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भारत को क्यों है स्थिर म्यांमार की आवश्यकता?

© AP Photo / Esther HtusanA Border Guard Police officer stands at a police post that was previously attacked by a Muslim terrorist group in Kyee Kan Pyin Buthidaung in which Myanmar government and military claim the existence of Muslim terrorists, in Rakhine state Myanmar, on Friday, July 14, 2017
A Border Guard Police officer stands at a police post that was previously attacked by a Muslim terrorist group in Kyee Kan Pyin Buthidaung in which Myanmar government and military claim the existence of Muslim terrorists, in Rakhine state Myanmar, on Friday, July 14, 2017 - Sputnik भारत, 1920, 17.11.2023
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विशेष
सीमा पुलिस ने Sputnik India से पुष्टि की कि म्यांमार के सैन्यकर्मी विद्रोही आक्रमणों से बचने के प्रयास में भारत के क्षेत्र में घुसपैठ कर रहे हैं।
भारत के चम्फाई जिले में मिजोरम पुलिस स्टेशन (एमपीएस) के एक पुलिस अधिकारी ने Sputnik India को बताया कि कम से कम 29 म्यांमार सैनिक गुरुवार को भारत में सीमा पार कर गए।
अधिकारी के अनुसार, मंगलवार को भी भारतीय सुरक्षा बलों ने अवैध रूप से सीमा पार करने के आरोप में म्यांमार के 45 सैन्यकर्मियों को हिरासत में लिया था।
बताया गया है कि एक दिन पहले म्यांमार के चिन राज्य में सीमा पार एक सेना चौकी पर पीपुल्स डिफेंस फोर्स (पीडीएफ) द्वारा आक्रमण किया गया था।

मिजोरम पुलिसकर्मी ने कहा, "कुछ [म्यांमार] अधिकारी घायल हो गए और अब चंपई सिविल अस्पताल में उनका उपचार किया जा रहा है, और हिरासत में लिए गए अन्य अधिकारियों को भारतीय सुरक्षा बलों को सौंप दिया गया है।"

क्या विद्रोही सेना से जूझ रहे हैं?

यूनाइटेड सर्विस इंस्टीट्यूशन के निदेशक मेजर जनरल (सेवानिवृत्त) एसबी अस्थाना ने Sputnik India को बताया, “म्यांमार की सेना कई वर्षों से विद्रोहियों (...) से जूझ रही है, परंतु 2021 में तख्तापलट के बाद सैन्य-विरोधी ताकतों ने इस प्रकार से सहयोग करना आरंभ कर दिया, जो पहले कभी नहीं देखा गया था, जिससे सेना को अब तक की सबसे बड़ी चुनौती का सामना करना पड़ा।”
उन्होंने आगे कहा, “पीडीएफ के साथ सहयोग करने वाली जातीय सेनाएं अधिक शक्तिशाली हो गई हैं। उन्होंने अपने प्रभाव क्षेत्र का विस्तार किया है और सभी दिशाओं से सेना पर दबाव बनाने के लिए मिलकर काम करना आरंभ कर दिया है। उन्होंने म्यांमार सेना के विरुद्ध अपने आक्रमणों की तीव्रता भी बढ़ा दी है और कई म्यांमार चौकियों पर नियंत्रण ले लिया है। इसके परिणामस्वरूप, कुछ म्यांमार सैनिकों ने भागने का निर्णय किया और भारत आ गए।”
अस्थाना ने म्यांमार के राष्ट्रपति की घोषणा को दोहराते हुए यह भी कहा, “म्यांमार को चीन के साथ सीमा के क्षेत्रों में हाल की हिंसा से निपटने के खराब तरीके के परिणामस्वरूप विघटन का सामना करना पड़ रहा है”।
इसके अतिरिक्त, जनरल ने दावा किया कि इसके परिणामस्वरूप, सेना बहुआयामी ईएओ आक्रमणों के कारण अपनी जमीन खो रही है, और जातीय सशस्त्र समूह अधिक शक्तिशाली और प्रभावशाली होते जा रहे हैं।
म्यांमार में तख्तापलट के बाद सुरक्षा माहौल सेना और नेशनल लीग फॉर डेमोक्रेसी (एनएलडी) के ब बीच सत्ता संघर्ष के प्रभुत्व से बदलकर बहुपक्षीय हो गया है, जबकि ईएओ महत्वपूर्ण खिलाड़ी के रूप में उभर रहे हैं।

भारत के हित क्या हैं?

जनरल ने कहा, “भारत एक लोकतांत्रिक रूप से शासित, स्थिर म्यांमार को प्राथमिकता देता है; एक अस्थिर म्यांमार भारत को शोभा नहीं देता। इसी तरह, म्यांमार भी दक्षिण पूर्व एशिया के देशों के साथ भारत की सभी पहलों का समर्थन करने के लिए एक रणनीतिक स्थिति में है। ऐसी स्थिति में भारत को सड़क मार्ग से जुड़ने की आवश्यकता है। यह मार्ग म्यांमार से होकर गुजरता है। इसलिए म्यांमार भारत के लिए महत्वपूर्ण हो जाता है।”

उन्होंने भारत और म्यांमार के मध्य लंबे समय से चले आ रहे आदिवासी संबंधों के साथ-साथ पूर्वोत्तर में कुछ जनजातियों की आमद का हवाला देते हुए भारत-म्यांमार सीमा पर तनाव के कारण भारत के लिए भी चिंता व्यक्त की। विद्रोही समूहों और म्यांमार सेना के मध्य संघर्ष में नागरिक उलझ रहे हैं और इससे भारत में शरणार्थी संकट उत्पन्न हो गया है।

भारत ने क्या उपाय किये हैं?

जनरल ने कहा कि शरणार्थी प्रवाह की सुरक्षा के लिए भारत ने निगरानी उपकरणों, प्रौद्योगिकियों और सैन्य घनत्व के लिए सीमा पर सतर्कता, निगरानी, उन्नयन और क्षमता निर्माण बढ़ा दिया है।

अस्थाना ने कहा, “कई अन्य देशों के विपरीत भारत म्यांमार में सैन्य नेताओं के साथ संचार के खुले चैनल रखता है। इसके परिणामस्वरूप, दोनों सरकारें इस विषयों पर बहस करेंगी और साथ मिलकर उचित कार्रवाई पर निर्णय लेंगी।”

1948 में म्यांमार को ब्रिटेन से स्वतंत्रता मिलने के बाद केंद्रीय अधिकारियों और जातीय अल्पसंख्यकों के सैन्य समूहों ने 1990 के दशक तक देश में गृह युद्ध छेड़ रखा था। विशेषज्ञों का मानना है कि फरवरी 2021 में म्यांमार में सेना के सत्ता पर कब्ज़ा करने के बाद से गृह युद्ध में नए सिरे से बढ़ोतरी हो रही है।
 Myanmar national flags are waved as Myanmar migrants in Thailand protest against the military coup in their home country, in front of the United Nations ESCAP building in Bangkok on February 22, 2021.  - Sputnik भारत, 1920, 16.11.2023
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भारत ने म्यांमार सीमा पर शांति का आवाहन करते हुए जताई 'गहरी चिंता'
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