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न्यूक्लियर सबमरीन अरिघात भारतीय नौसेना में शामिल
न्यूक्लियर सबमरीन अरिघात भारतीय नौसेना में शामिल
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भारत की दूसरी स्वदेशी लंबी दूरी की बैलेस्टिक मिसाइलों से लैस न्यूक्लियर सबमरीन(SSBN) INS अरिघात नौसेना में शामिल हो गई। गुरुवार को विशाखापट्टनम में रक्षामंत्री और नौसेनाध्यक्ष की मौजूदगी में इसे नौसेना में शामिल किया।
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भारत की दूसरी लंबी दूरी की बैलेस्टिक मिसाइलों से लैस न्यूक्लियर सबमरीन (SSBN) INS अरिघात को गुरुवार को विशाखापट्टनम में रक्षा मंत्री और नौसेना प्रमुख की उपस्थिति में भारतीय नौसेना में शामिल किया गया।न्यूक्लियर सबमरीन को परंपरागत डीज़ल-इलेक्ट्रिक सबमरीन की तरह कुछ समय बाद समुद्र की सतह पर आने की ज़रूरत नहीं होती है। इस तरह की सबमरीन को असीमित समय तक समुद्र की सतह के अंदर रखा जा सकता है।भारत की न्यूक्लियर सबमरीन का निर्माण विशाखापट्टनम के शिप बिल्डिंग सेंटर में किया जा रहा है। यह नौसैनिक अड्डा रूस से पट्टे पर ली गई अकुला श्रेणी की न्यूक्लियर सबमरीन का भी बेस था। रिपोर्टों के अनुसार, भारत कुल चार SSBN बनाने की योजना पर काम कर रहा है। न्यूक्लियर सबमरीन के नौसेना में शामिल हो जाने के बाद भारत का परमाणु ट्रायड पूरा हो जाता है।
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न्यूक्लियर सबमरीन अरिघात भारतीय नौसेना में शामिल
SSBN की पहली सबमरीन INS अरिहंत है जिसे अगस्त 2016 में नौसेना में शामिल किया गया था। इस श्रेणी की अगली सबमरीन अरिदमन के अगले साल की शुरुआत में नौसेना में शामिल होने की संभावना है।
भारत की दूसरी लंबी दूरी की बैलेस्टिक मिसाइलों से लैस न्यूक्लियर सबमरीन (SSBN) INS अरिघात को गुरुवार को विशाखापट्टनम में रक्षा मंत्री और नौसेना प्रमुख की उपस्थिति में भारतीय नौसेना में शामिल किया गया।
न्यूक्लियर सबमरीन को परंपरागत डीज़ल-इलेक्ट्रिक सबमरीन की तरह कुछ समय बाद समुद्र की सतह पर आने की ज़रूरत नहीं होती है। इस तरह की सबमरीन को असीमित समय तक समुद्र की सतह के अंदर रखा जा सकता है।
आधिकारिक रिपोर्ट के अनुसार, INS अरिघात को 83 मैगावॉट के न्यूक्लियर रिएक्टर से चलाया जाता है। 112 मीटर लंबी यह सबमरीन समुद्र की सतह पर 12-14 नॉटिकल मील और सतह के अंदर 44 नॉटिकल मील की रफ्तार से चल सकती है। 6000 टन वज़नी इस सबमरीन में 750 किमी तक मार करने वाली 12 स्वदेशी K-15 या 3500 किमी तक मार करने वाली 4 K-4 मिसाइलें लगाई जा सकती हैं।
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न्यूक्लियर सबमरीन का निर्माण विशाखापट्टनम के शिप बिल्डिंग सेंटर में किया जा रहा है। यह नौसैनिक अड्डा रूस से पट्टे पर ली गई अकुला श्रेणी की न्यूक्लियर सबमरीन का भी बेस था। रिपोर्टों के अनुसार, भारत कुल चार SSBN बनाने की योजना पर काम कर रहा है।
न्यूक्लियर सबमरीन के नौसेना में शामिल हो जाने के बाद भारत का
परमाणु ट्रायड पूरा हो जाता है।