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भारत और रूस के बीच आधुनिक बख्तरबंद वाहनों के संयुक्त उत्पादन पर चर्चा: सेना सूत्र
भारत और रूस के बीच आधुनिक बख्तरबंद वाहनों के संयुक्त उत्पादन पर चर्चा: सेना सूत्र
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कनाडा में बनने वाले स्ट्राइकर आर्मर्ड पर्सनल कैरियर के सौदे पर बातचीत बंद होने के संकेतों के बाद संभावना है कि रूस के साथ इस तरह के वाहनों पर चर्चा तेज़ होगी।
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तीन दशकों से ज्यादा समय से भारतीय सेना द्वारा प्रयोग किए जाने वाले बीएमपी-2 आर्मर्ड पर्सनल कैरियर के अलावा टाइगर, अहमत और बूमरैंग जैसे बख्तरबंद वाहनों पर भी रूस के साथ विचार किया जा सकता है। रक्षा से जुड़े हुए सूत्रों ने Sputnik भारत को बताया कि रूस के साथ इन वाहनों को लेकर चर्चा चल रही है। अभी तक भारतीय सेना केवल रूसी मूल के बख्तरबंद वाहनों का ही इस्तेमाल करती है। रूस के साथ किसी रक्षा सौदे में किसी कूटनीतिक दबाव के न रहने के कारण पश्चिमी देशों की तुलना में भरोसा ज्यादा रहता है। भारत के साथ अमेरिका पिछले एक दशक से स्ट्राइकर आर्मर्ड पर्सनल कैरियर के सौदे की चर्चा कर रहा था। लेकिन भारत और कनाडा के बीच आतंकवादी हरदीप सिंह निज्जर की हत्या के मुद्दे पर पैदा हुए तनाव के बाद यह सौदा खटाई में पड़ता नज़र आ रहा है।टाइगर एक छोटा आर्मर्ड पर्सनल कैरियर है जिसमें 10 से 11 सैनिक बैठ सकते हैं। 2008 में भारत ने टाइगर में दिलचस्पी भी दिखाई थी। पहियों पर चलने वाला यह बख्तर बंद वाहन 140 किमी की रफ्तार तक चल सकता है।दूसरा आर्मर्ड पर्सनल कैरियर अहमत है जिसका प्रयोग यूक्रेन में रूसी सेनाएं कर रही हैं। दुश्मन के टैंकों को तबाह करने वाले बूमरैंग आर्मर्ड पर्सनल कैरियर पर भी भारत के साथ चर्चा हो सकती है। बूमरैंग बिल्कुल नया है इसलिए इसमें ज्यादा आधुनिक उपकरण हैं। यह ज़मीन और पानी दोनों में चल सकता है, इसमें 10 से 11 सैनिक बैठ सकते हैं। पहियों पर चलने वाले बूमरेंग की रफ्तार 100 किमी तक हो सकती है।भारतीय सेना के पास लगभग 2500 बीएमपी-2 आर्मर्ड पर्सनल कैरियर हैं जिनका निर्माण भारत में हो रहा है। भारतीय सेना इनके कई संस्करणों का प्रयोग करती है जिनमें एंबुलेंस, टोह लेने वाले और डोज़र शामिल हैं। रूस के साथ मौजूदा बीएमपी-2 को अपग्रेड करने पर भी चर्चा चल रही है जिसमें नई गन, बेहतर कवच और नए उपकरण लगाए जा सकते हैं। बीएमपी -2 की तैनाती 2020 में भारत-चीन तनाव के बाद बड़े पैमाने पर लद्दाख में की गई है और वहां भी यह कारगर साबित हुआ है। बीएमपी-2 में पहियों की जगह टैंक की तरह ट्रैक लगे हुए हैं जिससे यह हर तरह के इलाके में क़ामयाबी के साथ चल सकता है। इनके आधुनिक संस्करण को भारत में बनाने पर भी चर्चा चल रही है जिसमें 70 प्रतिशत से ज्यादा स्वदेशी उपकरण होंगे।
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भारतीय सेना का नया आर्मर्ड पर्सनल कैरियर, रूस से सौदे की संभावना, भारत-कनाडा राजनयिक विवाद, ट्रूडो का रुख, चुनाव-पूर्व हताशा, खालिस्तानी चरमपंथियों की जरूरत, भारत के प्रति ट्रूडो का रवैया, जीवन-यापन की बढ़ती लागत, संघर्षरत स्वास्थ्य सेवा प्रणाली, बढ़ती अपराध दर, इप्सोस सर्वेक्षण, प्रधानमंत्री उम्मीदवार, चुनाव में हार, सुरक्षित सीट, हरदीप सिंह निज्जर की हत्या, खालिस्तान पर जनमत संग्रह, खालिस्तान समर्थक ट्रूडो, स्ट्राइकर पर चर्चा
