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भारतीय सेना, इसके देशी और विदेशी भागीदारों और प्रतिद्वन्द्वियों की गरमा गरम खबरें।

'त्रिशूल' में कसौटी पर कसे जा रहे हैं स्वदेशी ड्रोन

© AP Photo / Channi AnandAn Indian army soldier controls a drone during a mock drill along the Line of Control or LOC between India and Pakistan during a media tour arranged by the Indian army in Jammu and Kashmir's Poonch sector, India, Saturday, Aug.12, 2023. (AP Photo/Channi Anand)
An Indian army soldier controls a drone during a mock drill along the Line of Control or LOC between India and Pakistan during a media tour arranged by the Indian army in Jammu and Kashmir's Poonch sector, India, Saturday, Aug.12, 2023. (AP Photo/Channi Anand) - Sputnik भारत, 1920, 05.11.2025
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इस समय राजस्थान और गुजरात में भारत की तीनों सेनाएं एक बड़े सैन्य अभ्यास त्रिशूल में व्यस्त हैं। इस अभ्यास में भारतीय सेना अपने सबसे नए अस्त्र को भी चुनौतियों से गुजार रही है, जिनमें स्वदेशी लड़ाकू ड्रोन प्रमुख हैं। इन ड्रोनों को यथार्थ युद्ध जैसे माहौल में आजमाया जा रहा है।
इन्हें बनाने वाली भारतीय सेना की दक्षिणी कमान ने युद्ध में काम आने वाले विभिन्न ड्रोनों को विकसित करके उनके बड़े पैमाने पर उत्पादन का एक सुदृढ़ तंत्र बना लिया है। भारतीय सेना ने बड़े पैमाने पर ड्रोन के प्रयोग के लिए हर बांह पर एक बाज़ अभियान प्रारंभ किया है जिसका अर्थ है कि 11 लाख से ज्यादा संख्या वाली इस सेना में हर सैनिक ड्रोन के प्रयोग में कुशल होगा।
इससे भारतीय सेना को युद्ध के इस नए अस्त्र में नई डिज़ाइन, क्षमता मिलेगी जो उसे तकनीकी दृष्टि से श्रेष्ठ बनाएगी। त्रिशूल साझा अभ्यास में इन स्वदेशी ड्रोन की क्षमता को चौकसी, निगरानी, सटीक हमलों और इलेक्ट्रॉनिक युद्ध में परखा जा रहा है।
सेना के अधिकारियों के अनुसार ये स्वदेशी ड्रोन सटीकता, टिकाऊपन और युद्ध के तेज़ी से बदलते स्वरूप में बहुत अच्छा प्रदर्शन कर रहे हैं। सेना ने इसके लिए अपनी इलेक्ट्रॉनिक्स और मेकेनिकल इंजीनियर्स कोर( EME) के अतिरिक्त निजी क्षेत्र के कई छोटे और मध्यम उद्योगों को भी इसमें शामिल किया है।
भारतीय सेना ने इसी वर्ष ड्रोन युद्धकला की विशेषज्ञ अश्नि प्लाटून के गठन की घोषणा की है। इन विशेषज्ञ प्लाटून में 20-25 सैनिक होंगे जो हर तरह के ड्रोन के प्रयोग में पारंगत होंगे। भारतीय सेना की सभी 382 इंफेंट्री बटालियनों के पास ये प्लाटून होंगे।
इस वर्ष मई में भारत और पाकिस्तान के बीच हुए संघर्ष में ड्रोन का बहुत बड़े पैमाने पर प्रयोग किया गया था। पाकिस्तान ने भारत के लद्दाख, जम्मू-कश्मीर, पंजाब, राजस्थान और गुजरात में लड़ाकू ड्रोन के झुंड भेजे थे। इन हमलों के बाद अब भारत अपनी ड्रोन युद्धकला को नई ऊंचाईं पर ले जाना चाहता है ताकि युद्ध में तकनीकी श्रेष्ठता पाई जा सके। त्रिशूल अभ्यास में सेना के इन ड्रोनों को भारतीय नौसेना और भारतीय वायुसेना के साथ तालमेल से कार्रवाई करने में सक्षम बनाया जा रहा है।
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