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क्या हैं टौरस और स्टॉर्म शैडो मिसाइलें?
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Sputnik भारत
स्टॉर्म शैडो और टौरस मिसाइल सिस्टम के बारे में दुनियाभर में बातें की जा रही हैं, Sputnik आज आपको दोनों मिसाइल सिस्टम्स के बारे में बताएगा और आप खुद अंदाजा लगा सकते है कि कौन सी मिसाइल किससे बेहतर है।
2023-08-27T13:58+0530
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रूस द्वारा यूक्रेन के विरुद्ध चल रहे विशेष सैन्य अभियान में रूस यूक्रेन को काफी पीछे छोड़ चुका है, फिर भी यूरोपीय देश और अमेरिका अभी भी यूक्रेन की सहायता करने में लगे हुए हैं। पिछले कई महीनों से पश्चिमी और यूरोपीय देशों द्वारा अलग अलग तरह से यूक्रेन की सहायता के लिए हथियार भेजे जा रहे हैं और हाल के दिनों की बात करें तो अमेरिकी प्रशासन ने यूक्रेन के लड़ाकू पायलटस को F-16 पर ट्रैनिंग देने के लिए स्वीकृति दे दी है। और अगर मिसाइलों की बात करें तो फ़्रांस के राष्ट्रपति इमैनुएल मैक्रॉन ने पिछले महीने यूक्रेन को लंबी दूरी की SCALP मिसाइलों की आपूर्ति की घोषणा की थी, वहीं जर्मन चांसलर ओलाफ शोल्ज़ अभी उसके बारे में सोचते हैं कि वे चल रहे इस संघर्ष में देश द्वारा निर्मित टौरस मिसाइल को यूक्रेन को दें या न दें। वहीं दूसरी तरफ यूनाइटेड किंगडम ने यूक्रेन को कई "स्टॉर्म शैडो" क्रूज मिसाइलों को सौंप चुका है। Sputnik India आज आपको स्टॉर्म शैडो और टौरस मिसाइलों के बारे में बताने जा रहा है और उसके बारे में कि ये किस प्रकार से काम करती हैं। स्टॉर्म शैडो क्या है? स्टॉर्म शैडो स्टेल्थ क्षमता वाली एक लंबी दूरी की क्रूज मिसाइल है जिसे यूनाइटेड किंगडम और फ्रांस द्वारा मिलकर विकसित किया गया है, सामान्यतः पर इस मिसाइल को हवा से लॉन्च किया जाता है और इसकी फायरिंग रेंज लगभग 250 किमी से अधिक होती है। यह मिसाइल अपने साथ 1,000 पाउंड के वॉरहेड को ले जाने में सक्षम है। स्टॉर्म शैडो मिसाइल को कठोर चट्टानों वाले लक्ष्यों को गहराई तक भेदने के लिए डिज़ाइन किया गया है। यह भारत, मिस्र, इटली, ग्रीस, सऊदी अरब, कतर और संयुक्त अरब अमीरात (UAE) की वायु सेनाओं के साथ भी सेवा में है। स्टॉर्म शैडो कैसे काम करती है? यह मिसाइल जहाज पर लगे हुए विभिन्न नेविगेशन प्रणालियों का उपयोग करके अपने लक्ष्य को समाप्त करती है। मिसाइल की नेविगेशन प्रणाली में पथ पर बेहतर नियंत्रण और सटीक लक्ष्य आक्रमण के लिए जड़त्वीय नेविगेशन, ग्लोबल पोजिशनिंग सिस्टम (GPS) और क्षेत्र आधारित नेविगेशन सम्मिलित हैं। इसमें पैसिव इमेजिंग इन्फ्रारेड सीकर भी लगा हुआ है। स्टॉर्म शैडो मिसाइल को छोड़ने से पहले इसे तय रास्ते के साथ प्रोग्राम किया जाता है और विमान से छोड़े जाने के बाद, मिसाइल ऑनबोर्ड नेविगेशन सिस्टम से निरंतर अपडेट की सहायता से प्रोग्राम किए गए पथ का अनुसरण करती है।