भारत-रूस संबंध
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हम हर दिशा में रूसी चर्च के प्रति अपना समर्थन व्यक्त करते हैं: मलंकारा चर्च के प्रमुख

© AP Photo / Altaf QadriChristian religious heads perform Syro-Malankara Rite, a ritual, at the illuminated Sacred Heart's Cathedral on Christmas Eve in New Delhi, India, Tuesday, Dec. 24, 2013. Though Hindus and Muslims comprise the majority of the population in India, Christmas is celebrated with much fanfare.
Christian religious heads perform Syro-Malankara Rite, a ritual, at the illuminated Sacred Heart's Cathedral on Christmas Eve in New Delhi, India, Tuesday, Dec. 24, 2013. Though Hindus and Muslims comprise the majority of the population in India, Christmas is celebrated with much fanfare. - Sputnik भारत, 1920, 15.09.2023
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यूक्रेनी सरकार यूक्रेनी रूढ़िवादी चर्च (मास्को पैट्रिआर्कट) के विरुद्ध भेदभाव की नीति चला रहा है। रूढ़िवादी ईसाई लोगों को कदम कदम पर सताया जाता है। साथ ही, भारत रूसी ऑर्थोडॉक्स चर्च का सहयोग बढ़ा रहा है और उसके अनुभव से सीखना चाहता है।
मलंकारा रूढ़िवादी सीरियाई गिरजा (या भारतीय ऑर्थोडॉक्स चर्च) दुनिया के सबसे पुराने ईसाई चर्चों में से एक है। किंवदंती के अनुसार मलंकारा चर्च की शुरुआत ईसा मसीह के शिष्य तोमा प्रेरित (सेंट थॉमस) ने 52 में की थी। इस सप्ताह मलंकारा चर्च के सर्वोच्च प्रमुख बासेलियोस मार्थोमा मैथ्यूज तृतीय ने मास्को और सेंट पीटर्सबर्ग का दौरा करते समय Sputnik को एक साक्षात्कार दिया। इस साक्षात्कार में उन्होंने भारत में रूढ़िवादी ईसाई लोगों के जीवन और रूसी रूढ़िवादी चर्च के साथ संचार के विकास की संभावनाओं के बारे में बात की।
Sputnik: 2023 से पहले आप कभी रूस में थे?
बेसेलियोस मार्थोमा मैथ्यूज तृतीय: आखिरी बार मैं 1977-79 में रूस में था। लेनिनग्राद रूढ़िवादी अकादमी में पढ़ाई की, मास्को का दौरा किया। 44 साल बाद मुझे फिर से मास्को और सेंट पीटर्सबर्ग जाने का अवसर मिला। और मैंने बहुत सारे नवाचार देखें।
Sputnik: आपके ख़याल में बीच में रूसी चर्च का जीवन कैसे बदल गया है?
बेसेलियोस मार्थोमा मैथ्यूज तृतीय: देश के वर्तमान नेतृत्व ने रूढ़िवादियों को अपने धर्म का पालन करने की अधिक स्वतंत्रता दी है। मुझे लगता है कि लोग यह अवसर पाकर अत्यंत हर्षित हैं।
Sputnik: आप दुनिया में रूसी रूढ़िवादी चर्च की स्थिति को कैसे देखते हैं, विशेषतः यूक्रेन की घटनाओं की पृष्ठभूमि में?
बेसेलियोस मार्थोमा मैथ्यूज तृतीय: चर्च शांति की स्थापना के लिए हर संभव प्रयास कर रहा है। कोई भी रूढ़िवादी ईसाई आदमी शांति के लिए प्रयास कर रहा है। शांति कैसे प्राप्त करें, यह प्रश्न है। एक ओर, शांति की इच्छा है, जहां दूसरी ओर, हम देखते हैं कि यूक्रेन में क्या हो रहा है, जब वहां हजारों रूढ़िवादी ईसाई लोगों को सताया जा रहा है। इस संघर्ष को हल करने के तरीकों की खोज करनी चाहिए।
Sputnik: मलंकारा चर्च रूसी चर्च के प्रति क्या खयाल रखता है और हमारे संबंधों का मूल्य क्या है?
