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भारत में Su-30 का संयुक्त निर्माण शुरू हो सकता है: सूत्र
भारत में Su-30 का संयुक्त निर्माण शुरू हो सकता है: सूत्र
Sputnik भारत
नासिक में सुखोई 30 का निर्माण भारत और रूस की रक्षा साझेदारी के नए दौर का अगला साझा प्रोजेक्ट हो सकता है।
2024-07-11T07:00+0530
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भारत-रूस संबंध
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रक्षा उत्पादों का निर्यात
सुखोई-30mki
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प्रधानमंत्री मोदी की रूस यात्रा के बाद दोनों देशों के साझा बयान में कहा गया है कि दोनों देश रूसी मूल के हथियारों के हिस्से-पुर्ज़े बनाने, उनकी मरम्मत और सारसंभाल करने की दिशा में काम करने पर सहमत हुए हैं। रूसी तकनीक पर आधारित हथियारों के भारत में साझा उत्पादन के जरिए भारत की ज़रूरतों को पूरा करने के बाद उन्हें निर्यात करने की भी तैयारी है। सूत्रों ने Sputnik India को बताया कि इस तरह के साझा उद्यम से एयरक्राफ्ट और समुद्री जहाज़ों के निर्माण की तैयारी की जा रही है। महाराष्ट्र के नासिक स्थित हिंदुस्तान एयरोनॉटिक्स लिमिटेड यानि HAL के प्लांट में भारतीय वायुसेना के लिए रूसी मूल के फ़ाइटर जेट का निर्माण शुरू करने पर बातचीत जारी है। 1964 में रूस के सहयोग से शुरू हुए इस प्लांट में मिग-21 और उसके बाद सुखोई-30 फ़ाइटर जेट्स का उत्पादन और मेंटेनेंस किया जाता रहा है। इस प्लांट में सुखोई-30 फ़ाइटर जेट का निर्माण शुरू किया जा सकता है। भारतीय वायुसेना में इस समय सुखोई-30 जेट की तादाद सबसे ज्यादा है। भारत-रूस के बीच हुए समझौते में 272 सुखोई-30 जेट का सौदा हुआ था जिनमें से बड़ी तादाद का निर्माण इसी प्लांट में हुआ था। सूत्रों की सूचना के अनुसार, इस प्लांट का इस्तेमाल भविष्य में उन देशों के एयरक्राफ्ट की मरम्मत और सारसंभाल के लिए भी किया जा सकता है जिनके पास रूसी मूल के एयरक्राफ्ट हैं। मेक इन इंडिया में रफ्तार आने के बाद अब भारत और रूस इसी मॉडल पर काम करने की तैयारी में है। तकनीक हस्तांतरण के बाद भारत में बने साझा उत्पादों की मांग दुनिया के कई देशों में है। खासतौर पर सुदूर-पूर्व के वियतनाम, फिलीपींस जैसे देशों के अलावा अफ्रीका और दक्षिण अमेरिका के कई देशों में इस तरह के साझा रक्षा उत्पादों के निर्यात की संभावना को तलाशा जा रहा है। भारत-रूस के साझा उत्पाद ब्रह्मोस के अलाावा कई दूसरे मेक इन इंडिया रक्षा उत्पादों में ये देश दिलचस्पी दिखा रहे हैं।
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भारत-रूस,रक्षा सहयोग, मेक इन इंडिया, ब्रह्मोस, सुखोई 30 , हिंदुस्तान एयरोनॉटिक्स लिमिटेड, रूसी मूल के हथियारों के हिस्से-पुर्ज़े बनाने, उनकी मरम्मत और सारसंभाल, मेक इन इंडिया
भारत-रूस,रक्षा सहयोग, मेक इन इंडिया, ब्रह्मोस, सुखोई 30 , हिंदुस्तान एयरोनॉटिक्स लिमिटेड, रूसी मूल के हथियारों के हिस्से-पुर्ज़े बनाने, उनकी मरम्मत और सारसंभाल, मेक इन इंडिया