यह लक्ष्य तक पहुंचने तक संग्रहीत इमेजरी के साथ वास्तविक लक्ष्य क्षेत्र की तुलना करने के लिए इमेजिंग इन्फ्रारेड साधक को नियोजित करती है। स्टॉर्म शैडो में वारहेड कौन सा लगता है? इस मिसाइल में दो चरणों वाला बम रॉयल ऑर्डिनेंस ऑगमेंटेड चार्ज (BROOCH) पेनिट्रेटर वॉरहेड लगा हुआ है। लक्ष्य तक पहुंचने के बाद वारहेड का पहला चरण लक्ष्य की ऊपरी सतह को काटकर दूसरे चरण के लिए रास्ता बनाता है और फिर हथियार का दूसरा चरण लक्ष्य में प्रवेश करके विस्फोट करता है। स्टॉर्म शैडो का प्रोपल्सन सिस्टम कैसा है? स्टॉर्म शैडो मिसाइल टर्बोमका माइक्रो टरबो TRI 60-30 टर्बो जेट प्रोपल्शन सिस्टम से लैस है, जो 5.4kN का थ्रस्ट पैदा कर सकता है। टौरस क्या है? टौरस KEPD 350, टौरस सिस्टम्स द्वारा विकसित और निर्मित एक लंबी दूरी की हवा से सतह पर मार करने वाली मिसाइल है। यह कंपनी LFK-Lenkflugkörpersysteme (EADS/MBDA) (67%) और Saab-Bofors Dynamics (33%) के बीच एक संयुक्त उद्यम है। यह मिसाइल जर्मन सेना द्वारा उपयोग की जाने वाली सबसे आधुनिक हथियार प्रणालियों में से एक है। इस मिसाइल की लंबाई 5 मीटर और वजन 1.4 टन है और इसे लड़ाकू विमानों द्वारा हवा से दागा जाता है। टौरस 500 किलोमीटर दूर तक के लक्ष्य को 1,170 किलोमीटर प्रति घंटे की गति से भेदने में सक्षम है। इसमें विशेषता है कि यह जमीन से केवल 35 मीटर की ऊंचाई पर उड़ती है जिससे किसी भी रडार से इसका पता लगाना मुश्किल हो जाता है। टौरस मिसाइल कैसे काम करती है? टौरस मिसाइल सिस्टम लॉन्च किए जाने के बाद लक्ष्य तक पहुंचने के लिए चार स्वतंत्र नेविगेशन प्रणालियों का उपयोग करता है जिसकी सहायता से वह अपने रास्ते पर बना रहता है। उपग्रह-समर्थित GPS प्रणाली इसे जाम करने के प्रयासों से बचाती है, जिसे इलाके संदर्भित नेविगेशन के रूप में जाना जाता है। टौरस मिसाइल जमीन को स्कैन करती है और छवियों की तुलना पहले से संग्रहीत डेटा से करती है। छवि सेंसर के साथ, टौरस अभिविन्यास के लिए पुलों, नदियों या चौराहों का उपयोग कर सकती है और लगातार अपनी गति को माप कर अपनी स्थिति निर्धारित करती है। टौरस का प्रोपल्सन सिस्टम कैसा है? टौरस KEPD 350 विलियम्स पी 8300-15 टर्बोफैन इंजन द्वारा संचालित है जो मिसाइल को बहुत कम ऊंचाई पर लगभग मैक 0.6 से 0.95 की क्रूज़ गति प्रदान करता है। यह मिसाइल GPS सब सिस्टमों के बिना भी लंबी दूरी तय कर सकती है। यह अपने उड़ान पथ को निर्धारित करने के लिए एक एकीकृत मिशन योजना प्रणाली से सुसज्जित है।जर्मनी के पास कितनी टौरस मिसाइलें हैं?मीडिया रिपोर्टों के अनुसार, जर्मन सेना के पास अपने भंडार में लगभग 600 टॉरस मिसाइलें हैं, जिनमें से लगभग 150 उपयोग के लिए तैयार हैं। स्पैनिश और दक्षिण कोरियाई सेनाएं भी टॉरस का संचालन करती हैं। टौरस मिसाइल दिन-रात और सभी मौसम में नियुक्ति के लिए उपयुक्त है। इसमें जीवित रहने के लिए कम अवलोकन क्षमता और क्षेत्र को छिपाने की विशेषताएं हैं।
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क्या हैं टौरस और स्टॉर्म शैडो मिसाइलें?
