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सार्वजनिक सुरक्षा जैसी स्थिति में सरकार दूरसंचार को कब्जे में ले सकती है: कानूनी ड्राफ्ट
सार्वजनिक सुरक्षा जैसी स्थिति में सरकार दूरसंचार को कब्जे में ले सकती है: कानूनी ड्राफ्ट
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लोकसभा में पेश किए नए प्रस्तावित कानून में कहा गया है कि केंद्र सरकार सार्वजनिक आपातकाल की स्थिति में किसी भी दूरसंचार नेटवर्क पर अस्थायी कब्ज़ा कर सकती है।
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केन्द्रीय संचार मंत्री अश्विनी वैष्णव ने सोमवार को लोकसभा में दूरसंचार विधेयक 2023 पेश किया, जिसके मुताबिक सार्वजनिक सुरक्षा या आपातकाल की स्थिति में भारत सरकार दूरसंचार नेटवर्क को अपने कब्जे में ले सकती है।हालांकि जब मंत्री इस विधेयक का प्रस्ताव रख रहे थे तब पिछले हफ्ते संसद की सुरक्षा में हुए उल्लंघन पर केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह के बयान की मांग को लेकर विपक्ष विरोध कर रहा था। इस नए प्रस्तावित कानून से भारतीय टेलीग्राफ अधिनियम 1885, भारतीय वायरलेस टेलीग्राफी अधिनियम 1933 और टेलीग्राफ तार (गैरकानूनी कब्ज़ा) अधिनियम, 1950 को बदला जाना है।मीडिया को लेकर आगे विधेयक में कहा गया है कि देश में जो भी मान्यता प्राप्त मीडियकर्मी हैं उनके संदेशों को तब तक नहीं रोका जाएगा जब तक कि उनका प्रसारण राष्ट्रीय सुरक्षा खंड के तहत निषिद्ध न हो। मसौदा कानून में यह भी कहा गया है कि सरकार, सार्वजनिक सुरक्षा के हित में, व्यक्तियों के बीच किसी भी संदेश को रोकने का निर्देश दे सकती है। यह सरकार को दूरसंचार नेटवर्क को निलंबित करने का भी अधिकार देता है।विधेयक में यह भी कहा गया है कि संदेशों को गैरकानूनी तरीके से पकड़ने पर तीन साल तक की जेल, 2 करोड़ रुपये तक का जुर्माना या दोनों हो सकते हैं। मसौदे में एक दूरसंचार विवाद निपटान और अपीलीय न्यायाधिकरण के निर्माण का भी प्रावधान है।
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दूरसंचार कानून, प्रस्तावित कानून, दूरसंचार विधेयक 2023 क्या है?दूरसंचार विभाग का क्या मतलब है?एक प्रसिद्ध दूरसंचार प्रणाली क्या है?,what is telecom law, proposed law, telecom bill 2023? what does department of telecommunications mean? what is a well-known telecommunication system?
दूरसंचार कानून, प्रस्तावित कानून, दूरसंचार विधेयक 2023 क्या है?दूरसंचार विभाग का क्या मतलब है?एक प्रसिद्ध दूरसंचार प्रणाली क्या है?,what is telecom law, proposed law, telecom bill 2023? what does department of telecommunications mean? what is a well-known telecommunication system?
सार्वजनिक सुरक्षा जैसी स्थिति में सरकार दूरसंचार को कब्जे में ले सकती है: कानूनी ड्राफ्ट
लोकसभा में पेश किए नए प्रस्तावित कानून में कहा गया है कि केंद्र सरकार सार्वजनिक आपातकाल की स्थिति में किसी भी दूरसंचार नेटवर्क पर अस्थायी कब्ज़ा कर सकती है।
केन्द्रीय संचार मंत्री अश्विनी वैष्णव ने सोमवार को लोकसभा में दूरसंचार विधेयक 2023 पेश किया, जिसके मुताबिक सार्वजनिक सुरक्षा या आपातकाल की स्थिति में भारत सरकार दूरसंचार नेटवर्क को अपने कब्जे में ले सकती है।
हालांकि जब मंत्री इस विधेयक का प्रस्ताव रख रहे थे तब पिछले हफ्ते संसद की सुरक्षा में हुए उल्लंघन पर केंद्रीय गृह मंत्री
अमित शाह के बयान की मांग को लेकर विपक्ष विरोध कर रहा था। इस नए प्रस्तावित कानून से भारतीय टेलीग्राफ अधिनियम 1885, भारतीय वायरलेस टेलीग्राफी अधिनियम 1933 और टेलीग्राफ तार (गैरकानूनी कब्ज़ा) अधिनियम, 1950 को बदला जाना है।
"आपदा प्रबंधन सहित या सार्वजनिक सुरक्षा के हित में किसी भी सार्वजनिक आपातकाल की घटना पर, केंद्र सरकार या राज्य सरकार या केंद्र सरकार या राज्य सरकार द्वारा इस संबंध में विशेष रूप से अधिकृत कोई अधिकारी, यदि संतुष्ट हैं कि ऐसा करना आवश्यक या समीचीन है, तो अधिसूचना द्वारा- (ए) किसी अधिकृत इकाई से किसी भी दूरसंचार सेवा या दूरसंचार नेटवर्क का अस्थायी कब्ज़ा ले लें...," मसौदा कानून में कहा गया है।
मीडिया को लेकर आगे विधेयक में कहा गया है कि देश में जो भी मान्यता प्राप्त मीडियकर्मी हैं उनके संदेशों को तब तक नहीं रोका जाएगा जब तक कि उनका प्रसारण
राष्ट्रीय सुरक्षा खंड के तहत निषिद्ध न हो।
"केंद्र सरकार या राज्य सरकार से मान्यता प्राप्त संवाददाताओं के भारत में प्रकाशित होने वाले प्रेस संदेशों को तब तक रोका या हिरासत में नहीं लिया जाएगा, जब तक कि उनके प्रसारण को उप-धारा (2) के खंड (ए) के तहत प्रतिबंधित नहीं किया गया हो।" विधेयक के मसौदे में कहा गया है।
मसौदा कानून में यह भी कहा गया है कि सरकार,
सार्वजनिक सुरक्षा के हित में, व्यक्तियों के बीच किसी भी संदेश को रोकने का निर्देश दे सकती है। यह सरकार को दूरसंचार नेटवर्क को निलंबित करने का भी अधिकार देता है।
विधेयक में यह भी कहा गया है कि संदेशों को गैरकानूनी तरीके से पकड़ने पर तीन साल तक की जेल, 2 करोड़ रुपये तक का जुर्माना या दोनों हो सकते हैं। मसौदे में एक दूरसंचार विवाद निपटान और अपीलीय न्यायाधिकरण के निर्माण का भी प्रावधान है।