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रक्षा निर्यात की जरूरतों को पूरा करने के लिए उत्पादन दर भी बढ़े: रक्षा विशेषज्ञ

© AP Photo / Gurinder OsanIn this Jan. 26, 2011 file photo, an Indian army soldier salutes beside a Pinaka multiple rocket launcher at the Republic Day parade in New Delhi, India. In its race to join the club of international powers, India has reached another major milestone, it's now the world's largest weapons importer.
In this Jan. 26, 2011 file photo, an Indian army soldier salutes beside a Pinaka multiple rocket launcher at the Republic Day parade in New Delhi, India. In its race to join the club of international powers, India has reached another major milestone, it's now the world's largest weapons importer.  - Sputnik भारत, 1920, 23.07.2024
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स्टॉकहोम स्थित रक्षा थिंक-टैंक (SIPRI) द्वारा मार्च में वैश्विक हथियार व्यापार पर जारी एक रिपोर्ट में कहा गया कि भारत विश्व का शीर्ष हथियार आयातक बना हुआ है, लेकिन 2013-17 और 2018-22 के मध्य इसके आयात में 11 प्रतिशत की गिरावट दर्ज की गई है।
किसी भी देश को बाहरी खतरे से बचने के लिए आधुनिक सैन्य साजो सामान की आवश्यकता होती है। अगर इस तरह का सामान देश में ही निर्मित किया जाए तो यह उस देश के लिए आत्मनिर्भरता की एक मिसाल होगी। भारत सरकार ने पिछले कुछ वर्षों में कुछ ऐसा ही करके दिखाया है।
सोमवार को संसद में प्रस्तुत आर्थिक सर्वेक्षण 2023-24 में वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने कहा कि निजी और रक्षा सार्वजनिक क्षेत्र उपक्रमों (DPSU) के भरसक प्रयासों के कारण भारत हथियार आयातक से आगे बढ़कर शीर्ष 25 देशों की हथियार निर्यातक सूची में शामिल हो गया है।
आर्थिक सर्वेक्षण में इस ऐतिहासिक उपलब्धि के बारे में बताया गया कि भारत का रक्षा उत्पादन वित्त वर्ष 17 में ₹74,054 करोड़ से बढ़कर वित्त वर्ष 23 में ₹108,684 करोड़ हो गया है।

आर्थिक सर्वेक्षण में कहा गया, "भारत को दुनिया का दूसरा सबसे बड़ा हथियार आयातक होने का गौरव प्राप्त था। हालांकि, कहानी बदल गई है। भारत एक हथियार आयातक से आगे निकलकर शीर्ष 25 हथियार निर्यातक देशों की सूची में सम्मिलित हो गया है।"

विश्व के 25 बड़े हथियार निर्यातकों में शामिल होने के बाद Sputnik India ने इसके पीछे के कारकों को जानने के लिए भारत में रक्षा विशेषज्ञ और सेना में मेजर जनरल के पद से सेवानिवृत हुए पी के सहगल से बात की।
उन्होंने बताया कि कुछ वर्ष पहले तक भारत दुनिया का सबसे बड़ा हथियार आयातक था। आज यह दुनिया के 25वें सबसे बड़े हथियार निर्यातकों में से एक बन गया है। उन्होंने उदाहरण देते हुए संमझाया कि भारत एक प्रभावशाली शक्ति बनने का इच्छुक है।

सहगल ने कहा, "जब भी हम किसी लड़ाई में संलग्न होते थे, चाहे वह 1971 का युद्ध हो या 1999 का, हम पर कुछ प्रतिबंध लगा दिए जाते थे। स्पेयर पार्ट्स उस मात्रा में उपलब्ध नहीं थे, जितने हमें चाहिए थे और कीमत भी मनमाफिक ली जाती थी। हम बाहरी दबावों के आगे झुक जाते थे, इसलिए हमने निर्णय किया कि हम सशस्त्र नेटवर्क भारत योजना और मेक इन इंडिया के अंतर्गत देशों में मूल्यांकित सभी रक्षा उपकरण बनाएंगे।"

सहगल ने आगे बताया कि इंडो-पैसिफिक के बढ़ते महत्व के कारण इस क्षेत्र में बहुत सी नौसेनाएं कार्य कर रही हैं। भारतीय शिपयार्ड उन्हें बहुत बड़े स्तर पर जबरदस्त बैकअप प्रदान कर रहे हैं और इससे भारत को एक प्रमुख हथियार निर्यातक बनने में भी सहायता मिल रही है।