स्टॉर्म शैडो और टौरस मिसाइल सिस्टम के बारे में दुनिया भर में बातें की जा रही हैं, Sputnik India आज आपको दोनों मिसाइल सिस्टम्सों के बारे में बताएगा और आप स्वयं देख सकते हैं कि ये मिसाइलें कैसी हैं।
रूस द्वारा यूक्रेन के विरुद्ध चल रहे विशेष सैन्य अभियान में रूस यूक्रेन को काफी पीछे छोड़ चुका है, फिर भी यूरोपीय देश और अमेरिका अभी भी यूक्रेन की सहायता करने में लगे हुए हैं।
पिछले कई महीनों से पश्चिमी और यूरोपीय देशों द्वारा अलग अलग तरह से यूक्रेन की सहायता के लिए हथियार भेजे जा रहे हैं और हाल के दिनों की बात करें तो अमेरिकी प्रशासन ने यूक्रेन के लड़ाकू पायलटस को
F-16 पर ट्रैनिंग देने के लिए स्वीकृति दे दी है।
और अगर मिसाइलों की बात करें तो फ़्रांस के राष्ट्रपति इमैनुएल मैक्रॉन ने पिछले महीने यूक्रेन को लंबी दूरी की
SCALP मिसाइलों की आपूर्ति की घोषणा की थी, वहीं
जर्मन चांसलर ओलाफ शोल्ज़ अभी उसके बारे में सोचते हैं कि वे चल रहे इस संघर्ष में देश द्वारा निर्मित टौरस मिसाइल को यूक्रेन को दें या न दें।
वहीं दूसरी तरफ यूनाइटेड किंगडम ने यूक्रेन को कई "स्टॉर्म शैडो" क्रूज मिसाइलों को सौंप चुका है।
Sputnik India आज आपको स्टॉर्म शैडो और टौरस मिसाइलों के बारे में बताने जा रहा है और उसके बारे में कि ये किस प्रकार से काम करती हैं।
स्टॉर्म शैडो स्टेल्थ क्षमता वाली एक लंबी दूरी की क्रूज मिसाइल है जिसे यूनाइटेड किंगडम और फ्रांस द्वारा मिलकर विकसित किया गया है, सामान्यतः पर इस मिसाइल को हवा से लॉन्च किया जाता है और इसकी फायरिंग रेंज लगभग 250 किमी से अधिक होती है।
यह मिसाइल अपने साथ 1,000 पाउंड के वॉरहेड को ले जाने में सक्षम है। स्टॉर्म शैडो मिसाइल को कठोर चट्टानों वाले लक्ष्यों को गहराई तक भेदने के लिए डिज़ाइन किया गया है।
यह भारत, मिस्र, इटली, ग्रीस, सऊदी अरब, कतर और संयुक्त अरब अमीरात (UAE) की वायु सेनाओं के साथ भी सेवा में है।
स्टॉर्म शैडो कैसे काम करती है?
यह मिसाइल जहाज पर लगे हुए विभिन्न नेविगेशन प्रणालियों का उपयोग करके अपने लक्ष्य को समाप्त करती है।
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नेविगेशन प्रणाली में पथ पर बेहतर नियंत्रण और सटीक लक्ष्य आक्रमण के लिए जड़त्वीय नेविगेशन, ग्लोबल पोजिशनिंग सिस्टम (GPS) और क्षेत्र आधारित नेविगेशन सम्मिलित हैं। इसमें पैसिव इमेजिंग इन्फ्रारेड सीकर भी लगा हुआ है।
स्टॉर्म शैडो मिसाइल को छोड़ने से पहले इसे तय रास्ते के साथ प्रोग्राम किया जाता है और विमान से छोड़े जाने के बाद, मिसाइल ऑनबोर्ड नेविगेशन सिस्टम से निरंतर अपडेट की सहायता से प्रोग्राम किए गए पथ का अनुसरण करती है।यह लक्ष्य तक पहुंचने तक संग्रहीत इमेजरी के साथ वास्तविक लक्ष्य क्षेत्र की तुलना करने के लिए इमेजिंग इन्फ्रारेड साधक को नियोजित करती है।
स्टॉर्म शैडो में वारहेड कौन सा लगता है?
