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सुखोई-30 अपग्रेड में सबसे ताकतवर रूसी इंजन के भारत में उत्पादन का प्रस्ताव
सुखोई-30 अपग्रेड में सबसे ताकतवर रूसी इंजन के भारत में उत्पादन का प्रस्ताव
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वायुसेना में लड़ाकू जेट्स की स्क्वाड्रनों की कम संख्या से चिंतित भारत अपने सुखोई-30 लड़ाकू जेट के अपग्रेड पर चर्चा को आगे बढ़ा रहा है। रक्षा से जुड़े सूत्रों ने स्पुतनिक इंडिया को बताया है कि रूस ने सुखोई-30 में अपने सबसे शक्तिशाली इंजिन AL-41 को लगाने का प्रस्ताव दिया है।
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रूस के प्रस्ताव में इन सभी इंजनों का उत्पादन भारत में ही करना भी शामिल है जिन्हें हिंदुस्तान एयरोनॉटिक्स लिमिटेड (HAL) की नाशिक स्थित निर्माण इकाई में बनाया जाएगा। इन इंजनों का प्रयोग रूसी वायुसेना के सुखोई-35 के अलावा सुखोई-57 में किया जाता है। अभी सुखोई-30 में AL-31 इंजन का उपयोग होता है।भारतीय वायुसेना में वर्तमान में सबसे ज्यादा संख्या सुखोई-30 विमानों की ही है और इस समय लगभग 250 सुखोई वायुसेना में सेवारत है। अन्य 12 सुखोई-30 जेट का खरीदने का निर्णय भी लिया जा चुका है। इनका भारतीय वायुसेना में शामिल होना दो दशक पहले प्रारंभ हुआ था और अब इन्हें अपग्रेड करने की आवश्यकता है।अपग्रेड में स्वदेशी रडार और दूसरे इलेक्ट्रॉनिक सिस्टम का उपयोग किया जाएगा। इसके अलावा रूस ने प्रस्ताव दिया है कि स्वदेशी हवा से हवा में मार करने वाली अस्त्र मिसाइल के उन्नत संस्करण और ब्रह्मोस को भी अपग्रेड किया जाएगा।भारतीय वायुसेना में 42 लड़ाकू स्क्वाड्रन की अधिकृत क्षमता के मुकाबले वर्तमान में केवल 31 सक्रिय लड़ाकू स्क्वाड्रन मौजूद हैं जिनमें से मिग-21 के दो स्क्वाड्न सितंबर में सेवा से बाहर चले जाएंगे। भारत ने इस कमी को तात्कालिक रूप से पूरा करने के लिए फ्रांस से 36 रफ़ाल खरीदे थे लेकिन यह संख्या पर्याप्त नहीं है। भारत 180 स्वदेशी लड़ाकू जेट तेजस के उत्पादन का निर्णय ले चुका है लेकिन यह कार्यक्रम अमेरिका से इंजन न मिलने के कारण बहुत विलंब से चल रहा है।
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सुखोई-30 अपग्रेड में सबसे ताकतवर रूसी इंजन के भारत में उत्पादन का प्रस्ताव
वायुसेना में लड़ाकू विमानों के स्क्वाड्रनों की कम संख्या से चिंतित भारत अपने सुखोई-30 लड़ाकू जेट के अपग्रेड पर चर्चा को आगे बढ़ा रहा है। रक्षा से जुड़े सूत्रों ने Sputnik इंडिया को बताया है कि रूस ने सुखोई-30 में अपने सबसे शक्तिशाली इंजिन AL-41 को लगाने का प्रस्ताव दिया है।
रूस के प्रस्ताव में इन सभी इंजनों का उत्पादन भारत में ही करना भी शामिल है जिन्हें हिंदुस्तान एयरोनॉटिक्स लिमिटेड (HAL) की नाशिक स्थित निर्माण इकाई में बनाया जाएगा। इन इंजनों का प्रयोग रूसी वायुसेना के सुखोई-35 के अलावा सुखोई-57 में किया जाता है। अभी सुखोई-30 में AL-31 इंजन का उपयोग होता है।
भारतीय वायुसेना में वर्तमान में सबसे ज्यादा संख्या सुखोई-30 विमानों की ही है और इस समय लगभग 250 सुखोई वायुसेना में सेवारत है। अन्य 12 सुखोई-30 जेट का खरीदने का निर्णय भी लिया जा चुका है। इनका भारतीय वायुसेना में शामिल होना दो दशक पहले प्रारंभ हुआ था और अब इन्हें अपग्रेड करने की आवश्यकता है।
रक्षा सूत्र ने बताया, "इन अपग्रेड के बाद सुखोई-30 एक उन्नत फ़ाइटर जेट में परिवर्तित हो जाएगा जो पांचवी पीढ़ी के किसी भी फ़ाइटर जेट की बराबरी कर सकेगा।"
अपग्रेड में स्वदेशी रडार और दूसरे
इलेक्ट्रॉनिक सिस्टम का उपयोग किया जाएगा। इसके अलावा रूस ने प्रस्ताव दिया है कि स्वदेशी हवा से हवा में मार करने वाली अस्त्र मिसाइल के उन्नत संस्करण और ब्रह्मोस को भी अपग्रेड किया जाएगा।
भारतीय वायुसेना में 42 लड़ाकू स्क्वाड्रन की अधिकृत क्षमता के मुकाबले वर्तमान में केवल 31 सक्रिय लड़ाकू स्क्वाड्रन मौजूद हैं जिनमें से मिग-21 के दो स्क्वाड्न सितंबर में सेवा से बाहर चले जाएंगे।
भारत ने इस कमी को तात्कालिक रूप से पूरा करने के लिए फ्रांस से 36 रफ़ाल खरीदे थे लेकिन यह संख्या पर्याप्त नहीं है। भारत 180
स्वदेशी लड़ाकू जेट तेजस के उत्पादन का निर्णय ले चुका है लेकिन यह कार्यक्रम अमेरिका से इंजन न मिलने के कारण बहुत विलंब से चल रहा है।