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पिछले वर्षों में भारतीय खुफिया तंत्र बड़े पैमाने पर बढ़ा है: रक्षा विशेषज्ञ
पिछले वर्षों में भारतीय खुफिया तंत्र बड़े पैमाने पर बढ़ा है: रक्षा विशेषज्ञ
Sputnik भारत
भारत की राजधानी नई दिल्ली में 16 अक्टूबर से शुरू हुए सैन्य कमांडरों के सम्मेलन में भारतीय सेना में चल रही परिवर्तन प्रक्रिया की समीक्षा के अलावा परिचालन तैयारियों पर चर्चा की जा रही है।
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भारतीय रक्षा मंत्रालय के प्रधान प्रवक्ता ए. भारत भूषण बाबू ने कहा था कि 4 दिनों तक चलने वाले इस सम्मेलन में भारतीय सेना के वरिष्ठ अधिकारी सेना की परिचालन तैयारियों की समीक्षा करने के अलावा वर्तमान और उभरते सुरक्षा परिदृश्यों पर विचार-विमर्श करेंगे।उन्होंने आगे कहा कि अधिकारी चल रही परिवर्तन प्रक्रिया, प्रशिक्षण मामलों, मानव संसाधन प्रबंधन पहलुओं और सेवारत कर्मियों को प्रभावित करने वाले मुद्दों की समीक्षा सहित महत्वपूर्ण विषयों पर भी चर्चा करेंगे। शुरुआत के बाद, इस सम्मेलन को चीफ ऑफ डिफेंस स्टाफ जनरल अनिल चौहान, थल सेना प्रमुख जनरल मनोज पांडे और वायु सेना प्रमुख एयर चीफ मार्शल वीआर चौधरी ने सभा को संबोधित किया। इसके अलावा देश के रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह ने 18 अक्टूबर को इस सम्मेलन में भाग लिया। Sputnik India ने रक्षा विशेषज्ञ और भारतीय सेना से मेजर जनरल के पद से सेवनिव्रत प्रमोद कुमार सहगल से 4 दिन चलने वाले कमांडरों के सम्मेलन के बारे में बात की, तो उन्होंने बताया कि इस सम्मेलन में इजराइल और हमास के संघर्ष के समय में चीन और पाकिस्तान से सटी सीमा पर सुरक्षा और खुफिया तंत्र को मजबूत करने पर बात करने की उम्मीद है, क्योंकि जिस तरह से हमास ने इज़राइल की सुरक्षा और खुफिया तंत्र को धता बताकर हमले को अंजाम दिया, इससे भारतीय सेना को भी सबक लेना चाहिए। सहगल आगे बताते हैं कि इस सम्मेलन में दैनिक आधार पर बमों, कन्वेंशन रॉकेट और मिसाइलों की खपत पर बात की जा सकती है, जो पहले से कहीं अधिक है। "हमास के सामने इज़राइल का खुफिया तंत्र बेबस हुआ, इसे देखते हुए मुझे पूरा यकीन है कि इस क्षेत्र को बहुत गंभीरता से देखा जाएगा," उन्होंने कहा।इस संघर्ष में इज़राइल और हमास की तरफ से अब तक 3000 से ज्यादा लोग मारे गए हैं और अभी भी इसके खत्म होने की नजर नहीं आ रही हैं।"आज के संदर्भ में प्रतिदिन जितनी मात्रा में गोला-बारूद का उपयोग किया जाता है, भारत के गोला-बारूद के पैमाने में उतनी विविधता नहीं है और हमें यह नए सिरे से देखने की जरूरत है," उन्होंने कहा। सेना के कमांडरों का सम्मेलन एक शीर्ष स्तरीय द्विवार्षिक कार्यक्रम है जिसमें वैचारिक स्तर पर विचार-विमर्श किया जाता है, जिसके जरिए भारतीय सेना के लिए महत्वपूर्ण नीतिगत निर्णयों पर बात की जाती है।इस वर्ष नए प्रारूप के तहत सेना कमांडरों के सम्मेलन को हाइब्रिड प्रारूप में आयोजित किया जा रहा है। सहगल आगे बताते हैं कि "हमें LAC को लेकर अल्ट्रा विजुअल होना होगा क्योंकि नियंत्रण रेखा पर कुछ हो सकता है और पाकिस्तान को देखते हुए यह जरूरी है कि हम अपनी संपूर्ण तैयारी की स्थिति को समग्रता में देखें।"रक्षा विशेषज्ञ सहगल ने आखिर में बताया कि "इज़राइल ने यह मान लिया कि हमास के पास इज़राइल को चुनौती देने की क्षमता नहीं है और इससे ऐसा कुछ हुआ जो उनकी सुरक्षा के लिए हानिकारक साबित हुआ। और यह एक आपदा साबित हुई। हमें यह सुनिश्चित करना होगा कि हम परिस्थितियों या परिणामों का अनुसरण न करें।"
