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भारत का बड़ा सैनिक अभ्यास, तीनों सेनाएं खुद को परखेंगी
भारत का बड़ा सैनिक अभ्यास, तीनों सेनाएं खुद को परखेंगी
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भारत आज से अपने पश्चिमी क्षेत्र में दस दिनों तक चलने वाला एक बड़ा सैन्य अभ्यास शुरू कर रहा है। इस युद्धाभ्यास में भारतीय थल सेना, नौसेना और वायुसेना के अलावा तटरक्षक बल और सीमा सुरक्षा बल भी भाग ले रहे हैं।
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पाकिस्तान की सीमा के पास चलने वाला यह युद्धाभ्यास 13 नवंबर तक चलेगा। त्रिशूल नाम के इस युद्धाभ्यास का नेतृत्व भारतीय नौसेना कर रही है। युद्धाभ्यास उत्तरी अरब सागर के अतिरिक्त गुजरात और राजस्थान में किया जा रहा है। सेनाएं रेगिस्तानी क्षेत्र में तेज़ी से कार्रवाई करने के अतिरिक्त तटवर्ती और क्रीक के क्षेत्रों में सैनिक अभियानों का अभ्यास करेंगी। अरब सागर में नौसैनिक अभियानों के अतिरिक्त तटवर्ती क्षेत्रों में समुद्र के रास्ते अभियानों का अभ्यास किया जाएगा। अभ्यास के दौरान नौसेना के विमानवाहक पोत से उड़ान भरने वाले लड़ाकू विमानों के साथ वायुसेना के अड्डों से उड़ान भरने वाले लड़ाकू विमान साथ मिलकर कार्रवाई करने का अभ्यास करेंगे।इस अभ्यास का लक्ष्य तीनों सेनाओं की समुद्र, भूमि और हवा में साथ मिलकर कार्रवाई करने की क्षमता को आंकना है। त्रिशूल अभ्यास से सेनाओं के एक-दूसरे के उपकरणों और संसाधनों का समुचित प्रयोग करने की योग्यता को भी परखा जाएगा।भारत अपनी तीनों सेनाओं को मिलाकर थियेटर कमान बनाने की दिशा में बढ़ रहा है। इसकी प्रारंभिक तैयारी के लिए तीनों सेनाओं के चौकसी, निगरानी और टोही संसाधनों को साथ मिलकर काम करने का अभ्यास कराया जा रहा है।इसके अतिरिक्त, साइबर वारफ़ेयर और इलेक्ट्रॉनिक वारफ़ेयर में भी तीनों सेनाएं साथ मिलकर काम कर रही हैं। त्रिशूल अभ्यास में इन सभी तैयारियों को असली युद्ध के वातावरण में परखा जाएगा।
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भारत का बड़ा सैनिक अभ्यास, युद्धपोत, विमानवाहक पोत, सबमरीन, वायुयान, हेलीकॉप्टर , त्रिशूल युद्धाभ्यास, रेगिस्तानी क्षेत्र, साइबर वारफ़ेयर, इलेक्ट्रॉनिक वारफ़ेयर, तीनों सेनाओं की समुद्र, भूमि और हवा में साथ मिलकर कार्रवाई करने की क्षमता
भारत का बड़ा सैनिक अभ्यास, युद्धपोत, विमानवाहक पोत, सबमरीन, वायुयान, हेलीकॉप्टर , त्रिशूल युद्धाभ्यास, रेगिस्तानी क्षेत्र, साइबर वारफ़ेयर, इलेक्ट्रॉनिक वारफ़ेयर, तीनों सेनाओं की समुद्र, भूमि और हवा में साथ मिलकर कार्रवाई करने की क्षमता
भारत का बड़ा सैनिक अभ्यास, तीनों सेनाएं खुद को परखेंगी
भारत आज से अपने पश्चिमी क्षेत्र में दस दिनों तक चलने वाला एक बड़ा सैन्य अभ्यास शुरू कर रहा है, जिसमें थल सेना, नौसेना और वायुसेना के अलावा तटरक्षक बल और सीमा सुरक्षा बल भी भाग ले रहे हैं। इस युद्धाभ्यास में बड़ी संख्या में युद्धपोत, विमानवाहक पोत, सबमरीन, वायुयान, हेलीकॉप्टर भाग ले रहे हैं।
पाकिस्तान की सीमा के पास चलने वाला यह युद्धाभ्यास 13 नवंबर तक चलेगा। त्रिशूल नाम के इस युद्धाभ्यास का नेतृत्व भारतीय नौसेना कर रही है। युद्धाभ्यास उत्तरी अरब सागर के अतिरिक्त गुजरात और राजस्थान में किया जा रहा है।
सेनाएं रेगिस्तानी क्षेत्र में तेज़ी से कार्रवाई करने के अतिरिक्त तटवर्ती और क्रीक के क्षेत्रों में सैनिक अभियानों का अभ्यास करेंगी।
अरब सागर में नौसैनिक अभियानों के अतिरिक्त तटवर्ती क्षेत्रों में समुद्र के रास्ते अभियानों का अभ्यास किया जाएगा। अभ्यास के दौरान
नौसेना के विमानवाहक पोत से उड़ान भरने वाले लड़ाकू विमानों के साथ वायुसेना के अड्डों से उड़ान भरने वाले लड़ाकू विमान साथ मिलकर कार्रवाई करने का अभ्यास करेंगे।
इस अभ्यास का लक्ष्य तीनों सेनाओं की समुद्र, भूमि और हवा में साथ मिलकर कार्रवाई करने की क्षमता को आंकना है। त्रिशूल अभ्यास से सेनाओं के एक-दूसरे के उपकरणों और संसाधनों का समुचित प्रयोग करने की योग्यता को भी परखा जाएगा।
भारत अपनी तीनों सेनाओं को मिलाकर थियेटर कमान बनाने की दिशा में बढ़ रहा है। इसकी प्रारंभिक तैयारी के लिए तीनों सेनाओं के चौकसी, निगरानी और टोही संसाधनों को साथ मिलकर काम करने का अभ्यास कराया जा रहा है।
इसके अतिरिक्त,
साइबर वारफ़ेयर और इलेक्ट्रॉनिक वारफ़ेयर में भी तीनों सेनाएं साथ मिलकर काम कर रही हैं। त्रिशूल अभ्यास में इन सभी तैयारियों को असली युद्ध के वातावरण में परखा जाएगा।