बेसेलियोस मार्थोमा मैथ्यूज तृतीय: हमारे चर्चों के बीच संबंध 1950-60 के दशक में स्थापित हुए थे, वे 70 साल से अधिक पुराने हैं। पहला संपर्क दिल्ली में चर्चों की विश्व परिषद की सभा के सम्मेलन में हुआ: रूसी चर्च के जिन प्रतिनिधियों ने इसमें भाग लिया था, इनमें लेनिनग्राद और लाडोगा बिशप निकोडिम (रोटोव) थे। इसके बाद [दो चर्चों के बीच] संबंध प्रगाढ़ हुए, चर्चों के प्रतिनिधियों और प्रमुखों का परस्पर दौरा हुआ। अब हमारी दोस्ती प्रबल है, और हम इस दोस्ती को बहुत महत्व देते हैं। मलंकारा चर्च रूसी चर्च की सफलताओं का बहुत ध्यान से अनुसरण करता है और जब यह कठिन परिस्थितियों में होता है तो हमदर्दी व्यक्त करता है और जब इसकी आलोचना की जाती है तो सहानुभूति रखता है। हम हर दिशा में रूसी चर्च के प्रति समर्थन व्यक्त करते हैं।
Sputnik: क्या रूस में मलंकारा चर्च के और रूसी चर्च के भारत में पैरिश हैं? यदि नहीं, तो क्या इन्हें खोलने की कोई योजना है?
बेसेलियोस मार्थोमा मैथ्यूज तृतीय: भारत से बहुत सारे छात्र मास्को और सेंट पीटर्सबर्ग के धर्मनिरपेक्ष विश्वविद्यालयों में पढ़ाई करते हैं। यह अच्छा है कि वे रूसी चर्च के गिरजाघरों का दौरा कर सकते हैं और इसकी धार्मिक परंपरा से परिचय कर सकते हैं। पैरिश के माध्यम से मलंकारा चर्च की धार्मिक परंपरा को संरक्षित किया जा सकता है और रूस में रहने वाले रूढ़िवादी ईसाई लोगों तक पहुंचाया जा सकता है। हम रूस में पैरिश बनाना चाहते हैं। और हम इस मुद्दे को मात्र ऑर्थोडॉक्स चर्च के प्रमुख पैट्रिआर्क किरिल के आशीर्वाद से ही हल कर सकते हैं।
वहीं, भारत में रूसी ऑर्थोडॉक्स चर्च के कई पैरिश हैं। और हम इस बात से हर्ष हैं, हम उनके संपर्क में बने रहे हैं और बातचीत कर रहे हैं।
Sputnik: भारत और दुनिया के अन्य देशों में कितने लोग खुद को मलंकारा चर्च का सदस्य मानते हैं?
बेसेलियोस मार्थोमा मैथ्यूज तृतीय: मलंकारा चर्च में अब दुनिया भर में 2.5 मिलियन पैरिशियन हैं। पैरिशियनों की संख्या धीरे-धीरे बढ़ रही है। हमारे यहां यूरोप और लैटिन अमेरिका सहित, अंग्रेजी और स्पेनिश भाषी देशों से लोग आते हैं। पुराने जमाने से ब्रिटन में हमारे पैरिश हैं, हाल ही में हमने पेरिस में एक पैरिश खोला है। हमें आशा है कि पैरिशों की संख्या में और भी वृद्धि होगी।
हालांकि, हमारे चर्च का मूल क्षेत्र भारत और विशेष रूप से केरल राज्य है, जहां प्रेरित थॉमस ने इसकी स्थापना की थी।
Sputnik: भारत में अधिकारी मलंकारा चर्च के साथ कैसा व्यवहार करते हैं?
बेसेलियोस मार्थोमा मैथ्यूज तृतीय: हमें भारतीय सरकार से कोई दिक्कत नहीं है। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की सरकार हमारे चर्च के साथ अनुकूल व्यवहार करती है और रूढ़िवादी ईसाई लोगों की रक्षा भी करती है। हमने केरल राज्य के अधिकारियों का सहयोग स्थापित किया है। भारतीय सरकार ने हमारे चर्च को भारत के पारंपरिक संप्रदाय के रूप में मान्यता दी है, जिसका अर्थ है कि हम कानून द्वारा संरक्षित हैं। भारत हमारा घर है और हम इसे अनुभूत करते हैं।
Sputnik: क्या मलंकारा चर्च भारत में अन्य धर्मों के प्रतिनिधियों के साथ सहयोग करता है?
बेसेलियोस मार्थोमा मैथ्यूज तृतीय: जहां तक ​​अन्य धर्मों के प्रतिनिधियों का संबंध है, हमारे बीच भाईचारापूर्ण सह-अस्तित्व है, वे हमारा सम्मान करते हैं और हम उनका सम्मान करते हैं। मलंकारा चर्च का प्रमुख बनने के बाद मैंने भारत में अन्य सभी धर्मों के प्रतिनिधियों से मिलने की कोशिश की। हम सामान्य धर्मार्थ परियोजनाओं में लगे हुए हैं; हम चिकित्सा देखभाल प्रदान करते हैं, रोजगार प्राप्त करने में सहायता करते हैं और प्रतिभाशाली युवाओं को शिक्षा प्राप्त करने में सहायता करते हैं। अर्थात् हमने अधिकारियों और अन्य धर्मों के प्रतिनिधियों के साथ सहयोग कर रहे हैं।
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