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सैन्य कमांडरों का सम्मेलन,रक्षा मंत्रालय के प्रधान प्रवक्ता ए. भारत भूषण बाबू ,चीफ ऑफ डिफेंस स्टाफ जनरल अनिल चौहान, थल सेना प्रमुख जनरल मनोज पांडे और वायु सेना प्रमुख एयर चीफ मार्शल वीआर चौधरी सभा, रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह,मेजर जनरल के पद से सेवनिव्रत प्रमोद कुमार सहगल,military commanders' conference, principal spokesperson of the defense ministry a. bharat bhushan babu, chief of defense staff general anil chauhan, army chief general manoj pandey and air force chief air chief marshal vr chaudhary sabha, defense minister rajnath singh, retired major general pramod kumar sehgal.
सैन्य कमांडरों का सम्मेलन,रक्षा मंत्रालय के प्रधान प्रवक्ता ए. भारत भूषण बाबू ,चीफ ऑफ डिफेंस स्टाफ जनरल अनिल चौहान, थल सेना प्रमुख जनरल मनोज पांडे और वायु सेना प्रमुख एयर चीफ मार्शल वीआर चौधरी सभा, रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह,मेजर जनरल के पद से सेवनिव्रत प्रमोद कुमार सहगल,military commanders' conference, principal spokesperson of the defense ministry a. bharat bhushan babu, chief of defense staff general anil chauhan, army chief general manoj pandey and air force chief air chief marshal vr chaudhary sabha, defense minister rajnath singh, retired major general pramod kumar sehgal.
पिछले वर्षों में भारतीय खुफिया तंत्र बड़े पैमाने पर बढ़ा है: रक्षा विशेषज्ञ
19:47 18.10.2023 (अपडेटेड: 19:48 18.10.2023) भारत की राजधानी नई दिल्ली में 16 अक्टूबर को सेना कमांडरों का सम्मेलन शुरू हुआ था। Sputnik India ने रक्षा विशेषज्ञ से बात की, जिन्होंने भारतीय सेना में परिवर्तन प्रक्रिया और परिचालन तैयारियों के बारे में बताया।
भारतीय रक्षा मंत्रालय के प्रधान प्रवक्ता ए. भारत भूषण बाबू ने कहा था कि 4 दिनों तक चलने वाले इस सम्मेलन में भारतीय सेना के वरिष्ठ अधिकारी सेना की परिचालन तैयारियों की समीक्षा करने के अलावा वर्तमान और उभरते सुरक्षा परिदृश्यों पर विचार-विमर्श करेंगे।
"सेना कमांडरों का सम्मेलन, अपने व्यापक दायरे के साथ, यह सुनिश्चित करता है कि भारतीय सेना प्रगतिशील, दूरदर्शी, अनुकूली और भविष्य के लिए तैयार रहे," उन्होंने मीडिया से कहा।
उन्होंने आगे कहा कि अधिकारी चल रही परिवर्तन प्रक्रिया, प्रशिक्षण मामलों, मानव संसाधन प्रबंधन पहलुओं और सेवारत कर्मियों को प्रभावित करने वाले मुद्दों की समीक्षा सहित महत्वपूर्ण विषयों पर भी चर्चा करेंगे।
शुरुआत के बाद, इस सम्मेलन को चीफ ऑफ डिफेंस स्टाफ जनरल अनिल चौहान,
