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2024 में भारत और उसके पड़ोस पर केंद्रित शीर्ष भू-राजनीतिक घटनाएं
2024 में भारत और उसके पड़ोस पर केंद्रित शीर्ष भू-राजनीतिक घटनाएं
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भारत ने अपने पड़ोशी देशों चीन,पाकिस्तान, बांग्लादेश, श्रीलंका के साथ अलग अलग स्तर पर संतुलन बना कर रखा। हालांकि इस साल पाकिस्तान, बांग्लादेश और श्रीलंका अपनी अनूठी राजनीतिक और आर्थिक चुनौतियों से जूझने में व्यस्त रहे।
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भारत ने 2024 में अपने पड़ोशी देशों चीन, पाकिस्तान, बांग्लादेश, श्रीलंका के साथ अलग-अलग स्तर पर संतुलन बना कर रखा। 2024 में भारत ने अपने 18वें राष्ट्रीय संसदीय चुनावों का सफल आयोजन किया, जहां नरेंद्र मोदी तीसरी बार देश के प्रधानमंत्री के तौर पर चुने गए, छह सप्ताह चले इन चुनावों में लगभग एक अरब मतदाताओं ने हिस्सा लिया। चुनाव के परिणाम और उसके बाद के राजनीतिक घटनाक्रम भारत की घरेलू और विदेश नीतियों को आकार देने में महत्वपूर्ण रहे।यह वर्ष भारत के लिए भू-राजनीति की दृष्टि से बहुत महत्वपूर्ण रहा, जहां लगभग पाँच साल बाद एक तरफ भारत के प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की अपने समकक्ष चीनी राष्ट्रपति शी जिनपिंग से मुलाकात मुख्य रही, वहीं दिसम्बर में भारत के विशेष प्रतिनिधि अजित डोभाल चीन में चीनी विदेश मंत्री से मिले। अक्टूबर 2024 में, भारत और चीन ने अपनी विवादित सीमा पर तनाव कम करने के लिए एक महत्वपूर्ण समझौता किया। इस समझौते ने देपसांग और डेमचोक जैसे क्षेत्रों में गश्त के अधिकार बहाल कर दिए, जिसका उद्देश्य 2020 के टकराव से पहले की स्थिति को वापस लाना है। इस समझौते के बाद दोनों देशों के बीच शत्रुता कम होने और संबंधों में स्थिरता आने की उम्मीद है।2024 में भारत-रूस सबंध अपने चरम पर रहे, दोनों देशों ने कूटनीतिक और आर्थिक संबंधों को बनाए रख और मजबूत किया। जुलाई में, प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने मास्को का दौरा किया, जहाँ उन्होंने और राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतिन ने 2030 तक द्विपक्षीय व्यापार में उल्लेखनीय सुधार लाने के लक्ष्य के साथ परमाणु ऊर्जा और चिकित्सा सहित घनिष्ठ आर्थिक सहयोग के लिए रणनीतिक क्षेत्रों पर चर्चा की।2024 में, सरकार के खिलाफ छात्रों के नेतृत्व वाले विरोध प्रदर्शनों के बाद भारत के पड़ोसी देश बांग्लादेश में महत्वपूर्ण राजनीतिक परिवर्तन हुए। अगस्त के महीने में प्रधानमंत्री शेख हसीना को देश छोड़ना पड़ा, जिसके बाद मुख्य सलाहकार मुहम्मद यूनुस के नेतृत्व में एक अंतरिम सरकार की स्थापना हुई। 2024 में, कनाडा के प्रधान मंत्री जस्टिन ट्रूडो ने भारत पर सिख नेता हरदीप सिंह निज्जर की हत्या में शामिल होने का आरोप लगाया था और तब से भारत और कनाडा के बीच संबंधों में गिरावट देखी गई है। प्रधानमंत्री ट्रूडो के आरोपों के बाद दोनों देशों के बीच राजनयिक निष्कासन हुए और व्यापार वार्ता ठप हो गई। भारत ने कनाडा में खालिस्तान समर्थक गतिविधियों पर चिंता व्यक्त की, कनाडा सरकार पर निष्क्रियता का आरोप लगाया। भारत और कनाडा के बीच राजनीतिक मतभेद और आपसी अविश्वास ने रिश्ते को प्रभावित करना जारी रखा।