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इसरो चंद्रयान-4 मिशन के लिए वैज्ञानिक मनन और चर्चा, चंद्रमा से लाया जाएगा मिट्टी का नमूना!
इसरो चंद्रयान-4 मिशन के लिए वैज्ञानिक मनन और चर्चा, चंद्रमा से लाया जाएगा मिट्टी का नमूना!
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पिछले जुलाई में अपने सफल चंद्रयान-3 मिशन के बाद इसरो चंद्रमा से मिट्टी के नमूने को वापस लाने के और अधिक जटिल मिशनों के लिए तैयार है।
2024-02-18T17:41+0530
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भारतीय अंतरिक्ष एजेंसी (इसरो) के अध्यक्ष एस सोमनाथ ने शनिवार को जीएसएलवी-एफ14/इनसैट-3डीएस उपग्रह के सफल प्रक्षेपण के बाद कहा कि कि अंतरिक्ष एजेंसी चंद्रयान-3 की सफलता के उपरांत भविष्य में चंद्रयान-4, 5, 6 और 7 मिशन भेजना चाहती है।सोमनाथ ने कहा, "पहली मुख्य बात हमने यह तय की कि चंद्रयान-4 के द्वारा चंद्रमा की मिट्टी का नमूना पृथ्वी पर लाया जाए। हम इसे रोबोटिक ढंग से करना चाहते हैं। इसलिए, यही चर्चा चल रही है।"रिपोर्ट के अनुसार, इसरो प्रमुख ने कहा कि वैज्ञानिक चंद्रयान-4 मिशन के लिए एक उच्च-स्तरीय तकनीक विकसित करने में लगे हुए हैं। 2013 में लॉन्च किए गए INSAT-3D उपग्रह के बारे में बात करते हुए उन्होंने कहा कि वैज्ञानिक इसे धीरे-धीरे "डीकमीशन (सेवामुक्त)" करेंगे, क्योंकि इसके कार्य 'खराब' हो रहे थे।
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इसरो चंद्रयान-4 मिशन के लिए वैज्ञानिक मनन और चर्चा, चंद्रमा से लाया जाएगा मिट्टी का नमूना!
पिछले जुलाई में अपने सफल चंद्रयान-3 मिशन के बाद इसरो चंद्रमा से मिट्टी के नमूने को वापस लाने के और अधिक जटिल मिशनों के लिए तैयार है।
भारतीय अंतरिक्ष एजेंसी (इसरो) के अध्यक्ष एस सोमनाथ ने शनिवार को जीएसएलवी-एफ14/इनसैट-3डीएस उपग्रह के सफल प्रक्षेपण के बाद कहा कि कि अंतरिक्ष एजेंसी चंद्रयान-3 की सफलता के उपरांत भविष्य में चंद्रयान-4, 5, 6 और 7 मिशन भेजना चाहती है।
सोमनाथ ने कहा, "हम इस योजना पर कार्यरत हैं कि चंद्रयान-4 अंतरिक्ष यान में क्या-क्या निहित होना चाहिए। पहला प्रश्न यह है कि चंद्रयान-4 में (उपकरण के रूप में) क्या-क्या उपलब्ध होना चाहिए...।
सोमनाथ ने कहा, "पहली मुख्य बात हमने यह तय की कि चंद्रयान-4 के द्वारा
चंद्रमा की मिट्टी का नमूना पृथ्वी पर लाया जाए। हम इसे रोबोटिक ढंग से करना चाहते हैं। इसलिए, यही चर्चा चल रही है।"
उन्होंने साथ ही कहा, "हम सभी इस चर्चा में सम्मिलित हैं कि उपलब्ध रॉकेटों के साथ यह कार्य कैसे किया जाए। आप जानते हैं कि चंद्रमा पर जाना, नमूना लेकर आना बहुत जटिल कार्य है। वहाँ उतरना नहीं (चंद्रयान-3 मिशन की तरह)। फिर एक और रॉकेट चंद्रमा से उड़ान भरना, पृथ्वी पर वापस आना और पृथ्वी पर उतरना है जो कि पहले वाले कार्य से दोगुना है।"
रिपोर्ट के अनुसार, इसरो प्रमुख ने कहा कि वैज्ञानिक चंद्रयान-4 मिशन के लिए एक
उच्च-स्तरीय तकनीक विकसित करने में लगे हुए हैं। 2013 में लॉन्च किए गए INSAT-3D उपग्रह के बारे में बात करते हुए उन्होंने कहा कि वैज्ञानिक इसे धीरे-धीरे "डीकमीशन (सेवामुक्त)" करेंगे, क्योंकि इसके कार्य 'खराब' हो रहे थे।