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यूरोप के कार्बन टैक्स का भारत के निर्यात पर असर, भारत भी जवाब की तैयारी में

© AP Photo / Steve HelberRolls of steel sit in a warehouse at a fabrication company
Rolls of steel sit in a warehouse at a fabrication company - Sputnik भारत, 1920, 06.07.2023
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यूरोपीय संघ का लक्ष्य भारत के लक्ष्य से लगभग 20 साल पहले यानी 2050 तक ग्रीन हाउस गैसों का शुद्ध शून्य उत्सर्जक बनना है।
वित्त मंत्रालय ने गुरुवार को जारी एक रिपोर्ट में कहा कि यूरोपीय संघ के कार्बन टैक्स का विकासशील देशों को भारत द्वारा किए जाने वाले स्टील, लौह अयस्क और सीमेंट के निर्यात पर असर पड़ेगा, हालांकि भारत भी यूरोपीय संघ को जवाब देते हुए कार्बन टैक्स लगाने की तैयारी कर रहा है।
भारत का वित्त एवं वाणिज्य मंत्रालय इसकी (कार्बन टैक्स की) रूपरेखा तैयार कर रहा है। भारत की बढ़ती अर्थव्यवस्था के लिए यूरोपीय संघ द्वारा लगाया गया इस तरह का कार्बन टैक्स भारत के विकास के लिए रोड़ा भी बन सकता है।
"भारत के निर्यात के लिए आसन्न नकारात्मक जोखिमों में यूरोपीय संघ द्वारा कार्बन सीमा समायोजन तंत्र की शुरुआत शामिल है," वित्त मंत्रालय ने अपनी वार्षिक आर्थिक रिपोर्ट में कहा।
रिपोर्ट में कहा गया कि पहले से ही भारत विकसित देशों की कमजोर मांग का सामना कर रहा है और स्टील, लौह अयस्क और सीमेंट जैसे उच्च कार्बन वाले सामानों पर यूरोपीय संघ के 20% से 35% तक टैरिफों के कारण निर्यात पर नकारात्मक असर पड़ने की संभावना है।
यूरोपीय संघ द्वारा इस वर्ष फरवरी में दुनिया का पहला कार्बन टैक्स मैकेनिज्म यानी कार्बन बॉर्डर एडजस्टमेंट मैकेनिज्म (CBAM) के प्रस्ताव को मंजूरी दी गई थी। इसके तहत जनवरी 2026 से ज्यादा कार्बन उत्सर्जित करने वाले सामानों के आयात पर टैक्स लगाने की योजना बनाई गई है।
यूरोपीय संघ को निर्यात में कार्बन सामग्री की जानकारी 1अक्टूबर, 2023 से साझा करना आवश्यक होगा।
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