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भारतीय नौसेना में शामिल हुआ सबमरीन का नया शिकारी
भारतीय नौसेना में शामिल हुआ सबमरीन का नया शिकारी
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भारतीय नौसेना ने 24 नवंबर को मुंबई में कम गहरे पानी में शत्रु की पनडुब्बियों को नष्ट करने वाले Anti-Submarine Warfare Shallow Water Craft (ASW-SWC) आईएनएस माहे को शामिल किया।
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भारतीय नौसेना ने 24 नवंबर को मुंबई में कम गहरे पानी में शत्रु की पनडुब्बियों को नष्ट करने वाले Anti-Submarine Warfare Shallow Water Craft (ASW-SWC) आईएनएस माहे को शामिल किया।शत्रु की सबमरीन का शिकारी माहे अपनी श्रेणी का पहला युद्धपोत है, ऐसे 8 यु्द्धपोत कोचीन शिपयार्ड लिमिटेड(CSL) में बनाए जा रहे हैं। यह शत्रु की सबमरीन का ऐसा शिकारी है जो बिना आहट के उसे तलाश कर नष्ट कर देता है।इसी तरह के 8 अन्य युद्धपोतों का निर्माण कोलकाता के गार्डन रीच शिपबिल्डर्स एंड इंजीनियर्स (GRSE) भी किया जा रहा है जिन्हें अरनाला श्रेणी का नाम दिया गया है। इस श्रेणी का पहला युद्धपोत आईएनएस अरनाला इसी वर्ष जून में और दूसरा आन्द्रोत अक्टूबर में भारतीय नौसेना में शामिल हुआ था।यह समुद्र तटों के आसपान चौकसी, राहत और बचाव अभियानों, तटीय सुरक्षा और कम तीव्रता की नौसैनिक कार्रवाइयों में भाग ले सकता है। यह 25 नॉटिकल मील की गति से एक बार में 1800 नॉटिकल मील तक यात्रा कर सकता है। इसमें 57 नौसैनिक तैनात किए जा सकते हैं।यह युद्धपोत शत्रु की पनडुब्बियों से निबटने के लिए एंटी सबमरीन रॉकेट्स, टॉरपीडो से लैस है और समुद्र की सतह पर बारूदी सुरंगें भी बिछा सकता है। इसमें शत्रु के पोतों पर हमला करने के लिए एक 30मिमी की गन के अतिरिक्त दो 12.7 मिमी की गन भी लगीं हैं। भारतीय नौसेना को भारत की कई राज्यों से गुज़रने वाली तटरेखा की सुरक्षा के अलावा प्राकृतिक आपदाओं के दौरान तटवर्ती इलाक़ों में राहत और बचाव के कार्य करने की ज़िम्मेदारी उठानी होती है। 2008 में मुंबई पर समुद्र से आए आतंकवादियों द्वारा किए गए भीषण हमले के बाद समुद्री सीमा की सुरक्षा और चौकसी को लगातार सुदृढ़ किया जा रहा है।शत्रु की पनडुब्बियों के चुपचाप आकर बंदरगाहों और डॉकयार्ड पर हमले के खतरे से निबटने के लिए सबमरीन के शिकारी युद्धपोतों की आवश्यकता होती है। कम भार के कारण वह आसानी से तटों के पास जाकर भी कार्रवाई कर सकते हैं।
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भारतीय नौसेना, anti-submarine warfare shallow water craft, आईएनएस माहे नौसेना में शामिल, भारतीय नौसेना में शामिल हुआ आईएनएस माहे, माहे अपनी श्रेणी का पहला युद्धपोत, गार्डन रीच शिपबिल्डर्स एंड इंजीनियर्स, युद्धपोत आईएनएस अरनाला
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भारतीय नौसेना में शामिल हुआ सबमरीन का नया शिकारी
15:09 24.11.2025 (अपडेटेड: 17:22 24.11.2025) भारत दुश्मन की पनडुब्बी को नष्ट करने वाले 16 युद्धपोत बना रहा है जो 2028 तक नौसेना में शामिल हो जाएंगे।
भारतीय नौसेना ने 24 नवंबर को मुंबई में कम गहरे पानी में शत्रु की पनडुब्बियों को नष्ट करने वाले Anti-Submarine Warfare Shallow Water Craft (ASW-SWC) आईएनएस माहे को शामिल किया।
शत्रु की सबमरीन का शिकारी माहे अपनी श्रेणी का पहला युद्धपोत है, ऐसे 8 यु्द्धपोत
कोचीन शिपयार्ड लिमिटेड(CSL) में बनाए जा रहे हैं। यह शत्रु की सबमरीन का ऐसा शिकारी है जो बिना आहट के उसे तलाश कर नष्ट कर देता है।
इसी तरह के 8 अन्य युद्धपोतों का निर्माण कोलकाता के गार्डन रीच शिपबिल्डर्स एंड इंजीनियर्स (GRSE) भी किया जा रहा है जिन्हें अरनाला श्रेणी का नाम दिया गया है। इस श्रेणी का पहला युद्धपोत आईएनएस अरनाला इसी वर्ष जून में और दूसरा
आन्द्रोत अक्टूबर में भारतीय नौसेना में शामिल हुआ था।
इसे अत्याधुनिक अस्त्रों, सेंसर और संचार के साधनों से लैस किया गया है जिससे यह समुद्र की सतह के नीचे मौजूद हर खतरे का पता लगाकर उसे नष्ट कर सके। इसके आधुनिक तकनीक से बने उपकरण और नियंत्रण सिस्टम इसे लंबे समय तक अभियान चलाने में सक्षम बनाते हैं।
यह समुद्र तटों के आसपान चौकसी, राहत और बचाव अभियानों, तटीय सुरक्षा और कम तीव्रता की नौसैनिक कार्रवाइयों में भाग ले सकता है। यह 25 नॉटिकल मील की गति से एक बार में 1800 नॉटिकल मील तक यात्रा कर सकता है। इसमें 57 नौसैनिक तैनात किए जा सकते हैं।
यह युद्धपोत
शत्रु की पनडुब्बियों से निबटने के लिए एंटी सबमरीन रॉकेट्स, टॉरपीडो से लैस है और समुद्र की सतह पर बारूदी सुरंगें भी बिछा सकता है। इसमें शत्रु के पोतों पर हमला करने के लिए एक 30मिमी की गन के अतिरिक्त दो 12.7 मिमी की गन भी लगीं हैं।
भारतीय नौसेना को भारत की कई राज्यों से गुज़रने वाली तटरेखा की सुरक्षा के अलावा प्राकृतिक आपदाओं के दौरान तटवर्ती इलाक़ों में राहत और बचाव के कार्य करने की ज़िम्मेदारी उठानी होती है। 2008 में मुंबई पर समुद्र से आए आतंकवादियों द्वारा किए गए भीषण हमले के बाद समुद्री सीमा की सुरक्षा और चौकसी को लगातार सुदृढ़ किया जा रहा है।
शत्रु की पनडुब्बियों के चुपचाप आकर बंदरगाहों और डॉकयार्ड पर हमले के खतरे से निबटने के लिए सबमरीन के शिकारी युद्धपोतों की आवश्यकता होती है। कम भार के कारण वह आसानी से तटों के पास जाकर भी कार्रवाई कर सकते हैं।