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DRDO स्वदेशी तापस ड्रोन की क्षमताओं का विकास जारी रखेगा: रिपोर्ट
DRDO स्वदेशी तापस ड्रोन की क्षमताओं का विकास जारी रखेगा: रिपोर्ट
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भारत रक्षा अनुसंधान और विकास संगठन (DRDO) द्वारा विकसित किये गए मध्यम-ऊंचाई वाले ड्रोन तापस को विकसित करने की अपनी योजना को जारी रखने जा रहा है।
2024-01-16T12:04+0530
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मीडिया के मुताबिक, भारत अपने रक्षा अनुसंधान एवं विकास संगठन (DRDO) द्वारा विकसित किये गए मध्यम-ऊंचाई वाले ड्रोन तापस को विकसित करने की अपनी योजना को जारी रखने जा रहा है।भारतीय रक्षा बलों द्वारा तापस ड्रोन का परीक्षण किया गया था। यह परीक्षण के दौरान 28,000 फीट की ऊंचाई के साथ साथ 18 घंटे से अधिक समय तक उड़ान भरने में कामयाब रहा।DRDO के अधिकारियों ने कहा कि ADE प्रयोगशाला ड्रोन के डिजाइन में सुधार और शक्ति बढ़ाने पर काम करेगी ताकि इसको ऊंचाई पर अधिक स्थिरता से सेवा देने जैसी आवश्यकताओं के लिए उपयुक्त बनाया जा सके, जिसे वह पिछले परीक्षण में पूरा करने में सक्षम नहीं था।भारत का रक्षा अनुसंधान संस्थान एवं विकास संगठन DRDO प्रमुख ड्रोन परियोजनाओं पर काम कर रहा है, जिसमें घातक जैसे मानव रहित लड़ाकू विमान और आर्चर जैसी अन्य परियोजनाएं शामिल हैं।
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DRDO स्वदेशी तापस ड्रोन की क्षमताओं का विकास जारी रखेगा: रिपोर्ट
हाल के सालों में भारत ने देश में बनी तकनीक के जरिए कई क्षेत्रों में काफी प्रगति की है, खास तौर पर रक्षा क्षेत्र में भारत ने अपने स्तर पर कई आधुनिक हथियारों का विकास किया है, इनमें से एक है तापस ड्रोन जो DRDO द्वारा विकसित किया जा रहा है।
मीडिया के मुताबिक, भारत अपने रक्षा अनुसंधान एवं विकास संगठन (DRDO) द्वारा विकसित किये गए मध्यम-ऊंचाई वाले ड्रोन तापस को विकसित करने की अपनी योजना को जारी रखने जा रहा है।
"हम कार्यक्रम को जारी रखने जा रहे हैं और वैमानिकी विकास प्रतिष्ठान (ADE) प्रयोगशाला इस पर काम कर रही है। भले ही इसे परियोजनाओं की मिशन मोड श्रेणी से बाहर कर दिया गया है, लेकिन इसका विकास जारी रहेगा। हम इसमें और अधिक ऊंचाई और सहनशक्ति जोड़ेंगे," रक्षा अधिकारियों ने भारतीय मीडिया को बताया।
भारतीय रक्षा बलों द्वारा तापस ड्रोन का परीक्षण किया गया था। यह परीक्षण के दौरान 28,000 फीट की ऊंचाई के साथ साथ 18 घंटे से अधिक समय तक उड़ान भरने में कामयाब रहा।
DRDO के अधिकारियों ने कहा कि ADE प्रयोगशाला ड्रोन के डिजाइन में सुधार और शक्ति बढ़ाने पर काम करेगी ताकि इसको ऊंचाई पर अधिक स्थिरता से सेवा देने जैसी आवश्यकताओं के लिए उपयुक्त बनाया जा सके, जिसे वह पिछले परीक्षण में पूरा करने में सक्षम नहीं था।
भारत का रक्षा अनुसंधान संस्थान एवं विकास संगठन DRDO
प्रमुख ड्रोन परियोजनाओं पर काम कर रहा है, जिसमें घातक जैसे मानव रहित लड़ाकू विमान और आर्चर जैसी अन्य परियोजनाएं शामिल हैं।