Sputnik India के साथ साक्षात्कार में विशेषज्ञ ने कहा, "विश्व में सबसे अधिक धन व्यय, रक्षा के क्षेत्र में किया जाता है और अमेरिका अपना प्रभुत्व जमाने के लिए दूसरे देशों को रक्षा सहयोग करके उस देश पर अपना हक जमाने लगता है।"
"UAE जैसे देश रूस के साथ मिलकर काम करेंगे तो अमेरिका को बहुत फर्क पड़ेगा, साथ ही अन्य देशों और मध्य पूर्व के देशों के लिए नया मॉडल बन जाएगा और वह अमेरिकी दायरे से बाहर आकर काम कर सकेंगे"।
“मध्य पूर्व के देशों के अमेरिकी दायरे से बाहर आकर काम करने को अमेरिका पसंद नहीं करेगा, पर सच्चाई इसमें है कि अब अमेरिका को भी मानना पड़ेगा कि अब कहीं न कहीं लोग आगे भी कदम उठायेंगे,” उन्होंने कहा।
“रूस की पाँचवीं पीढ़ी की Su-57 लड़ाकू विमान अमेरिकी F-22 और F-35 लड़ाकू विमान से बेहतर है। इसकी सुपरक्रूज,सुपरसेल और सुपरमैन्युवरएबल की क्षमता बहुत अधिक है, साथ ही यह रडार के भी पकड़ में नहीं आती है,” बख्शी ने कहा।
“संयुक्त साझेदारी से भारत का रक्षा व्यय कम हो जाएगा और भारत की लड़ाई लड़ने कि क्षमता भी और अधिक बढ़ जाएगी,” प्रफुल बख्शी जोर देकर कहते हैं।