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बहुध्रुवीय दुनिया बनाने में भारत और रूस को महत्वपूर्ण भूमिका निभानी चाहिए: रूसी दार्शनिक
बहुध्रुवीय दुनिया बनाने में भारत और रूस को महत्वपूर्ण भूमिका निभानी चाहिए: रूसी दार्शनिक
Sputnik भारत
अंतर्राष्ट्रीय मीडिया समूह रूस टुडे में आयोजित होने वाले फोरम "XV भारत-रूस व्यापार वार्ता" का उद्देश्य सहयोग को बढ़ावा देना, साझेदारी स्थापित करना तथा भारत और रूस के बीच विकास और पारस्परिक लाभ के तरीकों की खोज करना है।
2024-12-11T15:41+0530
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इस फोरम का मुख्य कार्यक्रम एक पूर्ण सत्र था, जिसमें द्विपक्षीय व्यापार, रसद और सतत आर्थिक विकास पर चर्चा हुई। एक प्रसिद्ध रूसी दार्शनिक और राजनीतिक वैज्ञानिक प्रोफेसर अलेक्सांद्र दुगिन ने 15 वीं भारत-रूस व्यापार वार्ता के दौरान Sputnik India को बताया कि बहुध्रुवीय दुनिया विविधता के लिए एक सामान्य सम्मान पर आधारित है। यह सभ्यताओं के बीच संवाद का संगठन ही है।इसके आगे रूस के राजनीतिक वैज्ञानिक प्रोफेसर ने एक महत्वपूर्ण बिंदु व्यक्त करने की आवश्यकता पर जोर देते हुए कहा कि रूस और पश्चिम के बीच तथा भारत और पश्चिम के बीच एक स्पष्ट अंतर है। उनके अनुसार, "पश्चिम हमेशा बिना पारंपरिक मूल्यों को समझे या उनके प्रति प्रेम दिखाए अपने परम्परा विरोधी मूल्यों को पूरी मानवता पर थोपने की कोशिश करता है।"अंत में Sputnik India से बात करते हुए उन्होंने मास्को और दिल्ली के बीच के संबंधों पर बात करते हुए कहा कि उनके हिसाब से इससे रूस और भारत के बीच पारंपरिक अच्छे संबंध स्थापित करने में मदद मिलेगी, चाहे वह व्यापार और अर्थव्यवस्था सहित किसी भी मायने में हो।
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बहुध्रुवीय दुनिया बनाने में भारत और रूस को महत्वपूर्ण भूमिका निभानी चाहिए: रूसी दार्शनिक
भारत और रूस के बीच द्विपक्षीय संबंधों को मजबूत करने और दोनों देशों के बीच आर्थिक सहयोग को बढ़ावा देने के उद्देश्य से 11 दिसंबर को मास्को में Sputnik हेडकार्टर्स में 15 वीं भारत-रूस व्यापार वार्ता का आयोजन किया जा रहा है।
इस फोरम का मुख्य कार्यक्रम एक पूर्ण सत्र था, जिसमें द्विपक्षीय व्यापार, रसद और सतत आर्थिक विकास पर चर्चा हुई।
एक प्रसिद्ध रूसी दार्शनिक और राजनीतिक वैज्ञानिक प्रोफेसर अलेक्सांद्र दुगिन ने 15 वीं भारत-रूस व्यापार वार्ता के दौरान Sputnik India को बताया कि बहुध्रुवीय दुनिया विविधता के लिए एक सामान्य सम्मान पर आधारित है। यह सभ्यताओं के बीच संवाद का संगठन ही है।
राजनीतिक वैज्ञानिक प्रोफेसर अलेक्सांद्र दुगिन ने बताया, "यह बहुत महत्वपूर्ण है कि भारत अब अपनी पारंपरिक जड़ों, पारंपरिक मूल्यों और परंपराओं को बहाल कर रहा है। और यह कुछ ऐसा है जो रूस भी कर रहा है। हम अपने पारंपरिक मूल्यों की ओर लौट रहे हैं, जो अब नियमों, कानूनों और राष्ट्रपति के आदर्शों द्वारा सुरक्षित हैं। ये दोनों सभ्यताएं अब पारंपरिक मूल्यों की वापसी कर रही हैं, इनका संबंध इस पर भी आधारित है।"
इसके आगे रूस के राजनीतिक वैज्ञानिक प्रोफेसर ने एक महत्वपूर्ण बिंदु व्यक्त करने की आवश्यकता पर जोर देते हुए कहा कि रूस और पश्चिम के बीच तथा
भारत और पश्चिम के बीच एक स्पष्ट अंतर है। उनके अनुसार, "पश्चिम हमेशा बिना पारंपरिक मूल्यों को समझे या उनके प्रति प्रेम दिखाए अपने परम्परा विरोधी मूल्यों को पूरी मानवता पर थोपने की कोशिश करता है।"
प्रोफेसर अलेक्सांद्र दुगिन ने बताया, "यह पश्चिम का एक दुष्ट चित्रण है, जो हमेशा अपने नियम और कानून लागू करने की कोशिश करता है। रूस और भारत दोनों अलग-अलग रणनीति अपना रहे हैं क्योंकि हम अलग-अलग दृष्टिकोण समझते हैं। हम उन्हें खत्म करने की कोशिश नहीं कर रहे हैं। हम विभिन्न दृष्टिकोणों के आधार पर एक संगठित दुनिया बनाने की कोशिश कर रहे हैं और उनके प्रति सकारात्मक रवैया रखते हैं।"
अंत में Sputnik India से बात करते हुए उन्होंने मास्को और दिल्ली के बीच के संबंधों पर बात करते हुए कहा कि उनके हिसाब से इससे
रूस और भारत के बीच पारंपरिक अच्छे संबंध स्थापित करने में मदद मिलेगी, चाहे वह व्यापार और अर्थव्यवस्था सहित किसी भी मायने में हो।
प्रोफेसर अलेक्सांद्र दुगिन ने कहा, "दुनिया बदल रही है, बहुध्रुवीयता उभर रही है, और भारत एक सभ्यतागत राज्य के रूप में दिखाई दे रहा है। रूस एक और सभ्यता है। चीन भी एक और सभ्यता है। इसलिए, हम राज्यों के बीच संवाद और परस्पर आदर पर आधारित दुनिया का निर्माण करने जा रहे हैं। और मुझे लगता है कि रूस और भारत को यहां एक महत्वपूर्ण भूमिका निभानी चाहिए।"