भारत में Su-30 का संयुक्त निर्माण शुरू हो सकता है: सूत्र
07:00 11.07.2024 (अपडेटेड: 11:03 11.07.2024) विशेष
नासिक में सुखोई-30 का निर्माण भारत और रूस की रक्षा साझेदारी के नए दौर का अगला साझा प्रोजेक्ट हो सकता है। सूत्रों ने Sputnik India के बताया है कि इस संबंध में चर्चा आगे बढ़ रही है और अगर सबकुछ सही रहा तो सुखोई-30 का बड़े पैमाने पर भारत में निर्माण शुरू हो सकता है।
प्रधानमंत्री मोदी की रूस यात्रा के बाद दोनों देशों के साझा बयान में कहा गया है कि दोनों देश रूसी मूल के हथियारों के हिस्से-पुर्ज़े बनाने, उनकी मरम्मत और सारसंभाल करने की दिशा में काम करने पर सहमत हुए हैं। रूसी तकनीक पर आधारित हथियारों के भारत में साझा उत्पादन के जरिए भारत की ज़रूरतों को पूरा करने के बाद उन्हें निर्यात करने की भी तैयारी है।
सूत्रों ने Sputnik India को बताया कि इस तरह के साझा उद्यम से एयरक्राफ्ट और समुद्री जहाज़ों के निर्माण की तैयारी की जा रही है। महाराष्ट्र के नासिक स्थित
हिंदुस्तान एयरोनॉटिक्स लिमिटेड यानि HAL के प्लांट में भारतीय वायुसेना के लिए रूसी मूल के फ़ाइटर जेट का निर्माण शुरू करने पर बातचीत जारी है।
1964 में रूस के सहयोग से शुरू हुए इस प्लांट में मिग-21 और उसके बाद
सुखोई-30 फ़ाइटर जेट्स का उत्पादन और मेंटेनेंस किया जाता रहा है। इस प्लांट में सुखोई-30 फ़ाइटर जेट का निर्माण शुरू किया जा सकता है। भारतीय वायुसेना में इस समय सुखोई-30 जेट की तादाद सबसे ज्यादा है।
भारत-रूस के बीच हुए समझौते में 272 सुखोई-30 जेट का सौदा हुआ था जिनमें से बड़ी तादाद का निर्माण इसी प्लांट में हुआ था।
ब्रह्मोस के पूर्व प्रमुख सुधीर कुमार मिश्रा ने Sputnik India से कहा, "सुखोई 30 अभी इतना आधुनिक फ़ाइटर जेट है जिसका इस्तेमाल आने वाले दो-तीन दशकों तक हो सकता है। इसलिए इसके देश में बनने से घरेलू ज़रूरतों के अलावा निर्यात की मांग को भी पूरा किया जा सकता है।"
सूत्रों की सूचना के अनुसार, इस प्लांट का इस्तेमाल भविष्य में उन देशों के एयरक्राफ्ट की मरम्मत और सारसंभाल के लिए भी किया जा सकता है जिनके पास रूसी मूल के एयरक्राफ्ट हैं।
मेक इन इंडिया में रफ्तार आने के बाद अब भारत और रूस इसी मॉडल पर काम करने की तैयारी में है।
तकनीक हस्तांतरण के बाद भारत में बने साझा उत्पादों की मांग दुनिया के कई देशों में है। खासतौर पर सुदूर-पूर्व के वियतनाम, फिलीपींस जैसे देशों के अलावा अफ्रीका और दक्षिण अमेरिका के कई देशों में इस तरह के साझा रक्षा उत्पादों के निर्यात की संभावना को तलाशा जा रहा है। भारत-रूस के साझा उत्पाद
ब्रह्मोस के अलाावा कई दूसरे मेक इन इंडिया रक्षा उत्पादों में ये देश दिलचस्पी दिखा रहे हैं।
सुधीर कुमार मिश्रा ने कहा, "इस तरह का मॉडल बहुत सफल व्यापार मॉडल हो सकता है। पहले सब-सिस्टम बनाने और फिर पूरा सिस्टम बनाने की प्रक्रिया में भारतीय रक्षा उद्योग को फ़ायदा होगा। रूस और भारत लंबे समय से एक-दूसरे के साथ काम कर रहे हैं इसलिए कम समय में अच्छे परिणाम आएंगे। इस तरह के मॉडल से मेक इन इंडिया में मदद मिलेगी।"