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भारतीय वायुसेना को मिल सकते हैं हवा में ईंधन भरने वाले और टोही विमान: रिपोर्ट
भारतीय वायुसेना को मिल सकते हैं हवा में ईंधन भरने वाले और टोही विमान: रिपोर्ट
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ET की ताजा रिपोर्ट के मुताबिक रक्षा मंत्रालय भारतीय वायुसेना के लिए हवा में ईंधन भरने वाले छह नए विमानों का अधिग्रहण करने पर विचार कर रहा है, जिनके लिए 10000 करोड़ रुपए की आवश्यकता होगी।
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ET की ताजा रिपोर्ट के मुताबिक रक्षा मंत्रालय भारतीय वायुसेना के लिए हवा में ईंधन भरने वाले छह नए विमानों का अधिग्रहण करने पर विचार कर रहा है, जिनके लिए 10000 करोड़ रुपए की आवश्यकता होगी।रिपोर्ट में आगे बताया गया कि इसके अलावा मंत्रालय खुफिया जानकारी इकट्ठा करने वाले तीन विमानों को लाने की भी योजना बना रहा है, जिसकी मदद से देश में सेंसर प्रौद्योगिकियों और प्रणालियों का विकास किये जाने की संभावना है।इस प्रस्ताव में सीमित संख्याओं को देखते हुए, इसे ‘बाय ग्लोबल’ श्रेणी के तहत पूर्व-स्वामित्व वाले विमानों को मध्य हवा में ईंधन भरने वाले विमानों में परिवर्तित करके भी पूरा किया जा सकता है।सूत्रों ने कहा कि पहले से इस्तेमाल किये गए विमानों को वैश्विक बाजार से हासिल किया जा सकता है, लेकिन उन्हें टैंकरों में बदलने की प्रक्रिया के लिए सटीक इंजीनियरिंग और प्रमाणन की आवश्यकता होगी, जिसे देश में स्थानीय भागीदारों की मदद से अंजाम दिया जा सकता है। भारतीय वायुसेना अपने विमानों में अभी हवा में ईंधन भरने के लिए रूसी मूल के IL 78 विमानों का इस्तेमाल कर रही है।युद्धक्षेत्रों का नक्शा तैयार करने और वास्तविक समय में दुश्मन की गतिविधियों पर नजर रखने के लिए तीन महत्वपूर्ण खुफिया, निगरानी, लक्ष्य प्राप्ति टोही प्लेटफार्मों के लिए ₹6,000 करोड़ की परियोजना पर भी आगे बढ़ने की उम्मीद है। इस परियोजना के मुताबिक देश में प्रमुख एजेंसी के रूप में DRDO विमान के सेंसर और निगरानी उपकरण विकसित करेगा और विमान विदेश से प्राप्त एक वाणिज्यिक या कार्यकारी जेट होगा।
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भारतीय वायुसेना को मिल सकते हैं हवा में ईंधन भरने वाले और टोही विमान: रिपोर्ट
14:17 07.02.2024 (अपडेटेड: 14:22 07.02.2024) किसी भी देश की वायुसेना के लिए हवा में ईधन भरने की क्षमता उसके विमानों को अधिक दूरी तक जाकर काम करने में सक्षम बनाती है।
ET की ताजा रिपोर्ट के मुताबिक रक्षा मंत्रालय भारतीय वायुसेना के लिए हवा में ईंधन भरने वाले छह नए विमानों का अधिग्रहण करने पर विचार कर रहा है, जिनके लिए 10000 करोड़ रुपए की आवश्यकता होगी।
रिपोर्ट में आगे बताया गया कि इसके अलावा मंत्रालय खुफिया जानकारी इकट्ठा करने वाले तीन विमानों को लाने की भी योजना बना रहा है, जिसकी मदद से देश में
सेंसर प्रौद्योगिकियों और प्रणालियों का विकास किये जाने की संभावना है।
इस प्रस्ताव में सीमित संख्याओं को देखते हुए, इसे ‘बाय ग्लोबल’ श्रेणी के तहत पूर्व-स्वामित्व वाले विमानों को
मध्य हवा में ईंधन भरने वाले विमानों में परिवर्तित करके भी पूरा किया जा सकता है।
सूत्रों ने कहा कि पहले से इस्तेमाल किये गए विमानों को वैश्विक बाजार से हासिल किया जा सकता है, लेकिन उन्हें टैंकरों में बदलने की प्रक्रिया के लिए सटीक इंजीनियरिंग और प्रमाणन की आवश्यकता होगी, जिसे देश में स्थानीय भागीदारों की मदद से अंजाम दिया जा सकता है। भारतीय वायुसेना अपने विमानों में अभी हवा में ईंधन भरने के लिए
रूसी मूल के IL 78 विमानों का इस्तेमाल कर रही है।
युद्धक्षेत्रों का नक्शा तैयार करने और वास्तविक समय में दुश्मन की गतिविधियों पर नजर रखने के लिए तीन महत्वपूर्ण खुफिया, निगरानी, लक्ष्य प्राप्ति टोही प्लेटफार्मों के लिए ₹6,000 करोड़ की परियोजना पर भी आगे बढ़ने की उम्मीद है।
इस परियोजना के मुताबिक देश में प्रमुख एजेंसी के रूप में DRDO विमान के सेंसर और निगरानी उपकरण विकसित करेगा और विमान विदेश से प्राप्त एक वाणिज्यिक या कार्यकारी जेट होगा।