- Sputnik भारत, 1920
Sputnik स्पेशल
उबाऊ राजनीतिक मामले और अधिकारियों की टिप्पणियाँ आपको Sputnik से नहीं मिलेंगी! देश और विदेश से आम ही लोग अपनी भावनाएं और आकांक्षाएं Sputnik से साझा करते हैं। ह्रदय को छूनेवाली कहानियाँ, प्रेरणादायक सामग्रियाँ और आश्चर्यपूर्ण रहस्योद्घाटन प्राप्त करें!

पश्चिम को पीछे छोड़ते हुए यूरेशियाई एकीकरण भविष्य के विकास में अग्रणी

© Photo : RSUH Press Service/Matvey BudyakovТоржественное открытие Международного футурологического форума БРИКС в РГГУ
Торжественное открытие Международного футурологического форума БРИКС в РГГУ - Sputnik भारत, 1920, 17.07.2024
सब्सक्राइब करें
विशेषज्ञ के अनुसार, रूस, भारत और चीन की सामूहिक कार्रवाइयां यूरेशिया की ट्राजेक्टोरी को गहराई से प्रभावित करने और पश्चिमी प्रभुत्व से परे अंतर्राष्ट्रीय व्यवस्था को आकार देने के लिए तैयार हैं।
वैश्विक संपर्क और सहयोग की पृष्ठभूमि के मध्य ब्रिक्स अंतरराष्ट्रीय भविष्य विज्ञान फोरम में 20 देशों के 500 से अधिक प्रतिभागियों ने रूसी स्टेट यूनिवर्सिटी फॉर ह्यूमैनिटीज में भाग लिया, इस फोरम में एक परिवर्तनकारी वैश्विक परिदृश्य और विविध देशों और समुदायों के मध्य आपसी सम्मान की महत्वपूर्ण आवश्यकता को रेखांकित किया।

ब्रिक्स अंतरराष्ट्रीय भविष्य विज्ञान फोरम में भाग लेने वाले प्रमोद राय ने Sputnik India से अपने विचार व्यक्त करते हुए इस बात पर जोर दिया कि ब्रिक्स सक्रिय रूप से एक विकासवादी पथ को आगे बढ़ा रहा है, जो 'समावेशीपन और गैर-टकराव की प्रतिबद्धता की विशेषता वाली नई विश्व व्यवस्था' स्थापित करने की दिशा में है।

मुंबई विश्वविद्यालय के सेंट्रल यूरेशियाई अध्ययन केंद्र में एक शोध फेलो के रूप में वह ब्रिक्स के बारे में चल रहे व्याख्यान में सम्मिलित हैं, जो संभावित रूप से वर्तमान पश्चिमी-प्रभुत्व वाली अंतर्राष्ट्रीय व्यवस्था से दूर एक क्रांतिकारी परिवर्तन का नेतृत्व कर रहा है।

राय का मानना ​​है कि ब्रिक्स को वैश्विक दक्षिण सदस्यता आकांक्षाओं के साथ एक विश्वसनीय संगठन के रूप में देखा जा रहा है, फिर भी इसे अपनी पूरी क्षमता और तर्कसंगतता सिद्ध करनी होगी।

महत्वपूर्ण रूप से विश्लेषक का दावा है कि ब्रिक्स को 'विशिष्ट पश्चिमी मॉडल और तंत्र' से अलग अपना रास्ता बनाने में अपनी सबसे बड़ी चुनौती का सामना करना पड़ रहा है। राय ने न मात्र सदस्यता का विस्तार करने के महत्व को रेखांकित किया, बल्कि प्राथमिक उद्देश्यों के रूप में ‘व्यावहारिकता का प्रदर्शन और ठोस परिणाम प्राप्त करना’ भी बताया।

ब्रिक्स का स्थायी महत्व: एक निर्विवाद और अपरिहार्य शक्ति

राय ने बताया कि 2009 से ब्रिक्स की व्यापक संयुक्त घोषणाओं की जांच करने से एक ऐसा दृष्टिकोण सामने आता है जो समावेशिता को प्राथमिकता देकर टकराव से बचता है, जो इस बात पर प्रकाश डालता है कि संगठन को वैश्विक रूप से महत्वपूर्ण क्यों होना चाहिए।

राय का मानना ​​है कि सरकारों और नेतृत्व में बदलावों के बावजूद ब्रिक्स का स्थायी महत्व ‘निर्विवाद रहेगा और इसे कम करके नहीं आंका जाना चाहिए’। विश्लेषक के अनुसार, यूरेशियन सहयोग का भविष्य ‘उभरती बहुपक्षीय और बहुध्रुवीय वैश्विक व्यवस्था’ को महत्वपूर्ण रूप से आकार देगा।

