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उल्फा का त्रिपक्षीय समझौता असम के लिए शांति और विकास के नए युग की शुरुआत: उल्फा महासचिव

© AP Photo / Anupam NathAn Indian woman laborer plucks tea leaves at a tea garden in Kaziranga, in the northeastern Indian state of Assam, Thursday, Oct. 11, 2018.
An Indian woman laborer plucks tea leaves at a tea garden in Kaziranga, in the northeastern Indian state of Assam, Thursday, Oct. 11, 2018. - Sputnik भारत, 1920, 26.01.2024
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उल्फा की स्थापना 7 अप्रैल, 1979 को असम के शिवसागर जिले के ऐतिहासिक रंग घर में हुई थी, वह एक स्वतंत्र संप्रभु राष्ट्र असम की स्थापना करने के उद्देश्य से की गई थी। कुछ सालों बाद केंद्र सरकार ने 1990 में उल्फा को आतंकवादी संगठन बताते हुए उस पर प्रतिबंध लगा दिया।
सिपाझार में उल्फा की बैठक के बाद यूनाइटेड लिबरेशन फ्रंट ऑफ असम (उल्फा) ने अपने गठन के लगभग 44 सालों बाद मंगलवार को इस संगठन को खत्म कर दिया।

"अभी की स्तिथि बदली है और लोगों की मानसिकता हथियारों को लेकर सकारात्मक नहीं है, इसलिए हमने सशस्त्र संघर्ष को छोड़ना सही समझा और यह सही समय था कि भारत सरकार के साथ बातचीत की जाए," उल्फा महासचिव अनूप चेतिया ने Sputnik India को बताया।

इस समझौते में कैडरों को एकमुश्त अनुग्रह भुगतान, उनके द्वारा आर्थिक गतिविधियों के वित्तपोषण, व्यावसायिक प्रशिक्षण और योग्यता के आधार पर सरकारी नौकरियों का वादा किया गया है। साथ ही उल्फा कैडरों के खिलाफ गैर-जघन्य अपराधों के लिए दर्ज आपराधिक मामले वापस ले लिए जाएंगे। ULFA कैडरों की कुल संख्या लगभग 900 है।

"सशस्त्र संघर्ष में शामिल लड़कों को आर्थिक रूप से सक्षम बनाने और असम के विकास के लिए कार्य करने को भारत सरकार और असम सरकार ने हमें अभी कुछ पैकज दिए हैं, इसके अलावा कुछ प्रोजेक्ट भी हैं जिनमें सरकार से शांति समझौते के बाद हम भारत की लोकतांत्रिक व्यवस्था के ही साथ मिलकर अपने मकसद के लिए काम करेंगे। अब हम लोग किसी भी तरह का आंदोलन नहीं करेंगे," अनूप चेतिया ने Sputnik India से कहा।

"भाजपा की सरकार आने के बाद भारतीय प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी, गृह मंत्री अमित शाह और असम के मुख्यमंत्री हिमंता बिस्वा सरमा को धन्यवाद देता हूँ और उनके प्रति आभारी हूँ जो असम की समस्या को हल करने के लिए आगे आए," अनूप चेतिया ने टिप्पणी की।
उल्फा 2011 में दो हिस्सों में बंट गया था। एक हिस्सा शांति के लिए सरकार से बातचीत करने लगी, जबकि दूसरा पारेश बरुआ के नेतृत्व में सशस्त्र आंदोलन के माध्यम से अलग असम देश बनाने पर जोर देता है। कहा जाता है कि बरुआ चीन में हैं और उनके समर्थन में 100 कैडर हैं जो मुख्य रूप से म्यांमार सीमा से कार्यरत हैं।

"भारत सरकार और असम सरकार को हमने 900 लड़के की नई लिस्ट भेजी है, इससे पहले भी बहुत सारे लोगों की लिस्ट भेज दी गई थी। साथ ही हमने हथियारों के बारे में भी गृह मंत्रालय को बता दिया है, हमारे पास ज्यादा हथियार नहीं और इसके आंकड़े के बारे में कोई जानकारी नहीं है," चेतिया ने Sputnik India को बताया।

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