भारत-रूस संबंध
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द्विपक्षीय सहयोग के लिए मजबूत संभावनाओं के साथ भारत-रूस व्यापार मंच का समापन हुआ

© POOL / मीडियाबैंक पर जाएंRussian President Vladimir Putin and Indian Prime Minister Narendra Modi
Russian President Vladimir Putin and Indian Prime Minister Narendra Modi - Sputnik भारत, 1920, 08.12.2025
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भारत-रूस व्यापार फोरम 4-5 दिसंबर को नई दिल्ली में आयोजित किया गया जिसका आयोजन रोसकांग्रेस फाउंडेशन, फेडरेशन ऑफ इंडियन चैंबर्स ऑफ कॉमर्स एंड इंडस्ट्री (FICCI), और भारत के वाणिज्य और उद्योग मंत्रालय ने रूसी संघ के राष्ट्रपति के निर्देश के बाद किया, इसमें दोनों देशों के कॉर्पोरेट और सरकारी क्षेत्रों से 3,000 से ज़्यादा प्रतिभागियों ने हिस्सा लिया।
इस फोरम का मुख्य आकर्षण प्रतिभागियों और दोनों देशों के नेताओं रूसी संघ के राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतिन और भारत गणराज्य के प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के बीच बैठक थी।
रूसी राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतिन ने अपने संबोधन में इस बात पर ज़ोर दिया कि भारत-रूस व्यापार फोरम के दौरान आयोजित मंच सत्रों और विशेषज्ञ चर्चाओं में रूस और भारत के बीच आर्थिक सहयोग से संबंधित कई विशिष्ट मुद्दों पर बात की गई। आगे वह कहते हैं कि फोरम ने नए व्यावसायिक संबंधों को बढ़ावा देने के साथ-साथ भविष्य के वाणिज्यिक सौदों के लिए बातचीत शुरू करने तथा आशाजनक और पारस्परिक रूप से लाभकारी परियोजनाओं की शुरुआत की है।
उन्होंने कहा, "मैं मुख्य बात पर ज़ोर देना चाहूंगा कि जब हमने इस फोरम की कल्पना कर इसे आयोजित किया और प्रस्ताव दिया, तो इसे शुरू से ही हमारे सहयोग के बहुआयामी अवसरों को प्रदर्शित करने के लिए डिज़ाइन किया गया। मैं यह स्पष्ट करना चाहता हूं कि रूसी प्रतिनिधिमंडल केवल ऊर्जा मामलों पर चर्चा करने, केवल तेल या गैस आपूर्ति के लिए ऑर्डर देने और अनुबंध पर हस्ताक्षर करने के लिए नहीं आया। हम भारत के साथ विभिन्न क्षेत्रों में व्यापक, बहुआयामी संबंध विकसित करना चाहते हैं।"
भारत-रूस व्यापार फोरम में प्रतिभागियों को संबोधित करते हुए, भारत गणराज्य के प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने इस बात पर ज़ोर दिया कि आपसी विश्वास किसी भी साझेदारी की नींव होता है।

“भारत-रूस संबंधों में सबसे बड़ी ताकत हमारा आपसी विश्वास है। यह पारस्परिक है, और हमारे प्रयासों को आगे बढ़ाता है। यह हमें प्रेरित कर हमारी आकांक्षाओं को पूरा करने के लिए ताकत देता है। हमारी भूमिका द्विपक्षीय व्यापार बढ़ाने से कहीं ज़्यादा है। हम पूरी मानवता का कल्याण पक्का करना चाहते हैं, और इसके लिए हमें मौजूदा वैश्विक चुनौतियों के लिए दीर्घकालिक समाधान की आवश्यकता है। भारत इस रास्ते पर रूस के साथ कंधे से कंधा मिलाकर काम करने के लिए तैयार है,” भारतीय प्रधानमंत्री ने कहा।

