विज्ञान एवं प्रौद्योगिकी

आदित्य-L1 ने पृथ्वी की कक्षा परिवर्तन से जुड़ी प्रक्रिया सफलतापूर्वक की पूरी

आदित्य-L1 पहली भारतीय अंतरिक्ष-आधारित वेधशाला है जो पृथ्वी से लगभग 1.5 मिलियन किमी दूर स्थित पहले सूर्य-पृथ्वी लैग्रेंजियन बिंदु (L1) के चारों ओर एक प्रभामंडल कक्षा से सूर्य का अध्ययन करेगी।
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भारतीय अंतरिक्ष अनुसंधान संगठन (ISRO) ने मंगलवार को घोषणा की कि उसके पहले सूर्य मिशन आदित्य-L1 ने ट्रांस-लैग्रेंजियन पॉइंट 1 इंसर्शन (TL1I) कक्षा परिवर्तन को सफलतापूर्वक पूरा कर लिया है और अंतरिक्ष यान अब एक प्रक्षेप पथ पर है जो इसे सूर्य-पृथ्वी L1 बिंदु तक ले जाएगा।

"सूर्य-पृथ्वी L1 बिंदु की ओर प्रस्थान! ट्रांस-लैग्रेंजियन प्वाइंट 1 इंसर्शन (TL1I) कक्षा परिवर्तन सफलतापूर्वक निष्पादित की गई है। अंतरिक्ष यान अब एक प्रक्षेप पथ पर है जो इसे सूर्य-पृथ्वी L1 बिंदु पर ले जाएगा। इसे लगभग 110 दिनों के बाद एक प्रक्रिया के माध्यम से L1 के चारों ओर की कक्षा में स्थापित किया जाएगा," इसरो ने एक्स (पूर्व में ट्विटर) पर एक पोस्ट में कहा।

इसके अलावा अंतरिक्ष एजेंसी ने कहा कि यह लगातार पांचवीं बार है कि इसरो ने किसी ऑब्जेक्ट को किसी अन्य खगोलीय पिंड या अंतरिक्ष में स्थान की ओर सफलतापूर्वक स्थानांतरित किया है।
बता दें कि अपने प्रक्षेपण के बाद से, आदित्य-L1, पृथ्वी के चारों ओर अपनी यात्रा के दौरान, क्रमशः 3, 5,10 और 15 सितंबर को चार पृथ्वी-संबंधी प्रक्रियाओं से गुजरा, जिसके दौरान इसने L1 पॉइंट की ओर अपनी आगे की यात्रा के लिए आवश्यक वेग प्राप्त किया।
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