रोसोबोरोनएक्सपोर्ट को सैन्य परिवहन विमान पर भारत-रूस सहयोग की उम्मीद

© AP Photo / Mustafa Quraishi
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भारतीय वायु सेना पर्वतीय सीमावर्ती क्षेत्रों में सैनिकों, हथियारों और गोला-बारूद को तेजी से ले जाने की अपनी क्षमता को बढ़ाने के लिए विभिन्न प्रकार के सैन्य परिवहन विमानों को शामिल करने पर विचार कर रही है, इसलिए रूस के रोसोबोरोनएक्सपोर्ट का मानना है कि इस क्षेत्र में सहयोग की "प्रबल संभावना" है।
रोसोबोरोनएक्सपोर्ट ने Sputnik इंडिया को बताया, "हमारे विचार में Il-78MK-90A टैंकर विमान और Il-76MD-90AE सैन्य परिवहन विमान के नए संशोधनों पर भारत के साथ सहयोग की प्रबल संभावना है। दुबई एयरशो 2023 में Il-76MD-90AE के वैश्विक प्रीमियर के बाद इन विमानों में अंतर्राष्ट्रीय रुचि काफी बढ़ गई है।"
इन विमानों के पिछले संशोधनों का भारतीय वायु सेना द्वारा व्यापक रूप से उपयोग किया गया है। कंपनी ने कहा कि भारत के लिए एक प्रमुख लाभ यह है कि वे बिना तैयार रनवे से संचालन करने में भी सक्षम हैं और उनकी उच्च कार्गो क्षमता भी है।
रूसी हथियार निर्यातक ने जोर देकर कहा, "पिछले संस्करणों की तुलना में नवीनतम IL-78MK-90A टैंकर विमान की ईंधन वहन क्षमता में वृद्धि हुई है। इसके अतिरिक्त, इसे परिवहन, चिकित्सा या अग्निशमन विमान में भी परिवर्तित किया जा सकता है।"
गौरतलब है कि IAF ने दशकों तक रूस निर्मित IL-76 और सोवियत मूल के AN-32 का संचालन किया है। वर्तमान में, बोइंग C-17 ग्लोबमास्टर और IL-76MD भारत के रणनीतिक एयरलिफ्टर्स का आधार हैं।
IAF के बेड़े में शामिल किए जाने वाले कुल 56 विमानों में से 16 सेविले (स्पेन) में एयरबस के कारखाने से 'फ्लाई-अवे' स्थिति में आएंगे, जबकि शेष 40 का उत्पादन भारत में किया जाएगा। ये विमान भारतीय वायुसेना के बेड़े में पुराने हो चुके एवरो-748 विमानों की जगह लेंगे।
IAF के बेड़े में शामिल किए जाने वाले कुल 56 विमानों में से 16 सेविले (स्पेन) में एयरबस के कारखाने से 'फ्लाई-अवे' स्थिति में आएंगे, जबकि शेष 40 का उत्पादन भारत में किया जाएगा। ये विमान भारतीय वायुसेना के बेड़े में पुराने हो चुके एवरो-748 विमानों की जगह लेंगे।