फोरम के पहले दिन "रूस को बेचें: भारतीय व्यवसाय के लिए नए अवसर" शीर्षक से एक रणनीतिक सत्र आयोजित किया गया, जिसमें रूसी संघ के राष्ट्रपति कार्यकारी कार्यालय के उप प्रमुख मक्सिम ओरेश्किन, फेडरेशन ऑफ इंडियन चैंबर्स ऑफ कॉमर्स एंड इंडस्ट्री (FICCI) के अध्यक्ष और RPG ग्रुप के उपाध्यक्ष अनंत गोयनका, भारत सरकार के वाणिज्य और उद्योग मंत्री पीयूष गोयल, रूसी संघ के आर्थिक विकास मंत्री मक्सिम रेशेत्निकोव, भारत सरकार के वाणिज्य सचिव राजेश अग्रवाल, रूसी संघ की कृषि मंत्री अक्साना लुट, भारत सरकार के मत्स्य पालन, पशुपालन और डेयरी मंत्री राजीव रंजन सिंह (ललन सिंह), रूसी संघ के स्वास्थ्य मंत्री मिखाइल मुराश्को, भारत सरकार के फार्मास्यूटिकल्स विभाग के सचिव अमित अग्रवाल, रूसी संघ के डिजिटल विकास, संचार और मास मीडिया मंत्री मक्सुत शादेव, भारत सरकार के इलेक्ट्रॉनिक्स और आईटी मंत्रालय के सचिव श्रीनिवासन कृष्णन, रूसी संघ के उद्योग और व्यापार उप मंत्री एलेक्सी ग्रुजदेव, और भारत सरकार के कपड़ा मंत्रालय की सचिव नीलम शमी राव शामिल थे।
चर्चा के दौरान, प्रतिभागियों ने द्विपक्षीय सहयोग में प्रमुख मापदंडों और उपलब्धियों पर प्रकाश डाला, साथ ही दोनों देशों के बीच संबंधों को और विकसित करने और मजबूत करने के रास्ते भी बताए।
रूसी राष्ट्रपति प्रशासन के उप प्रमुख मक्सिम ओरेश्किन ने मेहमानों और प्रतिभागियों को शुरुआती भाषण में व्यापार फोरम के महत्व और इसके समय पर ज़ोर देते हुए कहा कि "रूसी प्रतिनिधिमंडल और व्यापार समुदाय भारतीय सामान और सेवाओं के लिए भारत आएं और हम अपनी खरीदारी में काफी बढ़ोतरी करना चाहते हैं। यह कोई छोटा-मोटा कदम नहीं है, बल्कि दुनिया की तीसरी और चौथी सबसे बड़ी अर्थव्यवस्थाओं के बीच संबंधों को बढ़ाने का एक रणनीतिक फैसला है।"

उन्होंने कहा, "आज, भारत वैश्विक अर्थव्यवस्था के मुख्य चालकों में से एक है। जनसांख्यिकीय रुझानों और शहरीकरण को देखते हुए, भारत आने वाले दशकों तक वैश्विक विकास का नेतृत्व करने के साथ साथ अंतरराष्ट्रीय व्यापार में एक प्रमुख खिलाड़ी होगा।" ओरेश्किन ने आगे कहा कि "भारत ने विज्ञान और प्रौद्योगिकी के क्षेत्र में भी उल्लेखनीय परिणाम हासिल किए हैं।"

इसके अलावा भारत-रूस व्यापार फोरम में अलग से रूसी बाजार में भारतीय कंपनियों की पकड़ के साथ-साथ औद्योगिक संबंधों को मजबूत करने के अलावा संयुक्त उद्यम शुरू करने और भारतीय खाद्य और फार्मास्यूटिकल्स के रूसी आयात को बढ़ाने की चर्चाएं की गईं। इसके अलावा बातचीत दोनों देशों के बीच अत्याधुनिक साझेदारी को बढ़ावा देने और रूस में भारतीय श्रमिकों की आवाजाही को आसान बनाने पर केंद्रित रही।
वहीं बातचीत में द्विपक्षीय संबंधों के प्रमुख स्तंभों पर भी प्रकाश डाला गया, जिसमें व्यापार, खरीद, प्रौद्योगिकी विकास और अन्य रणनीतिक क्षेत्र शामिल थे।

रूसी संघ के राष्ट्रपति के सलाहकार अंतोन कोब्याकोव ने कहा, "दिल्ली में भारत-रूस व्यापार फोरम ने साफ तौर पर दिखाया कि हमारी साझेदारी लगातार मजबूत हो रही है, जो आपसी सम्मान, व्यावहारिकता और इस साझा विश्वास पर आधारित है कि एक बहुध्रुवीय दुनिया के लिए मजबूत, तकनीकी रूप से उन्नत और आर्थिक रूप से लचीले रूस-भारत सहयोग की आवश्यकता है। दोनों देश लगातार आर्थिक परियोजनाओं को आगे बढ़ा रहे हैं और द्विपक्षीय व्यापार को बढ़ावा दे रहे हैं।"

