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भारत में ओवरहॉल किया गया पहला टी-90 टैंक सेना को सौंपा गया
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भारतीय सेना के लिए भारत में ओवरहॉल हुआ पहला टी-90(भीष्म) टैंक सोमवार को सेना को मिल गया।
2024-10-08T07:00+0530
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भारतीय सेना के पास 1200 से ज्यादा टी-90 टैंक हैं, जिनका प्रयोग भारतीय सेना 2003 से कर रही है। इन टैंकों को पूर्वी लद्दाख में भी तैनात किया गया है जहां इन्हें शून्य से 40 डिग्री तक कम तापमान में भी प्रयोग किया जा रहा है। इस ओवरहॉल को भारतीय सेना की हर समय किसी भी अभियान के लिए तैयारी में एक बड़ा कदम माना जा रहा है। टी-90 टैंक अपनी जबरदस्त मारक क्षमता, गति और मज़बूत कवच के लिए जाना जाता है। आधुनिक परीक्षण उपकरणों से जांचने के बाद टैंक को हर तरह के क्षेत्र में काम करने के लिए दोबारा तैयार कर दिया गया है। भारत रक्षा के क्षेत्र में खुद को तेज़ी से आत्मनिर्भर बना रहा है और यह क्षमता इस दिशा में एक नई सफ़लता है। इसमें दुश्मन के फ़ायर से बचने के लिए तीन स्तर का कवच है जो इसे अभेद्य बनाता है। यह दिन-रात दोनों समय काम कर सकता है और ऑटो लोडर होने के कारण इसमें केवल 3 सैनिकों की ज़रूरत होती है।
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भारतीय सेना, दिल्ली, रूस, भारत-रूस रक्षा संबंध, टी-90 टैंक, रक्षा क्षेत्र में आत्मनिर्भरता, यूक्रेन, पाकिस्तान
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भारत में ओवरहॉल किया गया पहला टी-90 टैंक सेना को सौंपा गया
भारतीय सेना के लिए भारत में ओवरहॉल हुआ पहला टी-90 (भीष्म) टैंक सोमवार को सेना को मिल गया। दिल्ली छावनी की 505 सेना बेस वर्कशॉप में कोर ऑफ इलेक्ट्रॉनिक्स एंड मेकेनिकल इंजीनियर्स (ईएमई) द्वारा ओवरहॉल किए गए टैंक को सेनाध्यक्ष जनरल उपेन्द्र द्विवेदी की उपस्थिति में सेना को सौंपा गया।
भारतीय सेना के पास 1200 से ज्यादा टी-90 टैंक हैं, जिनका प्रयोग भारतीय सेना 2003 से कर रही है। इन टैंकों को पूर्वी लद्दाख में भी तैनात किया गया है जहां इन्हें शून्य से 40 डिग्री तक कम तापमान में भी प्रयोग किया जा रहा है।
इस ओवरहॉल को भारतीय सेना की हर समय किसी भी अभियान के लिए तैयारी में एक बड़ा कदम माना जा रहा है। टी-90 टैंक अपनी जबरदस्त मारक क्षमता, गति और मज़बूत कवच के लिए जाना जाता है।
भारतीय सेना के अनुसार, इस ओवरहॉल में टैंक के एक-एक पुर्जे को खोला गया और दोबारा पूरे टैंक को बनाया गया। इसके लिए 200 से ज्यादा पुर्ज़े खोले गए और सटीक तरीक़े से उन्हें दोबारा लगाया गया। इस काम में सेना बेस वर्कशॉप ने रूस से आई मशीनों और टेस्ट बेंचों का प्रयोग करते हुए टैंक के जटिल मेकेनिकल, इलेक्ट्रोनिक और दूसरे उपकरणों को सही ढंग से लगाया।
आधुनिक परीक्षण उपकरणों से जांचने के बाद टैंक को हर तरह के क्षेत्र में काम करने के लिए दोबारा तैयार कर दिया गया है। भारत रक्षा के क्षेत्र में खुद को तेज़ी से आत्मनिर्भर बना रहा है और यह क्षमता इस दिशा में एक नई सफ़लता है।
भारत ने 2000 के दशक में रूस से टी-90 टैंकों का सौदा किया था। इन टैंकों में 125 मिमी कैलिबर की मुख्य गन के अलावा 12.7 मिमी की मशीनगन है जो हवाई हमलों से सुरक्षा देती है। दुश्मन के पैदल सैनिकों से निपटने के लिए इसमें 7.62 मिमी कैलिबर की एक मशीनगन भी लगी है। यह 60 किमी प्रति घंटे की रफ्तार से चल सकता है और एक बार में 550 किमी की दूरी बिना अतिरिक्त ईंधन के तय कर सकता है।
इसमें दुश्मन के फ़ायर से बचने के लिए तीन स्तर का कवच है जो इसे अभेद्य बनाता है। यह दिन-रात दोनों समय काम कर सकता है और ऑटो लोडर होने के कारण इसमें केवल 3 सैनिकों की ज़रूरत होती है।