2024 में, भारत ने वैश्विक आर्थिक महाशक्ति के रूप में अपनी स्थिति मजबूत की है, और इस साल अनुमान लगाया गया कि भारत अगले पांच वर्षों में दुनिया की तीसरी सबसे बड़ी अर्थव्यवस्था बन सकता है। नई दिल्ली के मजबूत आर्थिक विकास ने इसके भू-राजनीतिक प्रभाव को बढ़ाया और भारत को ब्रिक्स और जी20 जैसे वैश्विक संगठनों में एक प्रमुख खिलाड़ी के रूप में स्थापित किया।रणनीतिक साझेदारी और स्थानीय मुद्रा व्यापार को बढ़ावा देकर, प्रौद्योगिकी जैसे क्षेत्रों में अपने नेतृत्व का विस्तार करके, भारत ने वैश्विक दक्षिण और विकसित देशों के बीच एक सेतु के रूप में अपनी भूमिका को मजबूत किया है।2024 में, भारत ने क्षेत्रीय स्थिरता और समुद्री सुरक्षा पर ध्यान केंद्रित करते हुए मालदीव और श्रीलंका के साथ अपने संबंधों को मजबूत किया। मालदीव ने अपने राष्ट्रपति की भारत यात्रा के दौरान लोकतांत्रिक प्रक्रियाओं का समर्थन किया तथा रक्षा और बुनियादी ढांचे में सहयोग बढ़ाया।भारत ने श्रीलंका के साथ आर्थिक संबंधों को गहरा किया, और श्रीलंका को आर्थिक संकट से उबरने के लिए वित्तीय सहायता प्रदान की। इन प्रयासों ने हिंद महासागर क्षेत्र में स्थिरता को बढ़ावा देने और बाहरी प्रभावों का मुकाबला करने के लिए भारत की प्रतिबद्धता को रेखांकित किया।
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2024 में भारत और उसके पड़ोस पर केंद्रित शीर्ष भू-राजनीतिक घटनाएं
इस साल दक्षिण एशिया और आस-पास के क्षेत्रों में कई प्रभावशाली भू-राजनीतिक घटनाक्रम देखने को मिले, जिन्होंने इस क्षेत्र में राजनीतिक गतिशीलता, आर्थिक रणनीतियों और कूटनीतिक संबंधों को नया रूप दिया।
भारत ने 2024 में अपने पड़ोशी देशों चीन, पाकिस्तान, बांग्लादेश, श्रीलंका के साथ अलग-अलग स्तर पर संतुलन बना कर रखा।
भारत के राष्ट्रीय चुनावों ने देश की घरेलू और विदेश नीतियों के लिए दिशा निर्धारित की, तथा 2024 भू-राजनीतिक परिवर्तनों के लिए एक ऐतिहासिक वर्ष रहा, जिसमें चीन के साथ सीमा समझौतों में भारत की सफलता से लेकर पड़ोसी देशों में नेतृत्व में परिवर्तन शामिल हैं। वहीं भारत ब्रिक्स जैसे वैश्विक मंचों में अपनी सक्रिय भागीदारी और वैश्विक दक्षिण और विकसित दुनिया के बीच एक सेतु के रूप में खुद को स्थापित करने में सफल रहा।
भारत के आम चुनाव और लोकतांत्रिक परिदृश्य 2024 में भारत ने अपने 18वें राष्ट्रीय
संसदीय चुनावों का सफल आयोजन किया, जहां नरेंद्र मोदी तीसरी बार देश के प्रधानमंत्री के तौर पर चुने गए, छह सप्ताह चले इन चुनावों में लगभग एक अरब मतदाताओं ने हिस्सा लिया।
चुनाव के परिणाम और उसके बाद के राजनीतिक घटनाक्रम भारत की घरेलू और विदेश नीतियों को आकार देने में महत्वपूर्ण रहे।
भारत-चीन सीमा गश्त समझौता यह वर्ष भारत के लिए भू-राजनीति की दृष्टि से बहुत महत्वपूर्ण रहा, जहां लगभग पाँच साल बाद एक तरफ भारत के प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की अपने समकक्ष चीनी राष्ट्रपति
शी जिनपिंग से मुलाकात मुख्य रही, वहीं दिसम्बर में भारत के विशेष प्रतिनिधि अजित डोभाल चीन में चीनी विदेश मंत्री से मिले।
अक्टूबर 2024 में, भारत और चीन ने अपनी
विवादित सीमा पर तनाव कम करने के लिए एक महत्वपूर्ण समझौता किया। इस समझौते ने देपसांग और डेमचोक जैसे क्षेत्रों में गश्त के अधिकार बहाल कर दिए, जिसका उद्देश्य 2020 के टकराव से पहले की स्थिति को वापस लाना है। इस समझौते के बाद दोनों देशों के बीच शत्रुता कम होने और संबंधों में स्थिरता आने की उम्मीद है।
