विज्ञान एवं प्रौद्योगिकी

XPoSat को अंतरिक्ष में भेजकर इसरो करेगा नए साल की शुरुआत: रिपोर्ट

© AP Photo / Aijaz RahiIndian spacecraft Chandrayaan-3, the word for "moon craft" in Sanskrit, travels after it was launched from the Satish Dhawan Space Centre in Sriharikota, India, Friday, July 14, 2023. The Indian spacecraft blazed its way to the far side of the moon Friday in a follow-up mission to its failed effort nearly four years ago to land a rover softly on the lunar surface, the country's space agency said. A successful landing would make India the fourth country, after the United States, the Soviet Union, and China, to achieve the feat.
Indian spacecraft Chandrayaan-3, the word for moon craft in Sanskrit, travels after it was launched from the Satish Dhawan Space Centre in Sriharikota, India, Friday, July 14, 2023. The Indian spacecraft blazed its way to the far side of the moon Friday in a follow-up mission to its failed effort nearly four years ago to land a rover softly on the lunar surface, the country's space agency said. A successful landing would make India the fourth country, after the United States, the Soviet Union, and China, to achieve the feat. - Sputnik भारत, 1920, 22.12.2023
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भारतीय मीडिया की एक रिपोर्ट के मुताबिक भारत की अंतरिक्ष एजेंसी साल 2024 की शुरुआत 1 जनवरी को अपने पहले पोलारिमेट्री मिशन एक्सपीओसैट के लॉन्च के साथ कर सकती है।
इससे पूर्व भारत दो अंतरिक्ष-आधारित वेधशाला लॉन्च कर चुका है। जिसमें एक हाल ही में लॉन्च किया गया सौर मिशन आदित्य-एल1 और 2015 में लॉन्च किया गया एस्ट्रोसैट है।
इस लॉन्च में दो प्लेलोड POLIX (एक्स-रे में पोलारिमीटर उपकरण) और XSPECT (एक्स-रे स्पेक्ट्रोस्कोपी और टाइमिंग) को पृथ्वी की निचली कक्षा में भेजा जाएगा। इस मिशन की अवधि पांच वर्ष निर्धारित की गई है।
इस लॉन्च के द्वारा अंतरिक्ष में खगोलीय एक्स-रे के किरणों के "ध्रुवीकरण" का अध्ययन किया जाएगा, जिससे इनके निकालने के बारे में अंदरूनी जानकारी का पता लगाया जा सके।
यह खगोलीय घटनाओं का अध्ययन करने की एक विधि है, जिसमें उनकी इमेजिंग के अतिरिक्त, किसी स्रोत से प्रकाश में उतार-चढ़ाव और आकाशीय पिंडों द्वारा उत्सर्जित ऊर्जा का अध्ययन किया जाता है। वेधशाला ब्लैक होल और न्यूट्रॉन तारे (विशाल तारे का ढहा हुआ कोर) जैसे स्रोतों से उत्सर्जन तंत्र को समझने में सहायता कर सकती है।
POLIX को 8-30 keV में अवलोकन करने के लिए डिज़ाइन किया गया है, वहीं XSPECT स्पेक्ट्रोस्कोपी नामक अवलोकन की एक विधि का उपयोग विभिन्न पदार्थों द्वारा उत्पन्न विद्युत चुम्बकीय स्पेक्ट्रम के अध्ययन में होता है।
The Sun popped off an M-Class (moderate level) flare on Sept. 25, 2011 that sent a plume of plasma out above the Sun, but a good portion of it appeared to fall back towards the active region that launched it - Sputnik भारत, 1920, 25.08.2023
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