भारतीय सेना का नया आर्मर्ड पर्सनल कैरियर, रूस से सौदे की संभावना, भारत-कनाडा राजनयिक विवाद, ट्रूडो का रुख, चुनाव-पूर्व हताशा, खालिस्तानी चरमपंथियों की जरूरत, भारत के प्रति ट्रूडो का रवैया, जीवन-यापन की बढ़ती लागत, संघर्षरत स्वास्थ्य सेवा प्रणाली, बढ़ती अपराध दर, इप्सोस सर्वेक्षण, प्रधानमंत्री उम्मीदवार, चुनाव में हार, सुरक्षित सीट, हरदीप सिंह निज्जर की हत्या, खालिस्तान पर जनमत संग्रह, खालिस्तान समर्थक ट्रूडो, स्ट्राइकर पर चर्चा
भारत और रूस के बीच आधुनिक बख्तरबंद वाहनों के संयुक्त उत्पादन पर चर्चा: सेना सूत्र
15:52 17.10.2024 (अपडेटेड: 19:18 17.10.2024) कनाडा में बनने वाले स्ट्राइकर आर्मर्ड पर्सनल कैरियर के सौदे पर बातचीत बंद होने के संकेतों के बाद संभावना है कि रूस के साथ इस तरह के वाहनों पर चर्चा तेज़ होगी।
तीन दशकों से ज्यादा समय से भारतीय सेना द्वारा प्रयोग किए जाने वाले बीएमपी-2 आर्मर्ड पर्सनल कैरियर के अलावा टाइगर, अहमत और बूमरैंग जैसे बख्तरबंद वाहनों पर भी रूस के साथ विचार किया जा सकता है। रक्षा से जुड़े हुए सूत्रों ने Sputnik भारत को बताया कि रूस के साथ इन वाहनों को लेकर चर्चा चल रही है।
अभी तक भारतीय सेना केवल रूसी मूल के बख्तरबंद वाहनों का ही इस्तेमाल करती है। रूस के साथ किसी रक्षा सौदे में किसी कूटनीतिक दबाव के न रहने के कारण पश्चिमी देशों की तुलना में भरोसा ज्यादा रहता है।
भारत के साथ अमेरिका पिछले एक दशक से स्ट्राइकर आर्मर्ड पर्सनल कैरियर के सौदे की चर्चा कर रहा था। लेकिन
भारत और कनाडा के बीच आतंकवादी हरदीप सिंह निज्जर की हत्या के मुद्दे पर पैदा हुए तनाव के बाद यह सौदा खटाई में पड़ता नज़र आ रहा है।
भारतीय सेना अपनी मैकेनाइज्ड इंफेंट्री के लिए पिछले एक दशक से आधुनिक बख्तरबंद वाहनों की तलाश कर रही है, ताकि मौजूदा रूस निर्मित बीएमपी बख्तरबंद कार्मिक वाहकों की जगह ली जा सके। रक्षा से जुड़े हुए सूत्रों ने Sputnik भारत को बताया है कि रूस के साथ भारत की टाइगर, अहमत और बूमरैंग आर्मर्ड पर्सनल कैरियर के साझा उत्पादन की चर्चा भी चल रही है।
टाइगर एक छोटा आर्मर्ड पर्सनल कैरियर है जिसमें 10 से 11 सैनिक बैठ सकते हैं। 2008 में भारत ने टाइगर में दिलचस्पी भी दिखाई थी। पहियों पर चलने वाला यह बख्तर बंद वाहन 140 किमी की रफ्तार तक चल सकता है।
दूसरा आर्मर्ड पर्सनल कैरियर अहमत है जिसका प्रयोग यूक्रेन में रूसी सेनाएं कर रही हैं। दुश्मन के टैंकों को तबाह करने वाले बूमरैंग आर्मर्ड पर्सनल कैरियर पर भी भारत के साथ चर्चा हो सकती है। बूमरैंग बिल्कुल नया है इसलिए इसमें ज्यादा आधुनिक उपकरण हैं। यह ज़मीन और पानी दोनों में चल सकता है, इसमें 10 से 11 सैनिक बैठ सकते हैं। पहियों पर चलने वाले बूमरेंग की रफ्तार 100 किमी तक हो सकती है।
भारतीय सेना के पास लगभग 2500 बीएमपी-2 आर्मर्ड पर्सनल कैरियर हैं जिनका निर्माण भारत में हो रहा है। भारतीय सेना इनके कई संस्करणों का प्रयोग करती है जिनमें एंबुलेंस, टोह लेने वाले और डोज़र शामिल हैं।
रूस के साथ मौजूदा बीएमपी-2 को अपग्रेड करने पर भी चर्चा चल रही है जिसमें नई गन, बेहतर कवच और नए उपकरण लगाए जा सकते हैं। बीएमपी -2 की तैनाती 2020 में भारत-चीन तनाव के बाद बड़े पैमाने पर लद्दाख में की गई है और वहां भी यह कारगर साबित हुआ है।
बीएमपी-2 में पहियों की जगह टैंक की तरह ट्रैक लगे हुए हैं जिससे यह हर तरह के इलाके में क़ामयाबी के साथ चल सकता है। इनके आधुनिक संस्करण को
भारत में बनाने पर भी चर्चा चल रही है जिसमें 70 प्रतिशत से ज्यादा स्वदेशी उपकरण होंगे।