थल सेना प्रमुख जनरल मनोज पांडे और वायु सेना प्रमुख एयर चीफ मार्शल वीआर चौधरी ने सभा को संबोधित किया। इसके अलावा देश के रक्षा मंत्री
राजनाथ सिंह ने 18 अक्टूबर को इस सम्मेलन में भाग लिया।
Sputnik India ने रक्षा विशेषज्ञ और भारतीय सेना से मेजर जनरल के पद से सेवनिव्रत
प्रमोद कुमार सहगल से 4 दिन चलने वाले कमांडरों के सम्मेलन के बारे में बात की, तो उन्होंने बताया कि इस सम्मेलन में इजराइल और
हमास के संघर्ष के समय में चीन और पाकिस्तान से सटी सीमा पर सुरक्षा और खुफिया तंत्र को मजबूत करने पर बात करने की उम्मीद है, क्योंकि जिस तरह से हमास ने इज़राइल की सुरक्षा और खुफिया तंत्र को धता बताकर हमले को अंजाम दिया, इससे भारतीय सेना को भी सबक लेना चाहिए।
सहगल आगे बताते हैं कि इस सम्मेलन में दैनिक आधार पर बमों, कन्वेंशन रॉकेट और मिसाइलों की खपत पर बात की जा सकती है, जो पहले से कहीं अधिक है। "हमास के सामने इज़राइल का खुफिया तंत्र बेबस हुआ, इसे देखते हुए मुझे पूरा यकीन है कि इस क्षेत्र को बहुत गंभीरता से देखा जाएगा," उन्होंने कहा।
"पिछले 9 से 10 वर्षों में भारतीय खुफिया तंत्र बड़े पैमाने पर बढ़ा है, लेकिन हमें कभी भी शालीनता की भावना या अति आत्मविश्वास या आंतरिक विभाजन की भावना से पीड़ित नहीं होना चाहिए। इज़राइल में नेतन्याहू के खिलाफ विरोध प्रदर्शन चल रहे थे क्योंकि वे न्यायिक सुधार सुनिश्चित करना चाहते थे जो लोकतंत्र के लिए अच्छा संकेत नहीं है, जिसके बाद आंतरिक निर्णय के कारण मोसाद और अन्य में विभाजन हुआ," प्रमोद कुमार सहगल ने Sputnik India को बताया।
इस संघर्ष में इज़राइल और हमास की तरफ से अब तक 3000 से ज्यादा लोग मारे गए हैं और अभी भी इसके खत्म होने की नजर नहीं आ रही हैं।
"इज़राइल और हमास के बीच चल रहे संघर्ष से अपने सबक सीखने हैं और यह सुनिश्चित करना है कि किसी भी परिस्थिति में हम आश्चर्यचकित न हों, इसलिए उस दृष्टिकोण से हमें अभ्यास करना बहुत महत्वपूर्ण है," रक्षा विशेसज्ञ ने कहा।
"आज के संदर्भ में प्रतिदिन जितनी मात्रा में गोला-बारूद का उपयोग किया जाता है, भारत के गोला-बारूद के पैमाने में उतनी विविधता नहीं है और हमें यह नए सिरे से देखने की जरूरत है," उन्होंने कहा।
सेना के कमांडरों का सम्मेलन एक शीर्ष स्तरीय द्विवार्षिक कार्यक्रम है जिसमें वैचारिक स्तर पर विचार-विमर्श किया जाता है, जिसके जरिए
भारतीय सेना के लिए महत्वपूर्ण नीतिगत निर्णयों पर बात की जाती है।
इस वर्ष नए प्रारूप के तहत सेना कमांडरों के सम्मेलन को हाइब्रिड प्रारूप में आयोजित किया जा रहा है। सहगल आगे बताते हैं कि "हमें
LAC को लेकर अल्ट्रा विजुअल होना होगा क्योंकि नियंत्रण रेखा पर कुछ हो सकता है और पाकिस्तान को देखते हुए यह जरूरी है कि हम अपनी संपूर्ण तैयारी की स्थिति को समग्रता में देखें।"
रक्षा विशेषज्ञ सहगल ने आखिर में बताया कि "इज़राइल ने यह मान लिया कि हमास के पास इज़राइल को चुनौती देने की क्षमता नहीं है और इससे ऐसा कुछ हुआ जो उनकी सुरक्षा के लिए हानिकारक साबित हुआ। और यह एक आपदा साबित हुई। हमें यह सुनिश्चित करना होगा कि हम परिस्थितियों या परिणामों का अनुसरण न करें।"