विज्ञान एवं प्रौद्योगिकी

इंसानी हाथ के मुक़ाबले ज्यादा कारगर है रोबोट

© Sputnik / Krishna Mohan MishraRR Hospital
RR Hospital - Sputnik भारत, 1920, 23.06.2024
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भारतीय सेना के रिसर्च एंड रेफरल यानि आरआर हॉस्पिटल में रोबोट से किडनी को ट्रांसप्लांट करना शुरू कर दिया गया है। इससे मरीज़ के पेट में बहुत छोटा चीरा लगाना पड़ता है और उसके स्वस्थ होने में बहुत कम समय लगता है। रोबोट से ऑपरेशन करने में पेट के अंदर उन जगहों तक भी पहुंचना आसान होता है जहां इंसानी हाथों को पहुंचाना मुश्किल होता है।
रोबोट से पेट की शल्य चिकित्सा में डॉक्टर मास्टर एंड स्लेव सिद्धांत पर काम करते हुए ऑपरेशन करता है। आरआर हॉस्पिटल के डिपार्टमेंट ऑफ यूरोलॉजी के प्रमुख कर्नल (डॉ.) अमित शाह ने Sputnik India को बताया कि रोबोट ने पेट की बीमारियों का इलाज़ करना बहुत आसान कर दिया है।
डॉ. अमित शाह ने कहा, "रोबोटिक बांह लंबी होती है और इस तरह से चिकित्सा करने के लिए 12 मिमी का एक छेद कैमरे के लिए और 8-8 मिमी के दो छेद रोबोटिक बांह के लिए बनाए जाते हैं। रोबोटिक बांह की कलाई इसे चारों ओर घुमा सकती है इसलिए डॉक्टर को पेट के अंदर काम करने के लिए ज्यादा सहूलियत मिलती है। यहां डॉक्टर मास्टर और रोबोट स्लेव होता है और रोबोट का कंट्रोल डॉक्टर के हाथों और पैरों से होता है।"
रोबोट के जरिए किडनी का ऑपरेशन करते समय अब आरआर हॉस्पिटल के डॉक्टर किडनी का प्रत्यारोपण करने में कामयाब हुए हैं। रोबोट के ज़रिए पेट के अंदर टांका लगाने में आसानी होती है क्योंकि यह इंसानी हाथ के मुकाबले ज्यादा दूरी तक पहुंचता है। रोबोटिक सर्जरी में कोई वरिष्ठ डॉक्टर दूर किसी अस्पताल में काम करने वाले किसी कम अनुभवी डॉक्टर को भी बेहतर ढंग से ऑपरेशन करने में मदद कर सकता है। इस तरह की सुविधा दुनिया के कुछ ही अस्पतालों के पास है।
Ophthalmology department of the Army Hospital Research and Referral - Sputnik भारत, 1920, 22.06.2024
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