विज्ञान एवं प्रौद्योगिकी

चंद्रमा में विजय ध्वज लहराने की ओर अग्रसित चंद्रयान-3

© Photo : ISRO - Indian Space Research OrganisationЗапуск индийского космического корабля Chandrayaan-3
Запуск индийского космического корабля Chandrayaan-3 - Sputnik भारत, 1920, 20.08.2023
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लैंडर विक्रम स्वयं को सावधानीपूर्वक नियोजित चंद्र कक्षा में स्थापित कर चुका है, जिसका चंद्रमा से निकटतम बिंदु 25 किमी और अधिकतम दूरी 134 किमी है। यह उपलब्धि 23 अगस्त, 2023 को चंद्रमा के अज्ञात दक्षिणी ध्रुव के क्षेत्र पर सॉफ्ट लैंडिंग प्रयास का मार्ग प्रशस्त करता है।
भारत की चंद्र आकांक्षाओं ने आज एक महत्वपूर्ण छलांग लगाई क्योंकि भारतीय अंतरिक्ष अनुसंधान संगठन (इसरो) ने चंद्रयान-3 चंद्रमा मिशन के लिए एक त्रुटिहीन दूसरा और अंतिम डी-बूस्टिंग ऑपरेशन प्राप्त किया।
नवीनतम प्राप्त जानकारी के अनुसार चंद्रयान 3 मिशन का लैंडर मॉड्यूल चांद की सतह से मात्र 25 किलोमीटर की दूरी पर चांद के चक्कर लगा रहा है। इसरो ने ट्वीट करके बताया कि चंद्रयान-3 का दूसरा और अंतिम डीबूस्टिंग मनूवर सफलतापूर्वक हो चुका है और अब 23 अगस्त की प्रतीक्षा है, जब चांद की सतह पर सॉफ्ट लैंडिंग के साथ ही भारत ऐसा करने वाला दुनिया का चौथा देश बन जाएगा।
वैज्ञानिकों द्वारा संभावनाएं जताई जा रही हैं कि 23 अगस्त यानी आगामी बुधवार को देर शाम तक चंद्रयान-3 चांद की सतह पर लैंड कर सकता है। जानकारों का मानना है कि अंतिम 20-30 मिनट की प्रक्रिया अत्यधिक रूप से महत्वपूर्ण होगी।
© Photo : ISRO/TwitterFirst Pics of Moon Made by Lander Vikram
First Pics of Moon Made by Lander Vikram  - Sputnik भारत, 1920, 20.08.2023
First Pics of Moon Made by Lander Vikram
14 जुलाई को लॉन्च होने के बाद, चंद्रयान-3 5 अगस्त को चंद्र कक्षा में पहुंच गया था। इसके बाद कक्षा में कमी की प्रक्रिया 6, 9, 14 और 16 अगस्त को हुई। 17 अगस्त को दोनों मॉड्यूल अलग हो गए, जिससे 23 अगस्त को लैंडिंग निर्धारित होने का मार्ग प्रशस्त हुआ।
चंद्रयान-3 चंद्रयान-2 पर आधारित ही है, जिसका उद्देश्य सुरक्षित चंद्र लैंडिंग और सतह अन्वेषण के लिए अपनी पूर्ण क्षमताओं का प्रदर्शन करना है। मिशन के उद्देश्यों में साइट पर वैज्ञानिक प्रयोग करना सम्मिलित भी है।
मिशन की जीत प्रातः काल में चंद्र लैंडिंग को पूरा करने पर निर्भर करती है, जिससे ठंडी चंद्र रात से पहले 14 दिन की शोध समय सीमा मिलती है। रोवर की कार्यक्षमता अत्यधिक ठंड से प्रभावित हो सकती है।
अभी तक रूस, चीन और अमेरिका ने ही चांद की सतह पर सॉफ्ट लैंडिंग करने में सफलता प्राप्त की है।
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