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दो से तीन महीने में होगा भारतीय नौसेना के लिए तीन नई सबमरीन का सौदा: सूत्र
दो से तीन महीने में होगा भारतीय नौसेना के लिए तीन नई सबमरीन का सौदा: सूत्र
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भारतीय नौसेना के लिए बनने वाली तीन अतिरिक्त सबमरीन का ऑर्डर इस साल के अंत तक दे दिया जाएगा। सूत्रों ने स्पुतनिक इंडिया को बताया है कि सरकार और भारतीय नौसेना ने अपनी सभी औपचारिकताएं पूरी कर ली हैं।
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सूत्रों के अनुसार, ये तीनों सबमरीन कलवरी क्लास की होंगी जिनका निर्माण मुंबई के मझगांव डॉक लिमिटेड (MDL) में फ्रांसीसी नेवल ग्रुप के सहयोग से किया जाएगा। कलवरी श्रेणी की नवीनतम सबमरीन वागशीर के अगले दो से तीन महीनों में भारतीय नौसेना में शामिल होने की संभावना है।सूत्रों ने बताया कि इस साल जून में रक्षा मंत्रालय और MDL के बीच सौदे की क़ीमत तय करने पर आगे बात शुरू हो गई थी। संभावना है कि अगले एक महीने में सौदे की सारी बातें तय हो जाएंगी और उसके बाद ऑर्डर की प्रक्रिया पूरी कर ली जाएगी। इन तीन सबमरीन की क़ीमत 35000 करोड़ रुपये के लगभग होगी और इनमें 60 प्रतिशत से ज्यादा स्वदेशीकरण होगा। अभी भारतीय नौसेना के पास 7 सिंधु क्लास, 4 शिशुमार क्लास और 5 स्वदेशी कलवरी क्लास सबमरीन हैं। न्यूक्लियर सबमरीन INS अरिहंत भारतीय नौसेना की इकलौती SSBN न्यूक्लियर सबमरीन है जो न्यूक्लियर ईंधन से चलती है और लंबी दूरी की बैलेस्टिक मिसाइलों से लैस है। इस श्रेणी की न्यूक्लियर सबमरीन दुश्मन के ज़मीनी ठिकानों पर भी बहुत दूर से बड़ा हमला कर सकती हैं। इस क्लास की दूसरी सबमरीन INS अरिघात है जो अभी अपने अंतिम परीक्षण पूरे कर रही है और उसके जल्द ही नौसेना में शामिल होने की संभावना है। कलवरी क्लास सबमरीन पुरानी सिंधु क्लास सबमरीन की जगह लेंगी।
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दो से तीन महीने में होगा भारतीय नौसेना के लिए तीन नई सबमरीन का सौदा: सूत्र
14:47 28.08.2024 (अपडेटेड: 13:31 30.08.2024) भारतीय नौसेना के लिए तीन अतिरिक्त सबमरीन के निर्माण का ऑर्डर इस साल के अंत तक दे दिया जाएगा। सूत्रों ने Sputnik India को बताया है कि सरकार और भारतीय नौसेना ने अपनी सभी औपचारिकताएं पूरी कर ली हैं।
सूत्रों के अनुसार, ये तीनों सबमरीन कलवरी क्लास की होंगी जिनका निर्माण मुंबई के मझगांव डॉक लिमिटेड (MDL) में फ्रांसीसी नेवल ग्रुप के सहयोग से किया जाएगा। कलवरी श्रेणी की नवीनतम सबमरीन वागशीर के अगले दो से तीन महीनों में भारतीय नौसेना में शामिल होने की संभावना है।
भारत ने 2000 के दशक में फ्रांसीसी नेवल ग्रुप के साथ 6 स्कॉर्पीन क्लास सबमरीन बनाने का समझौता किया था जिन्हें भारतीय नौसेना ने कलवरी क्लास का नाम दिया। इन परंपरागत डीज़ल-इलेक्ट्रिक सबमरीन का भारतीय नौसेना में शामिल होना 2017 से शुरू हो गया था। जुलाई 2023 में भारत सरकार के रक्षा मंत्रालय ने इस श्रणी की तीन अतिरिक्त सबमरीन खरीदने को हरी झंडी दे दी।
सूत्रों ने बताया कि इस साल जून में रक्षा मंत्रालय और MDL के बीच सौदे की क़ीमत तय करने पर आगे बात शुरू हो गई थी। संभावना है कि अगले एक महीने में सौदे की सारी बातें तय हो जाएंगी और उसके बाद ऑर्डर की प्रक्रिया पूरी कर ली जाएगी। इन तीन
सबमरीन की क़ीमत 35000 करोड़ रुपये के लगभग होगी और इनमें 60 प्रतिशत से ज्यादा स्वदेशीकरण होगा।
कलवरी क्लास की सबमरीन समुद्र की सतह पर 11 नॉटिकल मील और सतह के नीचे 20 नॉटिकल मील की रफ्तार से चल सकती है। पिछले साल इसी क्लास की सबमरीन INS वागीर ने 7000 किमी दूर आस्ट्रेलिया का सफ़र तय किया था। इस क्लास की किसी सबमरीन ने पहली बार इतनी लंबी दूरी तय की है। सूत्रों के मुताबिक हिंद महासागर में दूसरे देशों की गतिविधियों पर नियंत्रण रखने के लिए सबमरीन को सबसे महत्वपूर्ण माना जा रहा है।
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भारतीय नौसेना के पास 7 सिंधु क्लास, 4 शिशुमार क्लास और 5 स्वदेशी कलवरी क्लास सबमरीन हैं। न्यूक्लियर सबमरीन INS अरिहंत भारतीय नौसेना की इकलौती SSBN न्यूक्लियर सबमरीन है जो न्यूक्लियर ईंधन से चलती है और लंबी दूरी की बैलेस्टिक मिसाइलों से लैस है। इस श्रेणी की न्यूक्लियर सबमरीन दुश्मन के ज़मीनी ठिकानों पर भी बहुत दूर से बड़ा हमला कर सकती हैं।
इस क्लास की
दूसरी सबमरीन INS अरिघात है जो अभी अपने अंतिम परीक्षण पूरे कर रही है और उसके जल्द ही नौसेना में शामिल होने की संभावना है। कलवरी क्लास सबमरीन पुरानी सिंधु क्लास सबमरीन की जगह लेंगी।