इस मिसाइल में दो चरणों वाला बम रॉयल ऑर्डिनेंस ऑगमेंटेड चार्ज (BROOCH) पेनिट्रेटर वॉरहेड लगा हुआ है। लक्ष्य तक पहुंचने के बाद वारहेड का पहला चरण लक्ष्य की ऊपरी सतह को काटकर दूसरे चरण के लिए रास्ता बनाता है और फिर हथियार का दूसरा चरण लक्ष्य में प्रवेश करके विस्फोट करता है।
स्टॉर्म शैडो का प्रोपल्सन सिस्टम कैसा है?
स्टॉर्म शैडो मिसाइल टर्बोमका माइक्रो टरबो TRI 60-30 टर्बो जेट प्रोपल्शन सिस्टम से लैस है, जो 5.4kN का थ्रस्ट पैदा कर सकता है।
टौरस KEPD 350, टौरस सिस्टम्स द्वारा विकसित और निर्मित एक लंबी दूरी की हवा से सतह पर मार करने वाली मिसाइल है। यह कंपनी LFK-Lenkflugkörpersysteme (EADS/MBDA) (67%) और Saab-Bofors Dynamics (33%) के बीच एक संयुक्त उद्यम है। यह मिसाइल
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इस मिसाइल की लंबाई 5 मीटर और वजन 1.4 टन है और इसे लड़ाकू विमानों द्वारा हवा से दागा जाता है। टौरस 500 किलोमीटर दूर तक के लक्ष्य को 1,170 किलोमीटर प्रति घंटे की गति से भेदने में सक्षम है। इसमें विशेषता है कि यह जमीन से केवल 35 मीटर की ऊंचाई पर उड़ती है जिससे किसी भी रडार से इसका पता लगाना मुश्किल हो जाता है।
टौरस मिसाइल कैसे काम करती है?
टौरस
मिसाइल सिस्टम लॉन्च किए जाने के बाद लक्ष्य तक पहुंचने के लिए चार स्वतंत्र नेविगेशन प्रणालियों का उपयोग करता है जिसकी सहायता से वह अपने रास्ते पर बना रहता है। उपग्रह-समर्थित GPS प्रणाली इसे जाम करने के प्रयासों से बचाती है, जिसे इलाके संदर्भित नेविगेशन के रूप में जाना जाता है।
टौरस मिसाइल जमीन को स्कैन करती है और छवियों की तुलना पहले से संग्रहीत डेटा से करती है। छवि सेंसर के साथ, टौरस अभिविन्यास के लिए पुलों, नदियों या चौराहों का उपयोग कर सकती है और लगातार अपनी गति को माप कर अपनी स्थिति निर्धारित करती है।
टौरस का प्रोपल्सन सिस्टम कैसा है?
टौरस KEPD 350 विलियम्स पी 8300-15 टर्बोफैन इंजन द्वारा संचालित है जो मिसाइल को बहुत कम ऊंचाई पर लगभग मैक 0.6 से 0.95 की क्रूज़ गति प्रदान करता है। यह मिसाइल GPS सब सिस्टमों के बिना भी लंबी दूरी तय कर सकती है। यह अपने उड़ान पथ को निर्धारित करने के लिए एक एकीकृत मिशन योजना प्रणाली से सुसज्जित है।
जर्मनी के पास कितनी टौरस मिसाइलें हैं?
मीडिया रिपोर्टों के अनुसार,
जर्मन सेना के पास अपने भंडार में लगभग 600 टॉरस मिसाइलें हैं, जिनमें से लगभग 150 उपयोग के लिए तैयार हैं। स्पैनिश और दक्षिण कोरियाई सेनाएं भी टॉरस का संचालन करती हैं।
टौरस मिसाइल दिन-रात और सभी मौसम में नियुक्ति के लिए उपयुक्त है। इसमें जीवित रहने के लिए कम अवलोकन क्षमता और क्षेत्र को छिपाने की विशेषताएं हैं।