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मानव अंतरिक्ष उड़ान के अंतर्राष्ट्रीय दिवस के इतिहास के बारे में जानें

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अंतरिक्ष उड़ान का अंतर्राष्ट्रीय दिवस विश्व भर में प्रतिवर्ष 12 अप्रैल को मनाया जाता है। ठीक 63 साल पहले, सोवियत संघ के अंतरिक्ष यात्री यूरी गगारिन पृथ्वी की परिक्रमा करने वाले पहले इंसान बने थे।
गगारिन ने वोस्तोक 1 मिशन का नेतृत्व करते हुए 108 मिनट की उड़ान में पृथ्वी के चारों ओर एक एकल कक्षा पूरी की। गगारिन अपने उड़ान पूरे करते ही धरती पर वापस लौटे थे। पूरी दुनिया ने उनका स्वागत एक हीरो की तरह किया।

2011 में संयुक्त राष्ट्र महासभा (UNGA) ने 12 अप्रैल को मानव अंतरिक्ष उड़ान के अंतर्राष्ट्रीय दिवस के रूप में घोषित किया।

रूस का अंगारा-A5 रॉकेट का सफलतापूर्वक प्रक्षेपण वोस्तोचनी कोस्मोड्रोम से भारी श्रेणी के अंगारा वाहक रॉकेटों के साथ अमूर अंतरिक्ष रॉकेट परिसर के लिए उड़ान और डिजाइन परीक्षणों की शुरुआत का प्रतीक है। यह प्रक्षेपण 12 अप्रैल की पूर्व संध्या पर हुआ।

भारत में अंतरिक्ष उद्योग का विकास

भारतीय अंतरिक्ष अनुसंधान संस्था (इसरो) 15 अगस्त 1969 में अस्तित्व में आया था तबसे लेकर आज तक देश के अंतरिक्ष के क्षेत्र में लगातार नए कीर्तिमान स्थापित किए जा रहे हैं।
1975 में पूर्व सोवियत संघ से अपना पहला उपग्रह आर्यभट्ट लॉन्च करने के लिए इसरो इंटरकोस्मोस कार्यक्रम में सम्मिलित हुआ। भारत ने पहली बार 1975 में अपने पहले आर्यभट्ट उपग्रह को अंतरिक्ष में भेजा था। उसके बाद इसरो ने 7 जून 1979 को देश के 442 किलो के दूसरे उपग्रह भास्कर को पृथ्वी की कक्षा में सफलतापूर्वक स्थापित किया। इसके बाद भारत में अंतरिक्ष विकास को नया आयाम प्राप्त हुआ।

हालांकि भारतीय अंतरिक्ष कार्यक्रम 1969 में आरंभ हुआ था जब अमेरिका ने चंद्रमा पर पहला आदमी उतारा था, फिर भी भारत ने अंतरिक्ष यात्रा करने वाले देशों की बराबरी कर ली और 2024 में, भारतीय चंद्र मिशन चंद्रयान-3 ने चंद्रमा के दक्षिणी ध्रुव पर ऐतिहासिक लैंडिंग की।

विज्ञान एवं प्रौद्योगिकी राज्यमंत्रालय के अनुसार, 1990 के दशक से भारत द्वारा लॉन्च किए गए 447 उपग्रहों में से 90% से अधिक यानी 389 उपग्रह पिछले नौ वर्षों में पृथ्वी की कक्षा में लॉन्च किए गए हैं।
मंत्रालय के अनुसार, आजकल भारत ने 2040 तक वैश्विक अंतरिक्ष अर्थव्यवस्था में अपनी हिस्सेदारी पाँच गुना बढ़ाने का लक्ष्य रखा है। भारत 2035 तक अपना स्वयं का स्पेस स्टेशन स्थापित करने की योजना बना रहा है। साथ ही वर्ष 2025 तक भारत की अंतरिक्ष अर्थव्यवस्था लगभग 1.05 लाख करोड़ रुपये होने की आशा व्यक्त की जा रही है।
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