेणी के रक्षा अधिकारियों द्वारा यात्राओं और संयुक्त राष्ट्र शांति मिशनों पर एक दूसरे के साथ साझेदारी पर जोर दिया है।

क्या हनोई भारत से ब्रह्मोस मिसाइलें हासिल करेगा?

सिंह की टिप्पणी ऐसे समय में आई है जब ऐसी अटकलें लगाई जा रही हैं कि हनोई अपने रक्षा मंत्री की भारत यात्रा के दौरान ब्रह्मोस मिसाइलों की तीन से पांच इकाइयों के लिए $625 मिलियन के सौदे को अंतिम रूप देगा और घोषणा करेगा।
व्यापक रूप से दुनिया में सबसे तेज सुपरसोनिक क्रूज मिसाइल के रूप में मानी जाने वाली ब्रह्मोस को भारत और रूस द्वारा संयुक्त रूप से विकसित किया गया है।
साल 2007 में भारतीय सेना में सम्मिलित होने के बाद से, ब्रह्मोस मिसाइल में कई उन्नयन हुए हैं और अब इसके अलग-अलग संस्करण हैं जिन्हें पनडुब्बी, युद्धपोत, हवा और जमीन से दागा जा सकता है। यह वर्तमान में भारत के पारंपरिक मिसाइल शस्त्रागार का मुख्य आधार है।
हालांकि, वियतनाम भारत से ब्रह्मोस मिसाइलों को हासिल करने वाला पहला देश नहीं होगा। दरअसल पिछले साल, फिलीपींस ब्रह्मोस मिसाइलों के लिए अनुबंध करने वाला पहला देश बन गया था, जिसने 374.96 मिलियन डॉलर में हथियार प्रणाली प्राप्त करने पर सहमति व्यक्त की थी।
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