उन्होंने तर्क दिया कि रूस, अपने पर्याप्त भू-आर्थिक और भू-राजनीतिक हितों के कारण, इस क्षेत्र में एक 'महत्वपूर्ण और प्रभावशाली खिलाड़ी' बना हुआ है। चीन द्वारा यूरेशिया में अपनी आर्थिक पहलों को सक्रिय रूप से आगे बढ़ाने के साथ विश्लेषक ने सलाह दी कि भारत को भी इस क्षेत्र में अपनी भागीदारी में तेज़ी लानी चाहिए।
राय ने आग्रह किया कि यूरेशियाई भूभाग में प्रमुख हितधारकों के लिए 'विकसित वैश्विक व्यवस्था के लिए सुसंगत दृष्टिकोण' विकसित करना महत्वपूर्ण है।
पश्चिम के निरंतर प्रभाव के बावजूद विश्लेषक ने उल्लेख किया कि 'रूस, भारत और चीन की सामूहिक कार्रवाइयां यूरेशिया की ट्रेकजेटोरी को गहराई से प्रभावित करेंगी और पश्चिमोत्तर अंतर्राष्ट्रीय व्यवस्था को आकार देंगी'।
ब्रिक्स फ्यूचरोलॉजिकल फ़ोरम में, राय ने ईरानी प्रतिनिधियों के साथ अपनी व्यावहारिक बातचीत की ओर ध्यान आकर्षित किया, जिसमें अंतर्राष्ट्रीय उत्तर-दक्षिण परिवहन गलियारे (INSTC) पर विशेष ध्यान देने के साथ उनके साझा दृष्टिकोण और हितों पर ज़ोर दिया गया।
राय ने सुझाव दिया कि इस पहल का उद्देश्य मुंबई, मास्को, बंदर अब्बास, तेहरान और अस्त्राखान जैसे महत्वपूर्ण केंद्रों के मध्य व्यापार संबंधों को बढ़ाना है।

वाणिज्यिक संबंधों को बढ़ाना: चेन्नई-व्लादिवोस्तोक समुद्री गलियारे की संभावना

राय ने संकेत दिया कि कुशल व्यापारिक मार्गों की कमी भारत, ईरान और मध्य एशियाई गणराज्यों जैसे देशों के लिए एक महत्वपूर्ण बाधा रही है। हालांकि, INSTC से प्रत्याशित परिणाम और व्यावहारिक लाभ प्राप्त करना ‘एक चुनौती बनी हुई है’, उन्होंने तर्क दिया।
उन्होंने ईरान, भारत, रूस और मध्य एशियाई गणराज्यों (CARs) के लिए ‘INSTC के विजन और मिशन के कार्यान्वयन में तेजी लाने और उसे बढ़ाने के महत्व पर ज़ोर दिया जिससे इसकी पूरी क्षमता का अनुभव हो सके’।

विश्लेषक ने प्रस्ताव दिया कि जबकि रूस-भारत संबंधों को “विशेष और विशेषाधिकार प्राप्त रणनीतिक साझेदारी” के रूप में लेबल किया जाता है, उल्लेखनीय अंतर इन भरोसेमंद सहयोगियों के मध्य मजबूत आर्थिक संबंधों की कमी में निहित है। हालांकि, उन्होंने चेन्नई-व्लादिवोस्तोक समुद्री गलियारे के महत्व को भारत-रूस द्विपक्षीय व्यापार को नई ऊंचाइयों पर ले जाने में संभावित ‘गेम-चेंजर’ के रूप में रेखांकित किया।

उन्होंने निष्कर्ष दिया कि लगभग 5,600 समुद्री मील (10,300 किमी) तक व्याप्त यह समुद्री मार्ग विशेष रूप से समुद्री मार्गों के माध्यम से खाड़ी से भारत के प्रमुख ऊर्जा आयात के दृष्टिकोण से 'रूस और भारत के मध्य वाणिज्यिक अंतर को पाटने की संभावना रखता है।'
Workers assist Indian Coast Guard Ship Samudra Paheredar as it arrives for a port call in Manila, Philippines on Monday, March 25, 2024. (AP Photo/Aaron Favila) - Sputnik भारत, 1920, 20.06.2024
व्यापार और अर्थव्यवस्था
भारत का नया विशाल वधावन बंदरगाह उत्तर-दक्षिण परिवहन गलियारे को बढ़ावा देगा
न्यूज़ फ़ीड
0
loader
चैट्स
Заголовок открываемого материала