2024 में भारत-रूस सबंध अपने चरम पर रहे, दोनों देशों ने कूटनीतिक और आर्थिक संबंधों को बनाए रख और मजबूत किया। जुलाई में, प्रधानमंत्री नरेंद्र
मोदी ने मास्को का दौरा किया, जहाँ उन्होंने और राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतिन ने 2030 तक द्विपक्षीय व्यापार में उल्लेखनीय सुधार लाने के लक्ष्य के साथ परमाणु ऊर्जा और चिकित्सा सहित घनिष्ठ आर्थिक सहयोग के लिए रणनीतिक क्षेत्रों पर चर्चा की।
साल के अंत में क्रेमलिन ने बताया कि भारत ने रूस के राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतिन को भारत आने का निमंत्रण दिया, हालांकि रूसी राष्ट्रपति के दौरे की तारीखों का ऐलान अभी नहीं किया गया है।
बांग्लादेश में राजनीतिक परिवर्तन 2024 में, सरकार के खिलाफ छात्रों के नेतृत्व वाले विरोध प्रदर्शनों के बाद भारत के पड़ोसी देश बांग्लादेश में महत्वपूर्ण राजनीतिक परिवर्तन हुए।
अगस्त के महीने में प्रधानमंत्री शेख हसीना को देश छोड़ना पड़ा, जिसके बाद
मुख्य सलाहकार मुहम्मद यूनुस के नेतृत्व में एक अंतरिम सरकार की स्थापना हुई।
भारत-कनाडा संबंध: तनाव और कूटनीतिक चुनौतियों का वर्ष 2024 में, कनाडा के प्रधान मंत्री जस्टिन ट्रूडो ने भारत पर सिख नेता हरदीप सिंह निज्जर की हत्या में शामिल होने का आरोप लगाया था और तब से
भारत और कनाडा के बीच संबंधों में गिरावट देखी गई है।
प्रधानमंत्री ट्रूडो के आरोपों के बाद दोनों देशों के बीच राजनयिक निष्कासन हुए और व्यापार वार्ता ठप हो गई। भारत ने कनाडा में खालिस्तान समर्थक गतिविधियों पर चिंता व्यक्त की, कनाडा सरकार पर निष्क्रियता का आरोप लगाया। भारत और कनाडा के बीच राजनीतिक मतभेद और आपसी अविश्वास ने रिश्ते को प्रभावित करना जारी रखा।
भारत की आर्थिक वृद्धि और भू-राजनीतिक प्रभाव 2024 में, भारत ने वैश्विक आर्थिक महाशक्ति के रूप में अपनी स्थिति मजबूत की है, और इस साल अनुमान लगाया गया कि भारत अगले पांच वर्षों में दुनिया की तीसरी सबसे बड़ी अर्थव्यवस्था बन सकता है। नई दिल्ली के मजबूत आर्थिक विकास ने इसके भू-राजनीतिक प्रभाव को बढ़ाया और भारत को
ब्रिक्स और जी20 जैसे वैश्विक संगठनों में एक प्रमुख खिलाड़ी के रूप में स्थापित किया।
रणनीतिक साझेदारी और स्थानीय मुद्रा व्यापार को बढ़ावा देकर, प्रौद्योगिकी जैसे क्षेत्रों में अपने नेतृत्व का विस्तार करके, भारत ने वैश्विक दक्षिण और विकसित देशों के बीच एक सेतु के रूप में अपनी भूमिका को मजबूत किया है।
भारत के श्रीलंका और मालदीव के साथ संबंध 2024 में, भारत ने क्षेत्रीय स्थिरता और समुद्री सुरक्षा पर ध्यान केंद्रित करते हुए मालदीव और श्रीलंका के साथ अपने संबंधों को मजबूत किया। मालदीव ने अपने राष्ट्रपति की भारत यात्रा के दौरान लोकतांत्रिक प्रक्रियाओं का समर्थन किया तथा रक्षा और बुनियादी ढांचे में सहयोग बढ़ाया।
भारत ने श्रीलंका के साथ आर्थिक संबंधों को गहरा किया, और श्रीलंका को आर्थिक संकट से उबरने के लिए वित्तीय सहायता प्रदान की। इन प्रयासों ने हिंद महासागर क्षेत्र में स्थिरता को बढ़ावा देने और बाहरी प्रभावों का मुकाबला करने के लिए भारत की प्रतिबद्धता को रेखांकित किया।