यूक्रेन संकट
मास्को ने डोनबास के लोगों को, खास तौर पर रूसी बोलनेवाली आबादी को, कीव के नित्य हमलों से बचाने के लिए फरवरी 2022 को विशेष सैन्य अभियान शुरू किया था।

पश्चिम ने रूस पर अंतरराष्ट्रीय कानून के उल्लंघन का आरोप लगाया, हालांकि उसने ही इसे कुचल दिया: लवरोव

रूस ने 24 फरवरी 2022 को यूक्रेन में अपना विशेष सैन्य अभियान शुरू किया था। रूसी राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतिन के अनुसार जिसका लक्ष्य आठ वर्षों तक कीव शासन की धमकियों और नरसंहार का सामना करने वाले लोगों की रक्षा करना है।
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रूस के विदेश मंत्री सर्गे लवरोव ने कहा कि पश्चिमी देशों ने रूस पर अंतरराष्ट्रीय कानून का उल्लंघन करने का आरोप लगाया है, हालांकि उन्होंने ही यूगोस्लाविया, इराक और लीबिया में इसे कुचल दिया था।
यह बयान सेंट पीटर्सबर्ग में 11 से 13 मई तक चल रहे अंतर्राष्ट्रीय वकील मंच के दौरान रोशनी में आया। इसके साथ रूसी विदेश मंत्री ने यूक्रेन में रूसी विशेष सैन्य अभियान और संयुक्त राष्ट्र के अंतर्राष्ट्रीय न्यायालय में रूसी मामले के बारे में बताया।

पश्चिम द्वारा अंतर्राष्ट्रीय कानून को नष्ट करने के बारे में

सेंट पीटर्सबर्ग अंतर्राष्ट्रीय वकील मंच के दौरान भाषण देते हुए लवरोव ने कहा, "पश्चिमी राज्य बेशर्म रूप से रूस पर अंतरराष्ट्रीय कानून का उल्लंघन करने का आरोप लगाने की कोशिश कर रहे हैं। यूगोस्लाविया, इराक, लीबिया में जिस अंतरराष्ट्रीय कानून को उन्होंने कुचल दिया था, उसी अंतर्राष्ट्रीय कानून की बात चल रहा है।"

उन्होंने कहा कि पश्चिमी लोगों ने "विश्व संगठन के चार्टर के एक और बुनियादी सिद्धांत को यानी आंतरिक मामलों में गैर-हस्तक्षेप के सिद्धांत को कुचल दिया था।" उन्होंने बताया, “2004 के अंत में यूक्रेन में चुनावों के झूठे रूप से आयोजित तीसरे दौर को, जॉर्जिया, किर्गिस्तान में "रंग क्रांतियां" को याद करें। फरवरी 2014 में कीव में खूनी तख्तापलट का खुला समर्थन इनके बराबर है," मंत्री ने याद दिलाया ।

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यूक्रेन संकट के बारे में

यूक्रेन में रूसी विशेष अभियान संयुक्त राष्ट्र के चार्टर के अनुसार चलाया जा रहा है, मास्को ने पहले इसके बारे में बताया था, रूसी विदेश मंत्री सर्गे लवरोव ने कहा।
मंत्री ने अंतर्राष्ट्रीय वकील मंच के दौरान कहा, " विशेष सैन्य अभियान संयुक्त राष्ट्र के चार्टर के अनुच्छेद 51 के आधार पर चलाया जा रहा है, जो व्यक्तिगत और सामूहिक आत्मरक्षा का अधिकार प्रदान करता है, इसके बारे में संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद को सब से पहले बताया गया था।"

संयुक्त राष्ट्र के अंतर्राष्ट्रीय न्यायालय के बारे में

26 फरवरी को यूक्रेन ने नरसंहार की रोकथाम और उसके कारण सजा पर 1948 के कन्वेंशन के संबंध में अंतर्राष्ट्रीय न्यायालय में रूस के खिलाफ याचिका को दायर किया गया। लेकिन इस याचिका में कीव ने उस तथ्य को खारिज कर दिया कि डोनबास में नरसंहार हुआ था, जो एक ऐसा कारण हुआ था जिसके अनुसार रूस ने डोनेट्स्क और लुगंस्क पीपुल्स रिपब्लिकों को मान्यता दी थी और विशेष सैन्य अभियान को शुरू किया था।
यूक्रेन संकट
मारियुपोल निवासियों ने बताया कि कीव नाज़ियों ने 2014 में विजय दिवस 9 मई को नरसंहार में कैसे बदला था
इस मामले के संदर्भ में रूस के विदेश मंत्री ने कहा कि पश्चिमी देश रूस के संबंध में अंतरराष्ट्रीय न्याय के मानदंडों का खुला दुरुपयोग करते हैं।

"अंतर्राष्ट्रीय न्यायालय यानी संयुक्त राष्ट्र के एक वैधानिक निकाय पर बहुत बड़ा दबाव डाला जा रहा है। [...] नव-नाजी कीव शासन और उसके अमेरिकी मालिकों ने इस निकाय में नरसंहार की रोकथाम पर कन्वेंशन को लेकर रूस के खिलाफ विकृत तर्क के आधार पर मुकदमा शुरू किया," लवरोव ने कहा।

"साथ ही, मुख्य रूप से यूरोपीय संघ और नाटो के सदस्यों सहित 30 से अधिक देश यूक्रेन के पक्ष में इस मामले में भाग लेने का प्रयास कर रहे हैं। हम इस तरह के कार्यों को अदालती प्रक्रियाओं का दुरुपयोग, खुले दबाव और ब्लैकमेल का प्रयास मानते हैं,” लवरोव ने बताया।
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