इसके अलावा उन्होंने कहा कि "व्यापार कार्यक्रम में संयुक्त इनोवेशन, उत्पादन को स्थानीय बनाने, विश्वसनीय आपूर्ति श्रृंखला बनाने और नए परिवहन मार्ग स्थापित करने पर बहुत अधिक ध्यान केंद्रित किया गया। मुझे विश्वास है कि हम इस फोरम में न केवल बढ़ते व्यापार आंकड़ों में, बल्कि अधिक संयुक्त उद्यमों, अनुसंधान सहयोग और हमारे देशों के बीच कर्मचारियों के अधिक आदान-प्रदान में भी हुए समझौतों के ठोस परिणाम देखेंगे।"
भारत-रूस व्यापार फोरम के व्यापारिक कार्यक्रम में छह पैनल चर्चाएं थीं जिनमें साझेदारी और पारस्परिक रूप से लाभकारी सहयोग के विस्तार पर कुशल कर्मियों को आकर्षित करना, व्यावसायिक संचार, प्रबंधन दृष्टिकोण और कॉर्पोरेट संस्कृति में मतभेदों को दूर करना, अत्याधुनिक प्रौद्योगिकियों में साझेदारी को मजबूत करना, और AI और डिजिटल प्रौद्योगिकी सहयोग के लिए आशाजनक क्षेत्रों की खोज करना, रूसी बाजार में भारतीय फार्मास्यूटिकल्स और चिकित्सा उपकरणों की आपूर्ति करना, रूस में भारतीय कंपनियों के उत्पादन को स्थानीय बनाना, दवा और चिकित्सा प्रौद्योगिकी निर्माण के लिए संयुक्त रूप से आधुनिक चिकित्सा-औद्योगिक परिसरों की स्थापना करना, और दोनों देशों में स्वास्थ्य प्रणालियों को मजबूत करने के लिए द्विपक्षीय आर्थिक साझेदारी के लिए आशाजनक रास्ते खोजना जैसी चर्चाएं शामिल थीं।

इस व्यापार कार्यक्रम में रूस में मौजूदा खुदरा रुझानों और भारतीय निर्माताओं के लिए अवसरों पर प्रकाश डालने के साथ साथ रूसी और भारतीय बाजारों में प्रवेश करने वाले भारतीय ब्रांडों की सफलता की कहानियों को भी बताया गया।

प्रतिनिधिमंडल ने इस बात पर भी चर्चा की कि सरकारी एजेंसियां और विकास संस्थान रूस में ऑपरेशन शुरू करने वाली भारतीय SMEs का कैसे बेहतर तरीके से साथ देते हैं। एजेंडा में नए उत्पादन केंद्र और आपूर्ति नेटवर्क की संभावनाओं के साथ-साथ ऑटोमेशन और IoT से लेकर AI-आधारित गुणवत्ता नियंत्रण और ग्रीन उत्पादन तरीकों से लेकर स्मार्ट प्रोडक्शन तकनीक को लागू करने पर भी बात हुई।
बातचीत के दौरान हुए समझौतों को रूस और भारत के व्यापार प्रतिनिधियों, सिविल सोसाइटी संगठनों और मीडिया आउटलेट्स के बीच सहयोग बढ़ाने के मकसद से कई सहयोग समझौतों के ज़रिए औपचारिक रूप दिया गया।
भारत-रूस व्यापार फोरम में बी2बी बैठकें भी हुईं, जिनका मकसद नए व्यापार समबंध बनाने के साथ-साथ प्रतिभागियों के बीच सीधी साझेदारी स्थापित करना था।
VTB बैंक (PJSC) फोरम का प्रायोजक रहा, जबकि Sber ने सामान्य भागीदार के रूप में कार्य किया। फोरम पार्टनर्स में रोसाटॉम, PSK फार्मा प्राइवेट लिमिटेड, इंगोस्त्राख इंश्योरेंस कंपनी और फार्मासिन्टेज़ ग्रुप शामिल थे। सांस्कृतिक कार्यक्रम को मास्को सरकार और मास्को के बाहरी आर्थिक और अंतर्राष्ट्रीय संबंधों के विभाग द्वारा समर्थित किया गया।
भारतीय साझेदारों में प्रमुख व्यापार संघ ASSOCHAM (एसोसिएटेड चैंबर्स ऑफ कॉमर्स एंड इंडस्ट्री ऑफ इंडिया) और कॉन्फेडरेशन ऑफ इंडियन इंडस्ट्री (CII) शामिल थे।
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