उन्होंने कहा, "भारत में विशेष रूप से निजी क्षेत्र और DPSU ने सॉफ्टवेयर के साथ-साथ आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस में बहुत प्रगति की है और आज सभी हथियारों का प्रौद्योगिकी और आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस के मामले में बहुत बड़ा योगदान है। फिर भारत सरकार ने रक्षा स्टार्टअप को इनोवेशन एण्ड डिफेन्स एक्सैलेन्स (IDEX) योजना के अंतर्गत बहुत बड़ा प्रोत्साहन दिया। इसके अतिरिक्त, हमने लगभग 411 वस्तुओं के आयात पर प्रतिबंध लगाया जिन्हें मात्र भारत में ही बनाया जाएगा।"

इसके अतिरिक्त, आर्थिक सर्वेक्षण में कहा गया है कि रक्षा निर्यातकों को जारी किए गए निर्यात प्राधिकरणों की संख्या में वित्त वर्ष 23 में 1,414 निर्यात प्राधिकरणों से, वित्त वर्ष 24 में यह संख्या बढ़कर 1,507 हो गई है।
रक्षा निर्यात के मामले में आए बड़े उछाल के बारे में बात करते हुए सहगल ने बताया कि भारत ने कई मित्र देशों को लाखों डॉलर के ऋण का प्रस्ताव दिया है। इसने भी भारत को एक प्रमुख हथियार निर्यातक बनने में बहुत बड़ी सहायता की है। भारत के लिए भविष्य की संभावनाएं बहुत ही शानदार हैं, जो अविश्वसनीय रूप से बहुत ही विश्वसनीय हथियार निर्यातकों में से एक बन गया है।

सहगल ने कहा, "हमारे हथियार सिस्टम सिद्ध हैं। उन्हें बहुत ही बड़े स्तर पर भारतीय सशस्त्र बलों में शामिल किया गया है। वे लागत प्रभावी, विश्वसनीय और रखरखाव में आसान हैं और विदेशों की तुलना में बहुत सस्ती हैं। भारतीय लड़ाकू विमानों के लिए एक बहुत बड़ा बाजार है। इसी तरह, भारत में बने हेलीकॉप्टर, एयर टैंक, आर्टिलरी गन सिस्टम, रॉकेट लॉन्चर, विभिन्न प्रकार के गोला-बारूद (बख्तरबंद कार्मिक वाहन, टैंक और अन्य) के लिए बहुत बड़े बाजार हैं।"

भारत द्वारा अन्य देशों को किए जा रहे निर्यात के बारे में बताते हुए सहगल ने कहा कि हम पहले से ही विश्व के 85 देशों को निर्यात कर रहे हैं और संभवतः भविष्य में यह संख्या कई गुना बढ़ जाएगी। एकमात्र चीज यह है कि हम यह सुनिश्चित कर रहे हैं कि हमारे ये उपकरण केवल विदेशी मित्र देशों को ही बेचे जाएं।

सहगल ने कहा, "हम ब्रह्मोस मिसाइलों की आपूर्ति भी आरंभ कर रहे हैं। शुरुआत में हमने फिलीपींस को आपूर्ति की थी। हम वियतनाम और इंडोनेशिया के साथ भी इसी प्रकार के समझौते करने वाले हैं और अफ्रीका, लैटिन अमेरिका के साथ-साथ मध्य पूर्व के कई देश, जो भारत के मित्र हैं, ने भारतीय उपकरणों में रुचि दिखाई है, लेकिन हमें यह सुनिश्चित करना है कि भारतीय सशस्त्र बलों की आवश्यकताओं को पूरा करने के साथ-साथ निर्यात बाजार की आवश्यकताओं को पूरा करने के लिए हमारे उत्पादन की दर भी बढ़े।"

भारत के रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह इस वर्ष फरवरी के महीने में हथियारों के शुद्ध आयातक होने से भारत के इस परिवर्तन की बात की थी और कहा था कि वार्षिक रक्षा उत्पादन 3 लाख करोड़ रुपये तक और सैन्य प्रणालियों, उप-प्रणालियों और असेंबलियों का निर्यात वित्त वर्ष 29 तक 50,000 करोड़ रुपये तक पहुंचने की संभावना भी व्यक्त की थी।
India's supersonic Brahmos cruise missiles - Sputnik भारत, 1920, 21.06.2024
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